"नारायण": अवतरणों में अंतर
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13:08, 7 अगस्त 2010 का अवतरण
मुख्य लेख : विष्णु
इन्हें भी देखें: नारायणोपनिषद एवं नारायण की आरती
- भगवान विष्णु का नाम नारायण भी है।
- सम्पूर्ण जीवों के आश्रय होने के कारण भगवान श्री विष्णु ही नारायण कहे जाते हैं।
- कल्प के प्रारम्भ में एकमात्र सर्वव्यापी भगवान नारायण ही थे। वे ही सम्पूर्ण जगत की सृष्टि करके सबका पालन करते हैं और अन्त में सबका संहार करते हैं।
- नारायण के जप का प्रमुख मन्त्र- ॐ नमो नारायणाय
भगवान विष्णु के अन्य नाम
- शर्व
- भगवत्
- जिन
- कृष्ण
- वैकुण्ठ
- विष्टरश्रवस्
- दामोदर
- ह्रषिकेश
- केशव
- माधव
- स्वभू
- दैत्यारि
- पुण्डरीकाक्ष
- गोविन्द
- गरुड़ध्वज
- पीताम्बर
- अच्युत
- शार्गिं
- विष्वक्सेन
- जनार्दन
- उपेन्द्र
- इन्द्रावरज
- चक्रपाणि
- चतुर्भुज
- पद्मानाभ
- मधुरिपु
- वासुदेव
- त्रिविक्रम
- देवकीनन्दन
- शौरि
- श्रीपति
- पुरुषोत्तम
- वनमालिन्
- बलिध्वंसिन्
- कंसाराति
- अधोक्षज
- विश्वम्भर
- कैटभजित्
- विधु
- श्रीवत्सलाञ्छन
- पुराणपुरुष[1]
- यज्ञपुरुष
- नरकान्तक
- जलशायिन्
- विश्वरूप
- मुकुन्द
- मुरमर्दन
- सुपर्ण
हिन्दी | विष्णु, कृष्ण यजुर्वेद के अंतर्गत एक उपनिषद, एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र, ‘अ’ अक्षर की संज्ञा, पूस का महीना, पौष मास |
-व्याकरण | पुल्लिंग (संज्ञा नार-अयन) |
-उदाहरण | |
-विशेष | |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | ईश्वर, परमात्मा, भगवान |
संस्कृत | |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
संबंधित लेख |
अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्य पुस्तकों में 'पुराणपुरुष' से लेकर 'मुदमर्दन' तक श्लोक नहीं है, अतः वहाँ केवल 39 ही नाम गिनाये गए हैं।
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