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|अर्थ=जो दाहिने और बायें दोनों हाथों से सब काम समान रूप से कर सकता हो, [[अर्जुन]] की एक उपाधि (बाएँ हाथ से भी बाण चलाने में कुशल होने के कारण) इसीलिए अर्जुन को 'सव्यसाची' भी कहते हैं।  
|अर्थ=जो दाहिने और बायें दोनों हाथों से सब काम समान रूप से कर सकता हो, [[अर्जुन]] की एक उपाधि, इसीलिए अर्जुन को 'सव्यसाची' भी कहते हैं।  
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]]
|व्याकरण=[[पुल्लिंग]]
|उदाहरण=बाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।  
|उदाहरण=बाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् -भागवत पुराण 11|33