"प्रेम धवन": अवतरणों में अंतर
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'''प्रेम धवन''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Prem Dhawan'', जन्म: [[13 जून]], [[1923]] - मृत्यु: [[7 मई]], [[2001]]) [[हिंदी सिनेमा]] जगत के मशहूर गीतकार थे। इन्होंने हिन्दी | '''प्रेम धवन''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Prem Dhawan'', जन्म: [[13 जून]], [[1923]] - मृत्यु: [[7 मई]], [[2001]]) [[हिंदी सिनेमा]] जगत के मशहूर गीतकार थे। इन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कई मशहूर गीत लिखे। प्रेम धवन ना केवल गीतकार थे, वरन इन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कुछ फ़िल्मों में संगीत भी दिया, नृत्य निर्देशन भी किया और अभिनय भी किया। प्रेम धवन ने पंरवि शंकर से संगीत एवं [[उदय शंकर|पंडित उदय शंकर]] से [[नृत्य]] की शिक्षा ली। [[भारत सरकार]] ने प्रेम धवन को [[1970]] में [[पद्मश्री]] पुरस्कार से सम्मानित किया। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
हिन्दी | हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को [[अम्बाला]] में हुआ और [[लाहौर]] के एफ़सी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की। मशहूर गीतकार [[साहिर लुधियानवी]] इनके सहपाठी थे और [[भारत]] के पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[इंद्रकुमार गुजराल]] सीनियर छात्र थे। साहिर लुधियानवी और प्रेम धवन यूनियन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। कॉलेज की [[पत्रिका]] में दोनों ने जमकर लिखा। साहिर लुधियानवी [[ग़ज़ल]] रचते थे और प्रेम धवन, गीत लिखते थे।<ref name="wdh"/> | ||
==कॅरियर== | ==कॅरियर== | ||
प्रेम धवन आगे चलकर [[कांग्रेस]] पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक [[नृत्य]] और [[संगीत]] का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 | प्रेम धवन आगे चलकर [[कांग्रेस]] पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक [[नृत्य]] और [[संगीत]] का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 फ़िल्मों में नृत्य निर्देशन किया। फ़िल्म ‘[[नया दौर]]’ का उड़े जब-जब जुल्फें तेरी- प्रेम धवन के ही निर्देशन का कमाल था। फ़िल्म ‘[[दो बीघा ज़मीन]]’ के गीत ‘हरियाला सावन ढोल बजाता आया’ में तो प्रेम थिरके भी हैं। जब थिएटर ग्रुप असमय ही बिखरा, तो लेखिका [[इस्मत चुगताई]] बॉम्बे टॉकीज ले गईं। जहाँ फ़िल्म ‘जिद्दी’ के लिए पहला ब्रेक मिला। गायिका [[लता मंगेशकर]] का ‘चंदा जा रे जा रे...’ पहला हिट इसी फ़िल्म में था। यहाँ से बॉम्बे टॉकीज ने गीत लेखन और नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया। अनुबंध के बाद जब स्वतंत्र लेखन किया, तब संगीतकार [[अनिल बिस्वास]], [[सलिल चौधरी]], [[मदन मोहन]] और चित्रगुप्त के साथ अच्छा तालमेल रहा। आखिरी बार प्रेम ने फ़िल्म ‘अप्पूराजा’ के लिए लिखा।<ref name="wdh">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE-%E0%A4%A7%E0%A4%B5%E0%A4%A8-%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A5%87%E0%A4%82/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE-%E0%A4%A7%E0%A4%B5%E0%A4%A8-%E0%A4%89%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A4%AC-%E0%A4%9C%E0%A4%AC-%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80-1080507018_1.htm |title=प्रेम धवन : उड़ें जब-जब जुल्फें तेरी |accessmonthday=4 जनवरी |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी}} </ref> | ||
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प्रेम धवन भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े। | प्रेम धवन भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े। फ़िल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फ़िल्म ‘एक साल’ में नायिका, नायक [[अशोक कुमार]] को चाहती है। जब नायक महसूस करता है और लौटकर आता है तब वह कैंसर की मरीज होकर मृत्युशैया पर है। इसे अपने दिल की गहराई में उतारकर उन्होंने रचा- | ||
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सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया | सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया |
13:03, 4 जनवरी 2014 का अवतरण
प्रेम धवन
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पूरा नाम | प्रेम धवन |
जन्म | 13 जून, 1923 |
जन्म भूमि | अम्बाला, पंजाब |
मृत्यु | 7 मई, 2001 |
मृत्यु स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
कर्म-क्षेत्र | गीतकार, संगीतकार, नृत्य निर्देशक |
मुख्य रचनाएँ | चंदा मामा दूर के, ऐ मेरे प्यारे वतन, छोड़ो कल की बातें, ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम, मेरा रंग दे बसंती चोला आदि |
मुख्य फ़िल्में | रात के अंधेरे में (1969), पवित्र पापी (1970), नया दौर, जिद्दी, शहीद |
शिक्षा | स्नातक |
विद्यालय | एफ़सी कॉलेज, लाहौर |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी इनके सहपाठी थे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सीनियर छात्र थे। |
प्रेम धवन (अंग्रेज़ी:Prem Dhawan, जन्म: 13 जून, 1923 - मृत्यु: 7 मई, 2001) हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर गीतकार थे। इन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कई मशहूर गीत लिखे। प्रेम धवन ना केवल गीतकार थे, वरन इन्होंने हिन्दी फ़िल्मों के लिये कुछ फ़िल्मों में संगीत भी दिया, नृत्य निर्देशन भी किया और अभिनय भी किया। प्रेम धवन ने पंरवि शंकर से संगीत एवं पंडित उदय शंकर से नृत्य की शिक्षा ली। भारत सरकार ने प्रेम धवन को 1970 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।
जीवन परिचय
हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को अम्बाला में हुआ और लाहौर के एफ़सी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की। मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी इनके सहपाठी थे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सीनियर छात्र थे। साहिर लुधियानवी और प्रेम धवन यूनियन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। कॉलेज की पत्रिका में दोनों ने जमकर लिखा। साहिर लुधियानवी ग़ज़ल रचते थे और प्रेम धवन, गीत लिखते थे।[1]
कॅरियर
प्रेम धवन आगे चलकर कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक नृत्य और संगीत का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 फ़िल्मों में नृत्य निर्देशन किया। फ़िल्म ‘नया दौर’ का उड़े जब-जब जुल्फें तेरी- प्रेम धवन के ही निर्देशन का कमाल था। फ़िल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ के गीत ‘हरियाला सावन ढोल बजाता आया’ में तो प्रेम थिरके भी हैं। जब थिएटर ग्रुप असमय ही बिखरा, तो लेखिका इस्मत चुगताई बॉम्बे टॉकीज ले गईं। जहाँ फ़िल्म ‘जिद्दी’ के लिए पहला ब्रेक मिला। गायिका लता मंगेशकर का ‘चंदा जा रे जा रे...’ पहला हिट इसी फ़िल्म में था। यहाँ से बॉम्बे टॉकीज ने गीत लेखन और नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया। अनुबंध के बाद जब स्वतंत्र लेखन किया, तब संगीतकार अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, मदन मोहन और चित्रगुप्त के साथ अच्छा तालमेल रहा। आखिरी बार प्रेम ने फ़िल्म ‘अप्पूराजा’ के लिए लिखा।[1]
लोकप्रिय गीत
- बोल पपीहे बोल रे (आरजू)
- सीने में सुलगते हैं अरमाँ (तराना)
- चंदा मामा दूर के (वचन)
- दिन हो या रात हम रहें तेरे साथ (मिस बॉम्बे)
- जिंदगी भर गम जुदाई का (मिस बॉम्बे)
- छोड़ो कल की बातें (हम हिन्दुस्तानी)
- अँखियन संग अँखियाँ लागी (बड़ा आदमी)
- ऐ मेरे प्यारे वतन (काबुलीवाला)
- तेरी दुनिया से दूर चले हो के मजबूर (जबक)
- महलों ने छीन लिया बचपन का (जबक)
- ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम (शहीद)
- मेरा रंग दे बसंती चोला (शहीद)
- तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला (पवित्र पापी)
लेखन शैली
प्रेम धवन भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े। फ़िल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फ़िल्म ‘एक साल’ में नायिका, नायक अशोक कुमार को चाहती है। जब नायक महसूस करता है और लौटकर आता है तब वह कैंसर की मरीज होकर मृत्युशैया पर है। इसे अपने दिल की गहराई में उतारकर उन्होंने रचा-
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया
ले-ले के हार फूलों का आई तो थी बहार
नजरें उठा के हमने ही देखा न एक बार...
आँखों से अब ये पर्दे हटाए तो क्या किया।[1]
निधन
7 मई, 2001 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में प्रेम धवन हृदयाघात (हार्ट अटैक) में चल बसे। दिल को छू लेने वाले गीतों में प्रेम की याद हमेशा बनी रहेगी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 प्रेम धवन : उड़ें जब-जब जुल्फें तेरी (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 4 जनवरी, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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