"इतिहास सामान्य ज्ञान 65": अवतरणों में अंतर

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-[[कश्मीर]]
-[[कश्मीर]]
-[[सौराष्ट्र]]
-[[सौराष्ट्र]]
||[[चित्र:Brahmaputra-river-Assam.jpg|right|120px|ब्रह्मपुत्र नदी, आसाम]]प्राचीन समय में [[असम]] 'प्राग्ज्योतिष' अर्थात 'पूर्वी ज्योतिष का स्थान' कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम '[[कामरूप]]' पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे पुराना उदाहरण [[इलाहाबाद]] में [[समुद्रगुप्त]] के [[शिलालेख]] से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो [[गुप्त साम्राज्य]] के अधीन था। गुप्त साम्राज्य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। [[चीन]] का विद्वान यात्री [[ह्वेनसांग]] लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमार भास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया था। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्लेख 'कामोलुपा' के रूप में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[असम]]
||[[चित्र:Brahmaputra-river-Assam.jpg|right|120px|ब्रह्मपुत्र नदी, आसाम]] प्राचीन समय में [[असम]] 'प्राग्ज्योतिष' अर्थात 'पूर्वी ज्योतिष का स्थान' कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम '[[कामरूप]]' पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे पुराना उदाहरण [[इलाहाबाद]] में [[समुद्रगुप्त]] के [[शिलालेख]] से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो [[गुप्त साम्राज्य]] के अधीन था। गुप्त साम्राज्य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। [[चीन]] का विद्वान यात्री [[ह्वेनसांग]] लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमार भास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया था। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्लेख 'कामोलुपा' के रूप में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[असम]]


{[[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेखों]] में सबसे छोटा स्तम्भ लेख कौन-सा है?
{[[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेखों]] में सबसे छोटा स्तम्भ लेख कौन-सा है?
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-[[कालसी]]
-[[कालसी]]
-[[धौली]]
-[[धौली]]
||[[चित्र:Brahmi Lipi-3.jpg|right|120px|रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर ख़ुदा हुआ लेख]][[सम्राट अशोक]] के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके अभिलेखों से मिलती है। यह माना जाता है कि अशोक को [[अभिलेख|अभिलेखों]] की प्रेरणा [[ईरान]] के शासक 'डेरियस' से मिली थी। अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]], [[खरोष्ठी लिपि|खरोष्ठी]] और आर्मेइक-ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं। [[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेखों]] और स्तम्भ लेखों को दो उप श्रेणियों में रखा जाता है। 14 शिलालेख सिलसिलेवार हैं, जिनको 'चतुर्दश शिलालेख' कहा जाता है। ये शिलालेख [[शाहबाजगढ़ी]], [[मानसेरा]], [[कालसी]], [[गिरनार]], [[सोपारा]], [[धौली]] और [[जौगढ़]] में मिले हैं। कुछ फुटकर शिलालेख असम्बद्ध रूप में हैं और संक्षिप्त हैं। शायद इसीलिए उन्हें 'लघु शिलालेख' कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[अशोक के शिलालेख]], [[रुम्मिनदेई]]
||[[चित्र:Brahmi Lipi-3.jpg|right|120px|रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर खुदा हुआ लेख]] [[सम्राट अशोक]] के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके [[अभिलेख|अभिलेखों]] से मिलती है। यह माना जाता है कि अशोक को [[अभिलेख|अभिलेखों]] की प्रेरणा [[ईरान]] के शासक 'डेरियस' से मिली थी। अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]], [[खरोष्ठी लिपि|खरोष्ठी]] और आर्मेइक-ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं। [[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेखों]] और स्तम्भ लेखों को दो उप श्रेणियों में रखा जाता है। 14 शिलालेख सिलसिलेवार हैं, जिनको 'चतुर्दश शिलालेख' कहा जाता है। ये शिलालेख [[शाहबाजगढ़ी]], [[मानसेरा]], [[कालसी]], [[गिरनार]], [[सोपारा]], [[धौली]] और [[जौगढ़]] में मिले हैं। कुछ फुटकर शिलालेख असम्बद्ध रूप में हैं और संक्षिप्त हैं। शायद इसीलिए उन्हें 'लघु शिलालेख' कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-:[[अशोक के शिलालेख]], [[रुम्मिनदेई]]


{[[अशोक के अभिलेख|अशोक के अभिलेखों]] में सबसे लम्बा स्तम्भ लेख निम्न में से कौन-सा था?
{[[अशोक के अभिलेख|अशोक के अभिलेखों]] में सबसे लम्बा स्तम्भ लेख निम्न में से कौन-सा था?
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-संस्था एवं संचार
-संस्था एवं संचार
-खोजी
-खोजी
||[[मौर्य काल]] में राजस्व एकत्र करना, आय व्यय का ब्यौरा रखना तथा वार्षिक बजट तैयार करना, 'समाहर्ता' के कार्य थे। देहाती क्षेत्र की शासन व्यवस्था भी उसी के अधीन थी। शासन की दृष्टि से देश को छोटी-छोटी इकाइयों में विभक्त किया जाता था। [[मौर्य काल का शासन प्रबंध|मौर्य शासन प्रबन्ध]] में 'गूढ़ पुरुषों' (गुप्तचरों) का महत्त्वपूर्ण स्थान था। इतने विशाल साम्राज्य के सुशासन के लिए यह आवश्यक था कि उनके [[अमात्य|अमात्यों]], मंत्रियों, राजकर्मचारियों और पौरजनपदों पर दृष्टि रखा जाए, उनकी गतिविधी और मनोभावनाओं का ज्ञान प्राप्त किया जाए और पड़ोसी राज्यों के विषय में भी सारी जानकारी प्राप्त होती रहे। दो प्रकार के गुप्तचरों का उल्लेख है- 'संस्था' और 'संचार'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मौर्य काल का शासन प्रबंध]]
||[[मौर्य काल]] में राजस्व एकत्र करना, आय व्यय का ब्यौरा रखना तथा वार्षिक बजट तैयार करना, 'समाहर्ता' के कार्य थे। देहाती क्षेत्र की शासन व्यवस्था भी उसी के अधीन थी। शासन की दृष्टि से देश को छोटी-छोटी इकाइयों में विभक्त किया जाता था। [[मौर्य काल का शासन प्रबंध|मौर्य शासन प्रबन्ध]] में 'गूढ़ पुरुषों' (गुप्तचरों) का महत्त्वपूर्ण स्थान था। इतने विशाल साम्राज्य के सुशासन के लिए यह आवश्यक था कि उनके [[अमात्य|अमात्यों]], मंत्रियों, राजकर्मचारियों और पौरजनपदों पर दृष्टि रखा जाए, उनकी गतिविधि और मनोभावनाओं का ज्ञान प्राप्त किया जाए और पड़ोसी राज्यों के विषय में भी सारी जानकारी प्राप्त होती रहे। दो प्रकार के गुप्तचरों का उल्लेख है- 'संस्था' और 'संचार'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मौर्य काल का शासन प्रबंध]]


{[[कण्व वंश]] का संस्थापक कौन था?
{[[कण्व वंश]] का संस्थापक कौन था?
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-[[सरस्वती नदी|सरस्वती]]
-[[सरस्वती नदी|सरस्वती]]
-[[गंगा]]
-[[गंगा]]
||[[चित्र:Sindhu-River-1.jpg|सिन्धु नदी|right|100px]]संसार की प्रमुख नदियों में से एक [[सिन्धु नदी]] [[पाकिस्तान]] की सबसे बड़ी नदी है। [[तिब्बत]] के [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] के निकट 'सिन-का-बाब' नामक जलधारा सिन्धु नदी का उद्गम स्थल है। इस नदी की लंबाई प्रायः 2,880 किलोमीटर है। यहाँ से यह नदी तिब्बत और [[कश्मीर]] के बीच बहती है। [[नंगा पर्वत]] के उत्तरी भाग से घूम कर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है और फिर [[अरब सागर]] में जाकर मिलती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिन्धु नदी]]
||[[चित्र:Sindhu-River-1.jpg|सिन्धु नदी|right|100px]] संसार की प्रमुख नदियों में से एक [[सिन्धु नदी]] [[पाकिस्तान]] की सबसे बड़ी नदी है। [[तिब्बत]] के [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] के निकट 'सिन-का-बाब' नामक जलधारा सिन्धु नदी का उद्गम स्थल है। इस नदी की लंबाई प्रायः 2,880 किलोमीटर है। यहाँ से यह नदी तिब्बत और [[कश्मीर]] के बीच बहती है। [[नंगा पर्वत]] के उत्तरी भाग से घूम कर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है और फिर [[अरब सागर]] में जाकर मिलती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिन्धु नदी]]


{उपनिषद काल के राजा [[अश्वपति]] कहाँ के शासक थे?
{उपनिषद काल के राजा [[अश्वपति]] कहाँ के शासक थे?
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-[[पांचाल]]
-[[पांचाल]]
-[[विदेह]]
-[[विदेह]]
||'केकय' [[रामायण]] तथा परवर्ती काल में [[पंजाब]] का एक जनपद था। इसे 'कैकेय', 'कैकस' या 'कैकेयस' के नाम से भी जाना जाता था। [[केकय देश]] का उल्लेख रामायण में भी आता है। [[राजा दशरथ]] की सबसे छोटी रानी [[कैकेयी]] और उसकी दासी [[मंथरा]] केकय देश की ही थीं। रामायण से ज्ञात होता है कि कैकयी के [[पिता]] का नाम 'अश्वपति' और भाई का नाम 'युधाजित्' था। केकय राजवंश की एक शाखा [[मैसूर]] में जाकर बस गई थी। [[पुराण|पुराणों]] में केकय लोगों को अनु का वंशज बताया है। [[ऋग्वेद]] में अनु के वंश का निवास [[परुष्णी नदी]] (रावी) के निकट या मध्य पंजाब में बताया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केकय]]
||'केकय' [[रामायण]] तथा परवर्ती काल में [[पंजाब]] का एक जनपद था। इसे 'कैकेय', 'कैकस' या 'कैकेयस' के नाम से भी जाना जाता था। [[केकय देश]] का उल्लेख रामायण में भी आता है। [[राजा दशरथ]] की सबसे छोटी रानी [[कैकेयी]] और उसकी दासी [[मंथरा]] केकय देश की ही थीं। रामायण से ज्ञात होता है कि कैकयी के [[पिता]] का नाम 'अश्वपति' और भाई का नाम 'युधाजित्' था। केकय राजवंश की एक शाखा [[मैसूर]] में जाकर बस गई थी। [[पुराण|पुराणों]] में केकय लोगों को अनु का वंशज बताया है। [[ऋग्वेद]] में अनु के वंश का निवास [[परुष्णी नदी]] ([[रावी नदी|रावी]]) के निकट या मध्य पंजाब में बताया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केकय]]


{निम्नलिखित में किसका संकलन [[ऋग्वेद]] पर आधारित है?
{निम्नलिखित में किसका संकलन [[ऋग्वेद]] पर आधारित है?
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-[[अथर्ववेद]]  
-[[अथर्ववेद]]  
-इनमें से कोई नहीं
-इनमें से कोई नहीं
||'साम' शब्द का अर्थ है- 'गान'। [[सामवेद]] में संकलित मंत्रों को देवताओं की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं, जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोम यज्ञ के समय 'उदगाता' करते थे। [[देवता]] विषयक विवेचन की दृष्ठि से सामवेद का प्रमुख देवता 'सविता' या '[[सूर्य देवता|सूर्य]]' है। इसमें मुख्यतः सूर्य की स्तुति के [[मंत्र]] हैं, किन्तु [[इंद्र]], [[सोम देव|सोम]] आदि का भी इसमें पर्याप्त वर्णन है। [[संगीत]] के इतिहास के क्षेत्र में सामवेद का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसे भारतीय संगीत का मूल कहा जा सकता है। सामवेद का प्रथम द्रष्टा [[वेदव्यास]] के शिष्य [[जैमिनि]] को माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सामवेद]]
||'साम' शब्द का अर्थ है- 'गान'। [[सामवेद]] में संकलित मंत्रों को [[देवता|देवताओं]] की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं, जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोम यज्ञ के समय 'उदगाता' करते थे। [[देवता]] विषयक विवेचन की दृष्ठि से सामवेद का प्रमुख देवता 'सविता' या '[[सूर्य देवता|सूर्य]]' है। इसमें मुख्यतः सूर्य की स्तुति के [[मंत्र]] हैं, किन्तु [[इंद्र]], [[सोम देव|सोम]] आदि का भी इसमें पर्याप्त वर्णन है। [[संगीत]] के इतिहास में सामवेद का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसे भारतीय संगीत का मूल कहा जा सकता है। सामवेद का प्रथम द्रष्टा [[वेदव्यास]] के शिष्य [[जैमिनि]] को माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सामवेद]]


{'[[आर्य]]' शब्द इंगित करता है-  
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||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद]]'ऋग्वेद' सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है। इस [[ग्रंथ]] में देवताओं का [[यज्ञ]] में आह्वान करने के लिये [[मन्त्र]] हैं। यही सर्वप्रथम [[वेद]] है। [[ऋग्वेद]] को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं। ये दुनिया के सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है। ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं। ऋग्वेद [[भारत]] की ही नहीं सम्पूर्ण विश्व की प्राचीनतम रचना है। इसकी तिथि 1500 से 1000 ई.पू. मानी जाती है। सम्भवतः इसकी रचना [[सप्त सैंधव|सप्त सैंधव प्रदेश]] में हुयी थी। ऋग्वेद और ईरानी ग्रन्थ '[[जेंदावेस्ता]]' में समानता पाई जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद]]'ऋग्वेद' सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें देवताओं की स्तुति की गयी है। इस [[ग्रंथ]] में [[देवता|देवताओं]] का [[यज्ञ]] में आह्वान करने के लिये [[मन्त्र]] हैं। यही सर्वप्रथम [[वेद]] है। [[ऋग्वेद]] को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं। ये दुनिया के सर्वप्रथम ग्रन्थों में से एक है। ऋक् संहिता में 10 मंडल, बालखिल्य सहित 1028 सूक्त हैं। ऋग्वेद [[भारत]] की ही नहीं सम्पूर्ण विश्व की प्राचीनतम रचना है। इसकी तिथि 1500 से 1000 ई. पू. मानी जाती है। सम्भवतः इसकी रचना [[सप्त सैंधव|सप्त सैंधव प्रदेश]] में हुयी थी। ऋग्वेद और ईरानी ग्रन्थ '[[जेंदावेस्ता]]' में समानता पाई जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 निम्नलिखित में से कौन-सा प्रांत मौर्य साम्राज्य से बाहर था?

कलिंग
असम
कश्मीर
सौराष्ट्र

2 अशोक के शिलालेखों में सबसे छोटा स्तम्भ लेख कौन-सा है?

रुम्मिनदेई
मास्की
कालसी
धौली

3 अशोक के अभिलेखों में सबसे लम्बा स्तम्भ लेख निम्न में से कौन-सा था?

तीसरा
सातवाँ
तेरहवाँ
चौथा

4 मौर्यकाल में गुप्तचरों को क्या कहा जाता था?

गुप्तचर
गूढ़ पुरुष
संस्था एवं संचार
खोजी

5 कण्व वंश का संस्थापक कौन था?

वासुदेव
भूमिमित्र
सुशर्मा
नारायण

6 आरंभिक वैदिक साहित्य में सर्वाधिक वर्णित नदी कौन-सी है?

सिन्धु
परुष्णी
सरस्वती
गंगा

7 उपनिषद काल के राजा अश्वपति कहाँ के शासक थे?

काशी
केकय
पांचाल
विदेह

8 निम्नलिखित में किसका संकलन ऋग्वेद पर आधारित है?

यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
इनमें से कोई नहीं

9 'आर्य' शब्द इंगित करता है-

नृजाति समूह को
यायावरी जन को
भाषा समूह को
श्रेष्ठ वंश को

10 ऋग्वेद में कुल कितने मंडल हैं?

7
8
9
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