"लघु अनन्तवीर्य": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(नया पन्ना: {{Menu}} ==लघु अनन्तवीर्य / Laghu Anantvirya== *इन्होंने माणिक्यनन्दि के परीक्षाम...) |
छो (1 अवतरण) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:29, 25 मार्च 2010 का अवतरण
लघु अनन्तवीर्य / Laghu Anantvirya
- इन्होंने माणिक्यनन्दि के परीक्षामुख पर मध्यम परिमाण की विशद एवं सरल वृत्ति लिखी है, जिसे 'प्रमेयरत्नमाला' कहा जाता है।
- विद्यार्थियों और जैन न्याय के विज्ञासुओं के लिए यह बड़ी उपयोग एवं बोधप्रद है।
- इन्होंने परीक्षामुख को अकलंकदेव के दुरुगाह न्यायग्रन्थसमुच्चयरूप समुद्र का मन्थन करके निकाला गया 'न्यायविद्यामृत' बतलाया है।
- वस्तुत: अनन्तवीर्य का यह कथन काल्पनिक नहीं है।
- हमने 'परीक्षामुख और उसका उद्गम' शीर्षक लेख में अनुसन्धान पूर्वक विमर्श किया है, और यथार्थ में 'परीक्षामुख' अकलंक के न्याय-ग्रन्थों का दोहन है।
- विद्यानन्द के ग्रन्थों का भी उस पर प्रभाव रहा है।
- इनका समय वि0 सं0 की 12वीं शती है।