"सरला देवी": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | |||
|चित्र=Sarla-Devi.jpg | |||
|चित्र का नाम=सरला देवी | |||
|पूरा नाम=सरला देवी | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=1827 | |||
|जन्म भूमि= | |||
|मृत्यु=[[1945]] | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|अविभावक=स्वर्ण कुमारी (माता) | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान=दीपक चौधरी<ref name="aa"/> | |||
|गुरु= | |||
|कर्म भूमि=[[भारत]] | |||
|कर्म-क्षेत्र= | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|विषय= | |||
|खोज= | |||
|भाषा= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय= | |||
|पुरस्कार-उपाधि= | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|अन्य जानकारी=[[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' ([[1911]]) में सरला देवी ने भाग लिया था और [[भारत]] के राष्ट्रगीत '[[वन्दे मातरम्]]' प्रथम बार का उद्घोष किया। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''सरला देवी''' ([[अंग्रेज़ी]]: Sarla Devi; जन्म- 1827; मृत्यु- [[1945]]) [[कवि]] के रूप में ख्यातिप्राप्त [[रबीन्द्रनाथ टैगोर|गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर]] की भांजी थीं। [[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' ([[1911]]) में इन्होंने भाग लिया था और [[भारत]] के राष्ट्रगीत '[[वन्दे मातरम्]]' का उद्घोष किया। अपने कई महत्त्वपूर्ण कार्यों से सरला देवी ने काफ़ी अच्छी लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी। | '''सरला देवी''' ([[अंग्रेज़ी]]: Sarla Devi; जन्म- 1827; मृत्यु- [[1945]]) [[कवि]] के रूप में ख्यातिप्राप्त [[रबीन्द्रनाथ टैगोर|गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर]] की भांजी थीं। [[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' ([[1911]]) में इन्होंने भाग लिया था और [[भारत]] के राष्ट्रगीत '[[वन्दे मातरम्]]' का उद्घोष किया। अपने कई महत्त्वपूर्ण कार्यों से सरला देवी ने काफ़ी अच्छी लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी। | ||
==जन्म तथा शिक्षा== | ==जन्म तथा शिक्षा== | ||
सरला देवी का जन्म 1827 ई. में हुआ था। स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरला देवी ने [[बंगाल]] के सुप्रसिद्ध पत्र 'भारती' का सम्पादन कार्य सँभाला। [[वर्ष]] [[1905]] ई. के [[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' में उन्होंने भाग लिया एवं पहली बार '[[वन्दे मातरम्]]' का घोष किया था। तभी से यह नारा भारतीय क्रांतिकारियों का युद्ध घोष बन गया। | सरला देवी का जन्म 1827 ई. में हुआ था। ये [[रबींद्रनाथ टैगोर]] की बड़ी बहन 'स्वर्ण कुमारी' की बेटी थीं।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.thepatrika.com/NewsPortal/h?cID=sJY3t4ACIHM%3D |title=महात्मा गाँधी और सरला देवी|accessmonthday= 08 फ़रवरी|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरला देवी ने [[बंगाल]] के सुप्रसिद्ध पत्र 'भारती' का सम्पादन कार्य सँभाला। [[वर्ष]] [[1905]] ई. के [[कांग्रेस]] के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' में उन्होंने भाग लिया एवं पहली बार '[[वन्दे मातरम्]]' का घोष किया था। तभी से यह नारा भारतीय क्रांतिकारियों का युद्ध घोष बन गया। | ||
====विवाह==== | ====विवाह==== | ||
सरला देवी का [[विवाह]] [[1905]] ई. में [[पंजाब]] के रामभुज दत्त चौधरी के साथ हुआ। इस विवाह से उनका कार्य क्षेत्र विस्तृत होकर पंजाब तक फैल गया था। | सरला देवी का [[विवाह]] [[1905]] ई. में [[पंजाब]] के रामभुज दत्त चौधरी के साथ हुआ। इस विवाह से उनका कार्य क्षेत्र विस्तृत होकर पंजाब तक फैल गया था। सरला देवी का एक बेटा भी था, जिसका नाम दीपक चौधरी था। | ||
==उत्सवों का आरम्भ== | ==उत्सवों का आरम्भ== | ||
सरला देवी ने [[लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]] द्वारा [[महाराष्ट्र]] में आयोजित 'गणपति' एवं 'शिवाजी' उत्सवों की तरह बंगाल में भी दो उत्सव प्रारम्भ किए थे। | सरला देवी ने [[लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक]] द्वारा [[महाराष्ट्र]] में आयोजित 'गणपति' एवं 'शिवाजी' उत्सवों की तरह बंगाल में भी दो उत्सव प्रारम्भ किए थे। | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 50: | ||
[[पंजाब]] में सरला देवी ने [[उर्दू]] एवं [[अंग्रेज़ी]] भाषा के दो पत्रों का सम्पादन किया। | [[पंजाब]] में सरला देवी ने [[उर्दू]] एवं [[अंग्रेज़ी]] भाषा के दो पत्रों का सम्पादन किया। | ||
==क्रांतिकारियों की मदद== | ==क्रांतिकारियों की मदद== | ||
[[1919]] ई. में '[[रौलट एक्ट]]' का विरोध करने पर सरला देवी के पति को आजीवन कारावास हो गया, परंतु जन-सामान्य में लोकप्रिय सरला देवी को गिरफ़्तार करने का साहस [[अंग्रेज़]] सरकार न कर सकी। पति की गिरफ़्तारी के बाद वे गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की मदद करती रहीं। डॉ. मजूमदार के अनुसार- "सरला देवी बीसवीं [[सदी]] के दूसरे एवं तीसरे दशकों में बंगाल और पंजाब के क्रांतिकारियों के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी बन गई थीं।" | [[1919]] ई. में '[[रौलट एक्ट]]' का विरोध करने पर सरला देवी के पति को आजीवन कारावास हो गया, परंतु जन-सामान्य में लोकप्रिय सरला देवी को गिरफ़्तार करने का साहस [[अंग्रेज़]] सरकार न कर सकी। पति की गिरफ़्तारी के बाद वे गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की मदद करती रहीं। सरला देवी के पति जब जेल में थे, तब उन्होंने सरला देवी को [[महात्मा गांधी]] के घर पर रहने के लिए कहा था।<ref name="aa"/> | ||
*डॉ. मजूमदार के अनुसार- "सरला देवी बीसवीं [[सदी]] के दूसरे एवं तीसरे दशकों में बंगाल और पंजाब के क्रांतिकारियों के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी बन गई थीं।" | |||
====निधन==== | ====निधन==== | ||
[[वर्ष]] [[1945]] ई. में अस्वस्थता के कारण सरला देवी का निधन हो गया। | [[वर्ष]] [[1945]] ई. में अस्वस्थता के कारण सरला देवी का निधन हो गया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
12:50, 8 फ़रवरी 2014 का अवतरण
सरला देवी
| |
पूरा नाम | सरला देवी |
जन्म | 1827 |
मृत्यु | 1945 |
संतान | दीपक चौधरी[1] |
कर्म भूमि | भारत |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | कांग्रेस के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' (1911) में सरला देवी ने भाग लिया था और भारत के राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' प्रथम बार का उद्घोष किया। |
सरला देवी (अंग्रेज़ी: Sarla Devi; जन्म- 1827; मृत्यु- 1945) कवि के रूप में ख्यातिप्राप्त गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की भांजी थीं। कांग्रेस के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' (1911) में इन्होंने भाग लिया था और भारत के राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' का उद्घोष किया। अपने कई महत्त्वपूर्ण कार्यों से सरला देवी ने काफ़ी अच्छी लोकप्रियता प्राप्त कर ली थी।
जन्म तथा शिक्षा
सरला देवी का जन्म 1827 ई. में हुआ था। ये रबींद्रनाथ टैगोर की बड़ी बहन 'स्वर्ण कुमारी' की बेटी थीं।[1] स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरला देवी ने बंगाल के सुप्रसिद्ध पत्र 'भारती' का सम्पादन कार्य सँभाला। वर्ष 1905 ई. के कांग्रेस के ऐतिहासिक 'बनारस अधिवेशन' में उन्होंने भाग लिया एवं पहली बार 'वन्दे मातरम्' का घोष किया था। तभी से यह नारा भारतीय क्रांतिकारियों का युद्ध घोष बन गया।
विवाह
सरला देवी का विवाह 1905 ई. में पंजाब के रामभुज दत्त चौधरी के साथ हुआ। इस विवाह से उनका कार्य क्षेत्र विस्तृत होकर पंजाब तक फैल गया था। सरला देवी का एक बेटा भी था, जिसका नाम दीपक चौधरी था।
उत्सवों का आरम्भ
सरला देवी ने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र में आयोजित 'गणपति' एवं 'शिवाजी' उत्सवों की तरह बंगाल में भी दो उत्सव प्रारम्भ किए थे।
- सम्पादन कार्य
पंजाब में सरला देवी ने उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषा के दो पत्रों का सम्पादन किया।
क्रांतिकारियों की मदद
1919 ई. में 'रौलट एक्ट' का विरोध करने पर सरला देवी के पति को आजीवन कारावास हो गया, परंतु जन-सामान्य में लोकप्रिय सरला देवी को गिरफ़्तार करने का साहस अंग्रेज़ सरकार न कर सकी। पति की गिरफ़्तारी के बाद वे गुप्त रूप से क्रांतिकारियों की मदद करती रहीं। सरला देवी के पति जब जेल में थे, तब उन्होंने सरला देवी को महात्मा गांधी के घर पर रहने के लिए कहा था।[1]
- डॉ. मजूमदार के अनुसार- "सरला देवी बीसवीं सदी के दूसरे एवं तीसरे दशकों में बंगाल और पंजाब के क्रांतिकारियों के बीच की महत्त्वपूर्ण कड़ी बन गई थीं।"
निधन
वर्ष 1945 ई. में अस्वस्थता के कारण सरला देवी का निधन हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 महात्मा गाँधी और सरला देवी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 08 फ़रवरी, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख