"कुंतल": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(''''कुंतल''' एक प्राचीन जनपद। 'महाभारत' में इस नाम के ती...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
नवनीत कुमार (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=कुन्तल|लेख का नाम=कुन्तल (बहुविकल्पी)}} | |||
'''कुंतल''' एक प्राचीन जनपद। '[[महाभारत]]' में इस नाम के तीन प्रदेशों का उल्लेख है- | '''कुंतल''' एक प्राचीन जनपद। '[[महाभारत]]' में इस नाम के तीन प्रदेशों का उल्लेख है- | ||
06:37, 16 जून 2016 का अवतरण
कुन्तल | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कुन्तल (बहुविकल्पी) |
कुंतल एक प्राचीन जनपद। 'महाभारत' में इस नाम के तीन प्रदेशों का उल्लेख है-
- मध्य देश में काशी-कोशल के निकट का क्षेत्र। समझा जाता है कि यह चुनार के आसपास का प्रदेश था।
- दक्षिण में कृष्णा नदी के निकट का क्षेत्र। अनेक पुराणों में कर्णाटक को कुंतल देश कहा गया है। अजंता के एक अभिलेख में वाकाटक नरेश के कुंतलेश्वर विजय का उल्लेख है। राजकेसरी वर्मा राजेंद्र चोल के कुंतलेश्वर विजय का उल्लेख है। राजकेसरी वर्मा राजेंद्र चोल के एक अभिलेख में कुंतलाधिप के पराभव की चर्चा है। मैसूर से मिले एक अभिलेख से ऐसा प्रतीत होता है कि वह कुंतल जनपद के अंतर्गत था।
- कोंकण के निकट का क्षेत्र। पश्चिमी चालुक्य वंश के अनेक अभिलेखों में उन्हें कुंतल-प्रभु कहा गया है।
- ग्यारहवीं बारहवीं शती के अनेक अभिलेखों में कुंतल देश का उल्लेख हुआ है, जिनसे अनुमान होता है कि इस देश के अंतर्गत भीमा और वेदवती नदी के काँठे तथा शिमोगा; चितल दुर्ग, बेलारी, धारवाड़, बीजापुर के ज़िले रहे होंगे।
- कुछ लोग कुंतल की अवस्थिति वर्तमान कोंकण प्रदेश के पूर्व, कोल्हापुर के उत्तर, हैदराबाद के पश्चिम कृष्णा मालपूर्वी और वर्धा नदी के काँठे तक तथा अदोनी ज़िले के दक्षिण मानते हैं।
- जो भी हो यह प्रदेश राजनीतिक दृष्टि से बड़े महत्त्व का रहा था। 'कौंतलेश्वर दूतम्' नामक काव्य के अनुसार चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कालिदास को एक बार वहाँ अपना राजदूत बनाकर भेजा था।[1]
|
|
|
|
|