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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {[[हिन्दी भाषा]] का जन्म हुआ है-
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| -लौकिक [[संस्कृत]] से
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| +[[पाली भाषा|पाली]] [[प्राकृत भाषा|प्राकृत]] से
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| -[[मागधी भाषा|मागधी]] से
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| -वैदिक [[संस्कृत]] से
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| ||[[पालि भाषा|पालि]] प्राचीन [[भारत]] की एक [[भाषा]] थी। यह हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की एक बोली या प्राकृत है। [[प्राकृत भाषा]] भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्त्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्राकृत भाषा|प्राकृत]]
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| ||[[पालि भाषा]] थेरवादी [[बौद्ध]] धर्मशास्त्र की पवित्र भाषा है। उत्तर भारतीय मूल की मध्य भारतीय-आर्य भाषा है। पालि भाषा का इतिहास बुद्धकाल से शुरू होता है। [[बुद्ध]] अपनी शिक्षाओं के माध्यम के लिए विद्वानों की भाषा [[संस्कृत]] के विरुद्ध थे, और अपने अनुयायियों को स्थानीय बोलियों के प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करते थे, इसलिए [[बौद्ध धर्म]] में शास्त्रीय भाषा के रूप में पालि भाषा का उपयोग शुरू हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पालि भाषा]]
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| {'[[ग्रियर्सन]]' ने किसे 'देशी हिन्दुस्तानी' कहा है?
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| +[[खड़ी बोली]]
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| -[[दक्खिनी हिन्दी]]
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| -[[अवधी भाषा|अवधी]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| {स्वयंभू ने किस [[भाषा]] को 'देसी भाषा' कहा है?
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| -[[संस्कृत]]
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| -[[प्राकृत]]
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| +[[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]]
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| -[[पालि भाषा|पालि]]
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| ||सातवीं शताब्दी के कवि 'दंडी' ने 'आभीर' जैसी काव्यात्मक भाषाओं को अपभ्रंश कहा है। इस तरह इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है, कि तीसरी शताब्दी में निश्चित रूप से अपभ्रंश के नाम से ज्ञात बोलियाँ थीं, जो क्रमशः साहित्यिक स्तर तक विकसित हुईं। छठी शताब्दी में 'भामह' ने कविता को [[संस्कृत]], [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश भाषा]] के रूप में वर्गीकृत किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]]
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| {किस पुस्तक में [[हिन्दी]] का सर्वप्रथम उल्लेख हुआ?
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| -[[महाभारत]]
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| +[[रामचरितमानस]]
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| -[[ऋग्वेद]]
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| -[[अवेस्ता]]
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| ||[[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|right]]'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संवत 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी, किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] ([[वाराणसी]]) में भी निर्मित हुआ था। यह इसके [[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धा काण्ड]] के प्रारम्भ में आने वाले एक [[सोरठा|सोरठे]] से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामचरितमानस]]
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| {[[शौरसेनी भाषा|शौरसेनी]], [[पैशाची भाषा|पैशाची]], [[मराठी भाषा|महाराष्ट्री]], अर्द्धमागधी और [[मागधी भाषा|मागधी]], ये निम्न में से किस [[भाषा]] के पाँच भेद हैं?
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| -[[पालि भाषा|पालि]]
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| +[[प्राकृत]]
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| -[[मागधी भाषा|मागधी]]
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| -[[संस्कृत]]
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| ||[[प्राकृत भाषा]] भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन् तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्त्व कम होने लगा, तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्राकृत]]
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| {भारतीय [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] में 'ट' वर्ग की ध्वनियाँ किसकी देन हैं? | | {भारतीय [[आर्य|आर्यों]] की [[भाषा]] में 'ट' वर्ग की ध्वनियाँ किसकी देन हैं? |