"हिन्दी सामान्य ज्ञान 19": अवतरणों में अंतर
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-[[केशवदास]] | -[[केशवदास]] | ||
-[[जयशंकर प्रसाद]] | -[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
||[[वीर रस]] के कवि [[भूषण]] का जन्म | ||[[वीर रस]] के कवि [[भूषण]] का जन्म कानपुर ज़िले के 'तिकँवापुर गाँव' में हुआ था। भूषण 1627 ई. से 1680 ई. तक महाराजा [[शिवाजी]] के आश्रय में रहे। इनके 'छत्रसाल बुंदेला' के आश्रय में रहने का भी उल्लेख मिलता है। 'शिवराज भूषण', 'शिवा बावनी', और 'छ्त्रसाल दशक' नामक तीन ग्रंथ ही इनके लिखे छः ग्रथों में से उपलब्ध हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भूषण]] | ||
{निम्न में से [[प्रेमचंद]] के अधूरे उपन्यास का नाम क्या है? | {निम्न में से [[प्रेमचंद]] के अधूरे उपन्यास का नाम क्या है? | ||
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-गबन | -[[गबन]] | ||
-रंगभूमि | -रंगभूमि | ||
+मंगलसूत्र | +[[मंगलसूत्र -प्रेमचंद|मंगलसूत्र]] | ||
-सेवा सदन | -सेवा सदन | ||
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-[[छत्तीसगढ़ी बोली]] | -[[छत्तीसगढ़ी बोली]] | ||
{'जब-जब होय | {'जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़ै असुर अधम अभिमानी', पंक्ति के रचनाकार कौन हैं? | ||
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+[[तुलसीदास]] | +[[तुलसीदास]] | ||
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-अनल | -अनल | ||
{'कठिन काव्य | {'कठिन काव्य का प्रेत' किस कवि के लिए कहा गया है? | ||
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-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] | -[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] | ||
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||[[चित्र:Keshavdas.jpg|right|100px|right]][[हिन्दी]] में सर्वप्रथम केशवदास जी ने ही काव्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय पद्धति से विवेचन किया। यह ठीक है कि उनके काव्य में भाव पक्ष की अपेक्षा कला पक्ष की प्रधानता है और पांडित्य प्रदर्शन के कारण उन्हें 'कठिन काव्य का प्रेत' कहकर पुकारा जाता है, किंतु उनका महत्त्व बिल्कुल समाप्त नहीं हो जाता। भाव और [[रस]] कवित्व की [[आत्मा]] है। केशव अपने रचना-चमत्कार द्वारा श्रोता और पाठकों को चमत्कृत करने के प्रयास में रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केशवदास]] | ||[[चित्र:Keshavdas.jpg|right|100px|right]][[हिन्दी]] में सर्वप्रथम केशवदास जी ने ही काव्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय पद्धति से विवेचन किया। यह ठीक है कि उनके काव्य में भाव पक्ष की अपेक्षा कला पक्ष की प्रधानता है और पांडित्य प्रदर्शन के कारण उन्हें 'कठिन काव्य का प्रेत' कहकर पुकारा जाता है, किंतु उनका महत्त्व बिल्कुल समाप्त नहीं हो जाता। भाव और [[रस]] कवित्व की [[आत्मा]] है। केशव अपने रचना-चमत्कार द्वारा श्रोता और पाठकों को चमत्कृत करने के प्रयास में रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केशवदास]] | ||
{'मुख रूपी | {'मुख रूपी चाँद पर राहु भी धोखा खा गया', इन पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है? | ||
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-[[श्लेष अलंकार|श्लेष]] | -[[श्लेष अलंकार|श्लेष]] | ||
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-[[उपमा अलंकार|उपमा]] | -[[उपमा अलंकार|उपमा]] | ||
{वियोगी हरि जी का पूर्ण नाम क्या था? | {[[वियोगी हरि]] जी का पूर्ण नाम क्या था? | ||
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-श्री रामप्रसाद द्विवेदी | -श्री रामप्रसाद द्विवेदी | ||
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-[[ब्रजभाषा|ब्रज बोली]] | -[[ब्रजभाषा|ब्रज बोली]] | ||
-खड़ी बोली | -[[खड़ी बोली]] | ||
-[[बुंदेली भाषा|बुंदेली बोली]] | -[[बुंदेली भाषा|बुंदेली बोली]] | ||
+[[बघेली बोली]] | +[[बघेली बोली]] | ||
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14:31, 24 नवम्बर 2014 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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