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;काव्य प्रेमियों की जगह
;काव्य प्रेमियों की जगह
इस जगह को काव्य प्रेमियों की भी जगह कहा गया है। ये जगह बहुत ही शांत और निर्मल है। यहाँ के बारे में ये भी कहा जाता है की ये एक धीमी गति की जगह है। यहाँ जाकर व्यक्ति आसानी से अपना आत्म-विश्लेषण कर सकता है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है की ये जगह व्यक्ति को उसका आत्म-विश्लेषण करने में मदद करती है।  
इस जगह को काव्य प्रेमियों की भी जगह कहा गया है। ये जगह बहुत ही शांत और निर्मल है। यहाँ के बारे में ये भी कहा जाता है की ये एक धीमी गति की जगह है। यहाँ जाकर व्यक्ति आसानी से अपना आत्म-विश्लेषण कर सकता है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है की ये जगह व्यक्ति को उसका आत्म-विश्लेषण करने में मदद करती है।  

10:44, 2 जनवरी 2018 का अवतरण

सावंतवाड़ी महाराष्ट्र के दक्षिण-पश्चिम में बसे सिंधुदुर्ग ज़िले में एक छोटा-सा शहर है। इस शहर का नाम 'सावंतवाड़ी' यहाँ रहने वाले शासकों खेम-सावंत के वंश के बाद रखा गया था। ये यहाँ का शाही परिवार था और इसी परिवार के सम्मान के लिए इस जगह का नाम 'सावंतवाड़ी' पड़ा। हरे भरे घने जंगल, ख़ूबसूरत झीलें और विशाल पर्वत शृंखलाओं के अलावा कोंकण बेल्ट सावंतवाड़ी को एक बहुत ही आकर्षक पर्यटक स्थल बनाती है। महाराष्ट्र के इस शहर की रचना जितनी जटिल है, इसका सांस्कृतिक रंग उतना ही सुन्दर और मनमोहक है।

पर्यटन स्थल

घूमने के लिए एक आदर्श स्थल के रूप में सावंतवाड़ी प्रसिद्ध है। यह पूरी तरह से कोंकण स्वाद को दर्शाने वाली जगह है और ये गोवा के विश्व प्रसिद्ध समुद्र तट से बस कुछ ही दूर है। जब भी पर्यटक गोवा आएँ तो उन्हें इस जगह पर भी ज़रूर आना चाहिए। सावंतवाड़ी अपने पूर्व पश्चिम में अरब सागर पर पश्चिमी घाट से जुड़ा है।[1]

काव्य प्रेमियों की जगह

इस जगह को काव्य प्रेमियों की भी जगह कहा गया है। ये जगह बहुत ही शांत और निर्मल है। यहाँ के बारे में ये भी कहा जाता है की ये एक धीमी गति की जगह है। यहाँ जाकर व्यक्ति आसानी से अपना आत्म-विश्लेषण कर सकता है। दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है की ये जगह व्यक्ति को उसका आत्म-विश्लेषण करने में मदद करती है।

निवासी

पहले सावंतवाड़ी मराठा साम्राज्य का एक अभिन्‍न अंग था। इसे मराठा साम्राज्य का केंद्र बिंदु कहा जाता था। बाद में ये एक अलग रियासत बन गई और मलवानियों के हाथ में आ गई। यहाँ के लोग अपनी संस्कृति, कला और शिल्प के कुशल हैं। इसके साथ ही यहाँ के लोग अपेक्षाकृत धीमा और शांत जीवन जीते हैं। यहाँ की जनसंख्या में मराठा लोगों की तादाद ज्यादा है। साथ ही यहाँ कोंकणी ब्राह्मण, दलित और मलवानी मुस्लिम भी अधिक मात्रा में रहते हैं।

खान-पान

भालेराव खानावल सावंतवाड़ी का प्रमुख खान-पान वाल स्थान है। इस जगह पर आकर पर्यटक पारंपरिक कोंकणी भोजन का लुत्फ़ ले सकते हैं। यहाँ बनने वाले भोजन में नारियल का इस्तेमाल प्रचुरता से किया जाता है, क्योंकि नारियल यहाँ का मुख्य भोजन है।

संस्कृति

सावंतवाड़ी में पर्यटक घूमने और मौज-मस्ती के अतिरिक्त कला और शिल्प की बेजोड़ वस्तुओं की ख़रीदारी भी कर सकते है। ये सामान यहाँ के घरों में छोटे कारखाने स्थापित करके बनाया जाता है। यहाँ मिलने वाला ज़्यादातर सामान लकड़ी का होता है, जिसमें खिलौने, कलाकृतियाँ, पेंटिंग्स और अन्य कलाकृति शामिल हैं। यहाँ आने वाले पर्यटकों को कई सामान ऐसे भी मिल जाएँगे, जिसमें बाँस की लकड़ी का इस्तेमाल होता है। ये सामान बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ बनाए जाते हैं, जो किसी का भी मन मोह सकते हैं।

भाषाएँ

सावंतवाड़ी में बोली जाने वाली लोकप्रिय भाषाओं कोंकणी, मराठी, उर्दू और अंग्रेज़ी हैं। यदि व्यक्ति वन्य जीवो से मोह रखता है तो यहाँ आकर जंगली बिसन्स, तेंदुआ, जंगली सूअर और बाघों को देखना बड़ा रोमांचकारी है। साथ ही प्रकृति प्रेमियों को यहाँ उगने वाली जड़ी-बूटियों और औषधीय वृक्ष अपनी तरफ़ आकर्षित करते हैं। यहाँ आने वालों को ग्रामीण भारत की एक झलक साफ़ दिखती है।

अन्य पर्यटन स्थल

यहाँ आने वाले पर्यटकों को मोती तलाब और रॉयल पैलेस अवश्य घूमना चाहिए। साथ ही अत्मेश्वर तली, नरेन्द्र गार्डन, हनुमान मंदिर, अम्बोली हिल स्टेशन, विट्ठल मंदिर घूमने के नजरिये से इस जगह की सैर को और भी ख़ास बनाया जा सकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सावंतवाड़ी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 02 जनवरी, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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