"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/6": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
-नरसी मेहता | -नरसी मेहता | ||
{ध्वनि-मयी कर के गिरि-कंदरा,कलित-कानन-केलि-निकुंज को। | {ध्वनि-मयी कर के गिरि-कंदरा,कलित-कानन-केलि-निकुंज को।<br /> | ||
उपरोक्त पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-16 | उपरोक्त पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-16 | ||
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पंक्ति 112: | पंक्ति 112: | ||
-[[संस्कृत]] | -[[संस्कृत]] | ||
{दिवसावसान का समय | {<poem>दिवसावसान का समय | ||
मेघमय आसमान से उत्तर रही है | मेघमय आसमान से उत्तर रही है | ||
वह संध्या-सुन्दरी परी सी | वह संध्या-सुन्दरी परी सी | ||
धीरे-धीरे-धीरे। | धीरे-धीरे-धीरे।</poem> | ||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-7 | प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-7 | ||
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पंक्ति 333: | पंक्ति 333: | ||
-अद्भुत रस | -अद्भुत रस | ||
{अति मलीन वृषभानुकुमारी। | {<poem>अति मलीन वृषभानुकुमारी। | ||
अधोमुख रहति, उरध नहिं चितवत, ज्यों गथ हारे थकित जुआरी। | अधोमुख रहति, उरध नहिं चितवत, ज्यों गथ हारे थकित जुआरी। | ||
छूटे चिहुर बदन कुम्हिलानो, ज्यों नलिनी हिमकर की मारी॥ | छूटे चिहुर बदन कुम्हिलानो, ज्यों नलिनी हिमकर की मारी॥</poem> | ||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-10 | प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-10 | ||
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पंक्ति 408: | पंक्ति 408: | ||
-कादिरी सम्प्रदाय | -कादिरी सम्प्रदाय | ||
{नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल। | {<poem>नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल। | ||
अली कली ही सौं बिध्यौं, आगे कौन हवाल॥ | अली कली ही सौं बिध्यौं, आगे कौन हवाल॥</poem> | ||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-11 | प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-11 | ||
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पंक्ति 424: | पंक्ति 424: | ||
-कान का कमजोर होना | -कान का कमजोर होना | ||
{सुन सिय सत्य असीस हमारी। | {<poem>सुन सिय सत्य असीस हमारी। | ||
पूजहि मन कामना तुम्हारी॥ | पूजहि मन कामना तुम्हारी॥</poem> | ||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[छन्द]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-171;प्रश्न-07 | प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[छन्द]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-171;प्रश्न-07 | ||
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पंक्ति 484: | पंक्ति 484: | ||
-दोहावली | -दोहावली | ||
{कबिरा सोई पीर है, जे जाने पर पीर। | {<poem>कबिरा सोई पीर है, जे जाने पर पीर। | ||
जे पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर। | जे पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर।</poem> | ||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-12 | प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-12 | ||
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-भाग जाना | -भाग जाना | ||
{निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति कौ मूल। | {<poem>निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति कौ मूल। | ||
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय कौ शूल॥ | बिन निज भाषा ज्ञान के मिटे न हिय कौ शूल॥</poem> | ||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[छन्द]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-171;प्रश्न-08 | प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[छन्द]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-171;प्रश्न-08 | ||
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पंक्ति 594: | पंक्ति 594: | ||
-पानी-पानी होना | -पानी-पानी होना | ||
-पानी भरना | -पानी भरना | ||
{वसन्ततलिका में मात्राओं की संख्या होती है-(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-388प्रश्न-194 | |||
|type="()"} | |||
-प्रत्येक चरण में 13-11 मात्राएँ | |||
-प्रत्येक चरण में 12-13 मात्राएँ | |||
+प्रत्येक चरण में 14-14 मात्राएँ | |||
-प्रत्येक चरण में 12-12 मात्राएँ | |||
{'तुम विद्युत बन आओ पाहुन, मेरे नयनों पर पग धर-धर'।<br /> | |||
उपरोक्त पंक्तियाँ किसके द्वारा लिखी गईं?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-15प्रश्न-158 | |||
|type="()"} | |||
+[[महादेवी वर्मा]] | |||
-[[मीरा]] | |||
-श्रीनरेश मेहता | |||
-लीलाधर जगूड़ी | |||
{व्यंजना शक्ति का कार्य क्या है?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-47प्रश्न-518 | |||
|type="()"} | |||
-मूल अर्थ को व्यक्त करना | |||
-प्रयोजन को व्यक्त करना | |||
-मुख्यार्थ की व्याख्या करना | |||
+मुख्यार्थ में छिपे अकथित अर्थ को व्यक्त करना | |||
{सातवें आलवार संत कौन थे?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-60प्रश्न-41 | |||
|type="()"} | |||
-काठकोय | |||
-नम्म | |||
-आण्डाल | |||
+कुलशेखर | |||
{'श्री सम्प्रदाय' के प्रथम आचार्य कौन थे?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-72प्रश्न-326 | |||
|type="()"} | |||
-[[रामानुज]] | |||
-राघवानंद | |||
+श्री रंगनाथ मुनि | |||
-[[रामानंद]] | |||
{'पट-पीत मानहुं तड़ित रुचि, सुचि नौमी जनक सुतावरं' में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-14 | |||
|type="()"} | |||
+उपमा | |||
-रूपक | |||
-उत्प्रेक्षा | |||
-यमक | |||
{'दाँतों तले उँगली दबाना' इस मुहावरे का सही अर्थ होगा-(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-141;प्रश्न-118 | |||
|type="()"} | |||
-बहुत पछताना | |||
-चुप रह जाना | |||
+हैरान होना | |||
-दर्द महसूस करना | |||
{निम्नलिखित में से अशुद्ध वाक्य कौन-सा है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-171;प्रश्न-10 | |||
|type="()"} | |||
+देखो शत्रु दौड़ रहा है | |||
-मैंने आम खाया | |||
-लड़ाई में जीत हुई | |||
-वह जीत गया | |||
{‘महान’ का विलोम बताइए? (ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.स.-90;प्रश्न-44 | |||
|type="()"} | |||
+क्षुद्र | |||
-अनुचित | |||
-अल्प | |||
-नगण्य | |||
{आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने निम्न में से किसे प्रेमाख्यान काव्य परम्परा का प्रथम कवि माना?(ल्युसेन्ट सा.हिन्दी,पृ.सं.-313,प्रश्न-05 | |||
|type="()"} | |||
-मंझन | |||
-जायसी | |||
-मुल्ला दाऊद | |||
+कुतुबन | |||
{मनहरण कविन्त में मात्राओं की संख्या कितनी होती है?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-388प्रश्न-195 | |||
|type="()"} | |||
-क्रमश: 15 और 17 मात्राएँ | |||
+क्रमश: 16 और 15 मात्राएँ | |||
-क्रमश: 15 और 16 मात्राएँ | |||
-क्रमश: 11 और 13 मात्राएँ | |||
{[[अपभ्रंश]] को 'पुरानी हिन्दी' किसने कहा है?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-15प्रश्न-159 | |||
|type="()"} | |||
-जॉर्ज ग्रियर्सन | |||
-श्यामसुन्दरदास | |||
+चन्द्रधर शर्मा गुलेरी | |||
-[[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन 'विखंडनवाद' के प्रवर्तक हैं?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-47प्रश्न-519 | |||
|type="()"} | |||
+देरिदा | |||
-लीविस | |||
-फ़ूकोयामा | |||
-ग्राम्शी | |||
{आलवार संख्या में कितने थे?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-60प्रश्न-42 | |||
|type="()"} | |||
-दस | |||
+बारह | |||
-आठ | |||
-ग्यारह | |||
{निम्नलिखित में से कौन-सी [[रामानंद]] की रचना नहीं है?(यू.जी.सी.हिन्दी सामान्य ज्ञान;पृ.सं.-72प्रश्न-327 | |||
|type="()"} | |||
-वैष्णव मताब्द भास्कर | |||
-श्री रामार्जुन पद्धति | |||
-रामरक्षा स्त्रोत | |||
+शृंगार रस मंडन | |||
{<poem>रहिमन जो गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। | |||
बारे उजियारै लगै, बढ़ै अंधेरो होय॥</poem> | |||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[अलंकार]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-178;प्रश्न-15 | |||
|type="()"} | |||
-उपमा | |||
-रूपक | |||
-यमक | |||
+श्लेश | |||
{'आँखों पर चर्बी छाना' का अर्थ है-(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-141;प्रश्न-119 | |||
|type="()"} | |||
-धोखा खाना | |||
-कुछ समझ न आना | |||
+अभिमान करना | |||
-निर्लज्ज होना | |||
{किसको पुकारे यहाँ रोकर अरण्य बीच, | |||
चाहे जो करो शरण्य शरण तिहारे हैं। | |||
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन-सा [[छन्द]] है?(ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.सं.-171;प्रश्न-11 | |||
|type="()"} | |||
-उल्लाला | |||
-छप्पय | |||
-[[रोला]] | |||
+घनाक्षरी | |||
{निम्न में से ‘धनवान’ का विलोम शब्द बताइए? (ल्युसेंट सा.हिंदी;पृ.स.-90;प्रश्न-45 | |||
|type="()"} | |||
+अकिंचन | |||
-किंकर | |||
-कंचन | |||
-धनाढ्य | |||
{आदिकालीन साहित्य में वीर रस की रचनाओं में किस भाषा का प्रयोग किया गया?(ल्युसेन्ट सा.हिन्दी,पृ.सं.-313,प्रश्न-03 | |||
|type="()"} | |||
-पिंगल | |||
-बुन्देली | |||
+डिंगल | |||
-प्राकृत | |||
</quiz> | </quiz> | ||
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09:34, 6 जून 2014 का अवतरण
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