"वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा मन्दिर | {{सूचना बक्सा मन्दिर | ||
|चित्र= | |चित्र=Blank-Image-4.png | ||
|चित्र का नाम= | |चित्र का नाम= | ||
|वर्णन='वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ' [[भारत|भारतवर्ष]] के अज्ञात 108 एवं ज्ञात [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] में से एक है। इसका [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व है। | |वर्णन='वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ' [[भारत|भारतवर्ष]] के अज्ञात 108 एवं ज्ञात [[शक्तिपीठ|51 शक्तिपीठों]] में से एक है। इसका [[हिन्दू धर्म]] में बड़ा ही महत्त्व है। | ||
|स्थान= [[गिरिडीह]], [[ | |स्थान= [[गिरिडीह]], [[झारखण्ड]] | ||
|निर्माता= | |निर्माता= | ||
|जीर्णोद्धारक= | |जीर्णोद्धारक= | ||
पंक्ति 51: | पंक्ति 51: | ||
[[Category:शक्तिपीठ]] | [[Category:शक्तिपीठ]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
12:13, 29 सितम्बर 2014 का अवतरण
वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ
| |
वर्णन | 'वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ' भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 शक्तिपीठों में से एक है। इसका हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। |
स्थान | गिरिडीह, झारखण्ड |
देवी-देवता | शक्ति- जयदुर्गा तथा शिव- वैद्यनाथ |
संबंधित लेख | शक्तिपीठ, सती, शिव, पार्वती |
धार्मिक मान्यता | ऐसा माना जाता है कि यहाँ सती का हृदय गिरा था और यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था। |
अन्य जानकारी | पद्म पुराण के अनुसार हृदय पीठ के समान महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठ पूरे ब्रह्माण्ड में अन्यत्र नहीं है। |
वैद्यनाथ का हार्द शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाये। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन है।
संक्षिप्त परिचय
- शिव तथा सती के ऐक्य का प्रतीक बिहार (अब झारखण्ड) के गिरिडीह जनपद में स्थित वैद्यनाथ का हार्द या हृदय पीठ है और शिव का वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी यहीं है।
- यह स्थान चिताभूमि में है। यहाँ सती का हृदय गिरा था। यहाँ की शक्ति 'जयदुर्गा' तथा शिव 'वैद्यनाथ' हैं।
- एक मान्यतानुसार यहीं पर सती का दाह-संस्कार भी हुआ था।
- पद्मपुराणानुसार हृदयपीठ के समान महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठ पूरे ब्रह्माण्ड में अन्यत्र नहीं है- "हार्दपीठस्य सदृशे: नाऽस्ति भूगोल मण्डले"।[1]
- देवी भागवत में वैद्यनाथ धाम को बागलामुखी का उत्कृष्ट स्थान कहा गया है तथा यहाँ की शक्ति को 'आरोग्य' कहा गया है।
- मत्स्यपुराण में 'आरोग्या वैद्यनाये तु' प्रमाण मिलता है।
- शंकराचार्य ने 12 ज्योर्तिर्लिंगों के स्वरूप वर्णन में वैद्यनाथ को शक्तियुक्त कहा है-
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसंतं गिरिजासमेतम।
सुरासुराराधिपाद पद्मं श्री वैद्यनाथ तमहं नमामि॥[2]
- पटना से कोलकाता रेलमार्ग पर स्थित कियूल स्टेशन से 100 कि.मी. दक्षिण वैद्यनाथ धाम (देवगढ़) स्टेशन है।
- यहीं सती का हार्द पीठ भी है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख