"खडूर का मिरगी रोग वाला शराबी": अवतरणों में अंतर
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13:48, 21 मार्च 2014 का अवतरण
खडूर का मिरगी रोग वाला शराबी गुरु अंगद देव की साखियों में से तीसरी साखी है।
साखी
खडूर के चौधरी को मिरगी का रोग था। वह शराब का बहुत सेवन करता था। एक दिन गुरु जी के पास आकर विनती करने लगा कि आप तो सब रोगियों का रोग दूर कर देते हो, आप मुझे भी ठीक कर दो। लोगों की बातों पर मुझे विश्वास तब आएगा जब मेरा मिरगी का रोग दूर हो जायेगा। गुरु जी कहने लगे चौधरी! अगर तू शराब पीना छोड़ दे तो तेरा मिरगी रोग दूर हो जायेगा पर यदि तू फिर शराब पीने लग गया तो यह रोग तुझे फिर लग जायेगा। चौधरी गुरु जी को शराब ना पीने का वचन देकर चला गया। उसे फिर मिरगी का रोग ना हुआ।
समय बीतता गया। एक दिन उसने फिर शराब पी ली और शराबी होकर अपने मकान की छत पर चढ़ गया। छत से ही गुरु जी की तरफ मुख करके जोर-जोर से कहने लगा, गुरु जी मैंने आज फिर शराब पी ली है मुझे कोई मिरगी का रोग नहीं हुआ। गुरु जी कहने लगे, सावधान हो जाओ तुम्हें मिरगी का रोग लग चुका है। तब उसी ही पल चौधरी को मिरगी का दौरा पड़ा। वह अपनी छत से उलटकर नीचे आ गिरा और उसकी मौत हो गई। इस तरह वह चौधरी गुरु जी के वचनों को भुलाकर, मनमत में आकर अपनी ज़िंदगी से ही हाथ धो बैठा।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ खडूर का मिरगी रोग वाला शराबी (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) आध्यात्मिक जगत। अभिगमन तिथि: 23 मार्च, 2013।
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