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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[श्राद्ध]] में किस पौधे का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जा सकता?
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| +[[केला]]
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| -[[आम]]
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| -[[तुलसी]]
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| -[[पीपल]]
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| ||[[चित्र:Bananas.jpg|right|100px|केला]][[भारत]] में केले की [[कृषि]] बड़े पैमाने पर और साल भर की जा जाती है। इसकी कृषि में कम लागत में ही अधिक मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। [[केला]] एक बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक व गुणकारी [[फल]] है। यह एक ऐसा फल है, जिसको खाने पर तुरंत ही ताकत मिल जाती है। केला दुनिया के सबसे पुराने और लोकप्रिय फलों में से एक है। इसकी गिनती देश के उत्तम फलों में होती है। कई प्रकार के मांगलिक कार्यों में भी केले को विशेष स्थान दिया गया है। विदेशों में भी इसके गुणों के कारण इसे 'स्वर्ग का सेव' और 'आदम की अंजीर' नाम प्रदान किये गये हैं। केले पर हल्के [[भूरा रंग|भूरे रंग]] के दाग़ इस बात की निशानी हैं कि केले का स्टार्च पूरी तरह नैसर्गिक शक्कर में परिवर्तित हो चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केला]], [[श्राद्ध]]
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| {प्रसव से पूर्व एवं सर्वप्रमुख [[संस्कार]] को क्या कहा जाता है?
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| +[[गर्भाधान संस्कार|गर्भाधान]]
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| -[[पुंसवन संस्कार|पुंसवन]]
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| -[[सीमन्तोन्नयन संस्कार|सीमंतोन्नयन]]
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| -[[जातकर्म संस्कार|जातकर्म]]
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| ||[[हिन्दू धर्म]] के [[संस्कार|संस्कारों]] में [[गर्भाधान संस्कार]] प्रथम संस्कार है। यहीं से बालक का निर्माण होता है। गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने के पश्चात दम्पति-युगल को पुत्र उत्पन्न करने के लिए मान्यता दी गयी है। इसलिये शास्त्र में कहा गया है कि- "उत्तम संतान प्राप्त करने के लिए सबसे पहले 'गर्भाधान संस्कार' करना होता है। पितृ-ऋण से उऋण होने के लिए ही संतान-उत्पादनार्थ यह [[संस्कार]] किया जाता है। इस संस्कार से बीज तथा गर्भ से सम्बन्धित मलिनता आदि दोष दूर हो जाते हैं, जिससे उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। दांपत्य-जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है- "श्रेष्ठ गुणों वाली, स्वस्थ, ओजस्वी, चरित्रवान और यशस्वी संतान प्राप्त करना"।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गर्भाधान संस्कार]]
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| {[[देवकी]] के सप्तम गर्भ को संकर्षण द्वारा [[रोहिणी]] के गर्भ में किसने पहुँचाया था?
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| +[[योगमाया]]
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| -[[अम्बिका देवी|अम्बिका]]
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| -[[वाग्देवी]]
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| -[[उमा]]
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| ||[[चित्र:Devi-Yogmaya.jpg|right|90px|देवी योगमाया]]'योगमाया' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार देवी शक्ति हैं। भगवान [[श्रीकृष्ण]] योग योगेश्वर हैं तो भगवती 'योगमाया' हैं। [[योगमाया]] की साधना [[भक्त]] को भुक्ति और मुक्ति दोनों ही प्रदान करने वाली है। इसी योगमाया के प्रभाव से समस्त जगत आवृत्त है। जगत में जो भी कुछ दिख रहा है, वह सब योगमाया की ही माया है। 'गर्गपुराण' के अनुसार [[देवकी]] के सप्तम गर्भ को देवी योगमाया ने ही संकर्षण द्वारा [[रोहिणी]] के गर्भ में पहुँचाया था, जिससे [[बलराम]] का जन्म हुआ था। इसीलिए बलराम का एक नाम '[[संकर्षण]]' भी है। बलराम को स्वयं [[शेषनाग]] का [[अवतार]] कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[योगमाया]]
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| {'[[सीमंतोन्नयन संस्कार]]' का क्या अर्थ है?
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| -सास द्वारा गर्भवती बहू के बाल खोलना।
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| +पति द्वारा गर्भवती पत्नी के बाल खोलना।
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| -ननद द्वारा गर्भवती भाभी के बाल खोलना।
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| -पति और सास की उपस्थिति में गर्भवती महिला द्वारा स्वयं बाल खोलना।
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| ||[[चित्र:Simantonayan.jpg|right|100px|[[सीमन्तोन्नयन संस्कार]]]]'सीमन्तोन्नयन संस्कार' [[हिन्दू धर्म]] के संस्कारों में तृतीय [[संस्कार]] है। यह संस्कार '[[पुंसवन संस्कार|पुंसवन]]' का ही विस्तार है। इसका शाब्दिक अर्थ है- "सीमन्त" अर्थात् 'केश और उन्नयन' अर्थात् 'ऊपर उठाना'। संस्कार विधि के समय पति अपनी पत्नी के केशों को संवारते हुए ऊपर की ओर उठाता था, इसलिए इस संस्कार का नाम '[[सीमंतोन्नयन संस्कार|सीमंतोन्नयन]]' पड़ गया। इस संस्कार का उद्देश्य गर्भवती स्त्री को मानसिक बल प्रदान करते हुए सकारात्मक विचारों से पूर्ण रखना था। शिशु के विकास के साथ [[माता]] के [[हृदय]] में नई-नई इच्छाएँ पैदा होती हैं। शिशु के मानसिक विकास में इन इच्छाओं की पूर्ति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अब वह सब कुछ सुनता और समझता है तथा माता के प्रत्येक सुख-दु:ख का सहभागी होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सीमंतोन्नयन संस्कार]]
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| {[[ब्राह्मण]], [[क्षत्रिय]] और [[वैश्य]] ब्रह्मचारी लड़के क्रमश: किस पेड़ का दंड (डंडा) लेकर चलते हैं?
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| |type="()"}
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| -[[बेल वृक्ष|बेल]], [[पलाश वृक्ष|पलाश]], [[बाँस]]
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| -[[बाँस]], [[बेल वृक्ष|बेल]], [[पलाश वृक्ष|पलाश]]
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| -[[पलाश वृक्ष|पलाश]], [[बाँस]], [[बेल वृक्ष|बेल]]
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| +[[पलाश वृक्ष|पलाश]], [[बेल वृक्ष|बेल]], [[बाँस]]
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| ||[[चित्र:Palash-Flowers.jpg|right|100px|पलाश के फूल]]'पलाश वृक्ष' [[भारत]] के सुंदर फूलों वाले प्रमुख वृक्षों में से एक है। प्राचीन काल से ही इस वृक्ष के फूलों से '[[होली]]' के [[रंग]] तैयार किये जाते रहे हैं। [[ऋग्वेद]] में 'सोम', 'अश्वत्थ' तथा 'पलाश' वृक्षों की विशेष महिमा वर्णित है। कहा जाता है कि [[पलाश वृक्ष]] में सृष्टि के प्रमुख देवता- [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] और [[महेश]] का निवास होता है। अत: पलाश का उपयोग [[ग्रह|ग्रहों]] की शांति हेतु भी किया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में ग्रहों के दोष निवारण हेतु पलाश के वृक्ष का भी महत्त्वपूर्ण स्थान माना जाता है। [[हिन्दू धर्म]] में इस वृक्ष का धार्मिक अनुष्ठानों में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। [[आयुर्वेद]] में पलाश वृक्ष के अनेक गुण बताए गए हैं और इसके पाँचों अंगों- 'तना', 'जड़', '[[फल]]', '[[फूल]]' और बीज से दवाएँ बनाने की विधियाँ दी गयी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पलाश वृक्ष]]
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| ||[[चित्र:Bamboo-herb.jpg|right|100px|बाँस]]'बाँस' [[भारत]] के अधिकांश क्षेत्रों में उगने वाली 'ग्रामिनीई कुल' की एक अत्यंत उपयोगी घास है। यह बीजों से धीरे-धीरे उगता है। [[मिट्टी]] में आने के प्रथम [[सप्ताह]] में ही बीज उगना आरंभ कर देता है। कुछ बाँसों में वृक्ष पर दो छोटे-छोटे अंकुर निकलते हैं। [[काग़ज़]] बनाने के लिए [[बाँस]] बहुत ही उपयोगी साधन है, जिससे बहुत ही कम देखभाल के साथ बहुत अधिक मात्रा में काग़ज़ बनाया जा सकता है। इस क्रिया में बहुत-सी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। फिर भी बाँस का काग़ज़ बनाना [[चीन]] एवं [[भारत]] का प्राचीन उद्योग है। [[हिन्दू धर्म]] के कई क्रियाकलापों में भी बाँस की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाँस]]
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| ||[[चित्र:Bael.JPG|right|100px|बेल वृक्ष]]'बिल्व', 'बेल' या 'बेलपत्थर' विश्व के कई हिस्सों में पाया जाता है। [[भारत]] में इस वृक्ष का [[पीपल]], [[नीम]], [[आम]], [[पारिजात]] और [[पलाश वृक्ष|पलाश]] आदि वृक्षों के समान ही बहुत अधिक सम्मान है। [[हिन्दू धर्म]] में [[बिल्व वृक्ष]] भगवान [[शिव]] की अराधना का मुख्य अंग है। धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है। मध्य व [[दक्षिण भारत]] में बिल्व वृक्ष घने जंगल के रूप में फैले हुए हैं और बड़ी संख्या में उगते हैं। इसके पेड़ प्राकृतिक रूप से [[भारत]] के अलावा [[नेपाल|दक्षिणी नेपाल]], [[श्रीलंका]], [[म्यांमार]], [[पाकिस्तान]], [[बांग्लादेश]], वियतनाम, लाओस, [[कंबोडिया]] एवं [[थाईलैंड]] में उगते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिल्व वृक्ष]]
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| {[[हिन्दू धर्म संस्कार|हिन्दू धर्म संस्कारों]] में दसवाँ संस्कार कौन-सा है? | | {[[हिन्दू धर्म संस्कार|हिन्दू धर्म संस्कारों]] में दसवाँ संस्कार कौन-सा है? |
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