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*'[[बीसलदेव रासो]]' की रचना चौदहवीं शती विक्रमी की मानी जाती है। इसलिए नरपति नाल्ह का समय भी इसी के आस-पास का माना जा सकता है। | *'[[बीसलदेव रासो]]' की रचना चौदहवीं शती विक्रमी की मानी जाती है। इसलिए नरपति नाल्ह का समय भी इसी के आस-पास का माना जा सकता है। | ||
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13:46, 30 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
नरपति नाल्ह राजस्थान के प्रसिद्ध कवियों में से एक थे। वे पुरानी पश्चिमी राजस्थानी भाषा की सुप्रसिद्ध रचना 'बीसलदेव रासो' के रचयिता कवि थे।
- अपनी रचना 'बीसलदेव रासो' में नरपति नाल्ह ने स्वयं को कहीं पर 'नरपति' लिखा है तो कहीं 'नाल्ह'।
- ऐसा सम्भव हो सकता है कि 'नरपति' उनकी उपाधि रही हो और 'नाल्ह' उनका नाम हो।
- नरपति नाल्ह के जीवन से जुड़ी अधिकांश बातें, जैसे- कि उनका समय कब का है और वे कहाँ के निवासी थे, आदि अज्ञात हैं।
- 'बीसलदेव रासो' की रचना चौदहवीं शती विक्रमी की मानी जाती है। इसलिए नरपति नाल्ह का समय भी इसी के आस-पास का माना जा सकता है।
- नरपति नाल्ह को डिंगल का प्रसिद्ध कवि माना जाता है।
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