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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {निम्न में से [[पृथ्वी]] का [[पर्यायवाची शब्द]] कौन-सा है?
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| +रत्नगर्भा
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| -हिरण्यगर्भा
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| -वसुमती
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| -स्वर्णमयी
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| {[[हिन्दी साहित्य]] का नौवाँ [[रस]] कौन-सा है?
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| -भक्ति रस
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| -[[वात्सल्य रस]]
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| -[[करुण रस]]
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| +[[शांत रस]]
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| ||शांत रस [[साहित्य]] में प्रसिद्ध नौ रसों में अन्तिम रस माना जाता है- "शान्तोऽपि नवमो रस:।" इसका कारण यह है कि, [[भरतमुनि]] के ‘[[नाट्यशास्त्र भरतमुनि|नाट्यशास्त्र]]’ में, जो [[रस]] विवेचन का आदि स्रोत है, नाट्य रसों के रूप में केवल आठ रसों का ही वर्णन मिलता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शांत रस]]
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| {सर्वश्रेष्ठ [[रस]] किसे माना जाता है।
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| -[[रौद्र रस]]
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| -[[करुण रस]]
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| +शृंगार रस
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| -[[वीर रस]]
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| {[[छंद]] का सर्वप्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है?
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| +[[ऋग्वेद]]
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| -[[यजुर्वेद]]
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| -[[सामवेद]]
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| -[[उपनिषद]]
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| ||[[चित्र:Rigveda.jpg|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ|100px|right]]'ऋग्वेद' सबसे प्राचीनतम ग्रन्थ है। 'ॠक' का अर्थ होता है, 'छन्दोबद्ध' रचना' या '[[श्लोक]]'। [[ऋग्वेद]] के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ऋग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्रोतों की प्रधानता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
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| {[[हिन्दी साहित्य]] के आरंभिक काल को [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] ने क्या कहा है?
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| -आदि काल
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| +वीरगाथा काल
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| -चारण काल
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| -सिद्ध-सामंत काल
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| {'शिवा बावनी' के रचनाकार कौन हैं? | | {'शिवा बावनी' के रचनाकार कौन हैं? |
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