"हिन्दी सामान्य ज्ञान 45": अवतरणों में अंतर
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-[[श्यामसुन्दर दास]] | -[[श्यामसुन्दर दास]] | ||
+[[जयशंकर प्रसाद]] | +[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|right|100px|जयशंकर प्रसाद]]कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास-सभी क्षेत्रों में | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|right|100px|जयशंकर प्रसाद]] [[कविता]], [[नाटक]], [[कहानी]], [[उपन्यास]]-सभी क्षेत्रों में जयशंकर प्रसाद एक नवीन 'स्कूल' और नवीन 'जीवन-दर्शन' की स्थापना करने में सफल हुये हैं। वे 'छायावाद' के संस्थापकों और उन्नायकों में से एक हैं। वैसे सर्वप्रथम कविता के क्षेत्र में इस नव-अनुभूति के वाहक वही रहे हैं, और प्रथम विरोध भी उन्हीं को सहना पड़ा है। भाषा-शैली और शब्द-विन्यास के निर्माण के लिये जितना संघर्ष प्रसाद जी को करना पड़ा है, उतना दूसरों को नहीं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{निम्न विकल्पों में से कौन-सा एक [[महाकाव्य]] नहीं है? | {निम्न विकल्पों में से कौन-सा एक [[महाकाव्य]] नहीं है? | ||
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+[[अवधी भाषा|अवधी]] | +[[अवधी भाषा|अवधी]] | ||
-[[मागधी भाषा|मागधी]] | -[[मागधी भाषा|मागधी]] | ||
||[[भारत]] में [[अवध]] क्षेत्र में बोली जाने वाली [[भाषा]] ' | ||[[भारत]] में [[अवध]] क्षेत्र में बोली जाने वाली [[भाषा]] 'अवधी भाषा' कहलाती है, जो [[हिन्दी]] की एक उपभाषा है। अवधी का प्राचीन [[साहित्य]] बड़ा संपन्न है। इसमें भक्तिकाव्य और प्रेमाख्यान काव्य दोनों का विकास हुआ है। भक्तिकाव्य का शिरोमणि [[ग्रंथ]] [[गोस्वामी तुलसीदास]] कृत ‘[[रामचरितमानस]]’ भी अवधी भाषा में ही लिखा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अवधी भाषा|अवधी]] | ||
{'[[पृथ्वीराज रासो]]' किस काल की रचना है? | {'[[पृथ्वीराज रासो]]' किस काल की रचना है? | ||
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{[[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] के सर्वोत्कृष्ट [[ग्रंथ]] का नाम क्या है? | {[[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] के सर्वोत्कृष्ट [[ग्रंथ]] का नाम क्या है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -आख़िरी सलाम | ||
-[[अखरावट]] | -[[अखरावट]] | ||
-[[मधुमालती]] | -[[मधुमालती]] | ||
+[[पद्मावत]] | +[[पद्मावत]] | ||
||'पद्मावत' मसनवी शैली में रचित एक प्रबंध काव्य है। इस [[महाकाव्य]] में कुल 57 खंड हैं। [[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] ने अपने इस श्रेष्ठ महाकाव्य की रचना [[दोहा]]-[[चौपाई|चौपाइयों]] में की है। जायसी [[संस्कृत]], [[अरबी भाषा|अरबी]] एवं [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के ज्ञाता थे, फिर भी उन्होंने अपने [[ग्रंथ]] की रचना ठेठ [[अवधी भाषा]] में की। इसी भाषा एवं शैली का प्रयोग बाद में [[गोस्वामी तुलसीदास]] ने अपने ग्रंथरत्न '[[ | ||'पद्मावत' मसनवी शैली में रचित एक [[प्रबंध काव्य]] है। इस [[महाकाव्य]] में कुल 57 खंड हैं। [[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]] ने अपने इस श्रेष्ठ महाकाव्य की रचना [[दोहा]]-[[चौपाई|चौपाइयों]] में की है। जायसी [[संस्कृत]], [[अरबी भाषा|अरबी]] एवं [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के ज्ञाता थे, फिर भी उन्होंने अपने [[ग्रंथ]] की रचना ठेठ [[अवधी भाषा]] में की। इसी भाषा एवं शैली का प्रयोग बाद में [[गोस्वामी तुलसीदास]] ने अपने ग्रंथरत्न '[[रामचरितमानस]]' में किया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पद्मावत]] | ||
{मनोविश्लेषणात्मक शैली के उपन्यासकार कौन हैं? | {मनोविश्लेषणात्मक शैली के [[उपन्यासकार]] कौन हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[प्रेमचंद]] | -[[प्रेमचंद]] | ||
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+[[इलाचन्द्र जोशी]] | +[[इलाचन्द्र जोशी]] | ||
-[[वृंदावनलाल वर्मा]] | -[[वृंदावनलाल वर्मा]] | ||
||[[चित्र:Ila-Chandra-Joshi.jpg|इलाचन्द्र जोशी|100px|right]]इलाचन्द्र जोशी का जन्म [[अल्मोड़ा]] में 1903 ई. में हुआ था। [[हिन्दी]] में मनोवैज्ञानिक उपन्यासों का आरम्भ श्री जोशी से ही होता है। जोशी जी ने अधिकांश साहित्यकारों की तरह अपनी साहित्यिक यात्रा काव्य-रचना से ही आरम्भ की। पर्वतीय-जीवन विशेषकर वनस्पतियों से आच्छादित अल्मोड़ा और उसके आस-पास के [[पर्वत]] शिखरों ने और [[हिमालय]] के जलप्रपातों एवं घाटियों ने, [[झील|झीलों]] और नदियों ने इनकी काव्यात्मक संवेदना को सदा जागृत रखा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इलाचन्द्र जोशी]] | ||[[चित्र:Ila-Chandra-Joshi.jpg|इलाचन्द्र जोशी|100px|right]] इलाचन्द्र जोशी का जन्म [[अल्मोड़ा]] में [[1903]] ई. में हुआ था। [[हिन्दी]] में मनोवैज्ञानिक उपन्यासों का आरम्भ श्री जोशी से ही होता है। जोशी जी ने अधिकांश साहित्यकारों की तरह अपनी साहित्यिक यात्रा काव्य-रचना से ही आरम्भ की। पर्वतीय-जीवन विशेषकर वनस्पतियों से आच्छादित अल्मोड़ा और उसके आस-पास के [[पर्वत]] शिखरों ने और [[हिमालय]] के जलप्रपातों एवं घाटियों ने, [[झील|झीलों]] और नदियों ने इनकी काव्यात्मक संवेदना को सदा जागृत रखा।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[इलाचन्द्र जोशी]] | ||
{[[बिहारी]] निम्नलिखित में से किस काल के कवि थे? | {[[बिहारी]] निम्नलिखित में से किस काल के कवि थे? | ||
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+[[रीतिकाल]] | +[[रीतिकाल]] | ||
-[[आधुनिक काल]] | -[[आधुनिक काल]] | ||
||'''बिहारी लाल''' का नाम [[हिन्दी साहित्य]] के रीति काल के कवियों में महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में बीता और युवावस्था [[मथुरा]] में व्यतीत हुई। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहारी लाल]] | ||'''बिहारी लाल''' का नाम [[हिन्दी साहित्य]] के रीति काल के कवियों में महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में बीता और युवावस्था [[मथुरा]] में व्यतीत हुई। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिहारी लाल]] | ||
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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