"प्रयोग:Shilpi1": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
(पन्ने को खाली किया) |
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
==भारतीय इतिहास — पुनरावलोकन== | |||
====ईसवीं/वर्ष==== | |||
{| width=100% class="wikitable" border="1" | |||
|- | |||
!क्रम | |||
!ईसवी/वर्ष | |||
!स्थान | |||
!विवरण | |||
|- | |||
|1 | |||
|14–13 | |||
| | |||
|[[शक]]<ref>हिन्द-पार्थियन</ref> शासक गोंडोफर्नीज का शासन,<br /> | |||
ईसाई धर्म प्रचार हेतु रोमन संत सेंट टामस का भारत में आगमन। | |||
|- | |||
|2 | |||
|15 | |||
| | |||
| [[कुषाण|कुषाणों]<ref>यू-ची का तोचारियन</ref> का भारत में प्रवेश। | |||
|- | |||
|3 | |||
|64 | |||
|उत्तर-पश्चिमी भारत | |||
|[[शक]] विम कडफिसस का राज्य। | |||
|- | |||
|4 | |||
|78 | |||
| | |||
|[[कुषाण वंश]] के महानतम शासक [[कनिष्क]] का राज्यारोहण,<br /> | |||
उसके द्वारा [[शक संवत]] का प्रारम्भ। | |||
|- | |||
|5 | |||
|78–101 | |||
|[[कश्मीर]] | |||
[[कनिष्क]] का शासनकाल,<br /> | |||
चौथी [[बौद्ध]] संगीति का आयोजन। | |||
|- | |||
|6 | |||
|100 | |||
| | |||
| [[अश्वघोष]] द्वारा 'सौन्दरानन्द' तथा '[[बुद्धचरित]]'<br /> | |||
एवं कुमारलाट के द्वारा '''कल्पमंदितिका''' की रचना। | |||
|- | |||
|7 | |||
|109–132 | |||
| | |||
|महानतम सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी द्वारा राज्य विस्तार। | |||
|- | |||
|8 | |||
|150 | |||
|बघेलखण्ड, [[वाराणसी]] तथा [[मथुरा]]तक | |||
|भारशिव नागाओं की विभिन्न शाखाओं का राज्य। | |||
|- | |||
| | |||
|} | |||
====ईसवीं वर्ष==== | |||
*14–13 – शक (हिन्द-पार्थियन) शासक गोंडोफर्नीज का शासन, ईसाई धर्म प्रचार हेतु रोमन संत सेंट टामस का भारत में आगमन। | |||
*15 – कुषाणों (यू-ची का तोचारियन) का भारत में प्रवेश। | |||
*64 – उत्तर-पश्चिमी भारत में शक विम कडफिसस का राज्य। | |||
*78 – कुषाण वंश के महानतम शासक कनिष्क का राज्यारोहण, उसके द्वारा शक संवत् का प्रारम्भ। | |||
*78–101 – कनिष्क का शासनकाल, चौथी बौद्ध संगीति का (कश्मीर में) आयोजन। | |||
*100 – अश्वघोष द्वारा 'सौन्दरानन्द' तथा 'बुद्धचरित' एवं कुमारलाट के द्वारा 'कल्पमंदितिका' की रचना। | |||
*109–132 – महानतम सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी द्वारा राज्य विस्तार। | |||
*150 – बघेलखण्ड, वाराणसी तथा आगे चलकर मथुरातक के क्षेत्र में भारशिव नागाओं की विभिन्न शाखाओं का राज्य। | |||
*200–250 – सातवाहनों का पतन, महाराष्ट्र में आभीर, उत्तरी कनारा तथा मैसूर ज़िलों में कुन्तल और कटु, आन्ध्र में इक्ष्वाकु तथा विदर्भ में वाकाटकों की सत्ता स्थापित। | |||
*225 – विंध्यशक्ति द्वारा वाकाटक शासन की स्थापना, अगले 272 वर्षों तक इस वंश का शासन। | |||
*250 – नासिक में आभीरों द्वारा त्रैकुटकर वंश की स्थापना, अगले 250 वर्षों तक इस वंश का शान। | |||
*320–335 – चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश को स्थापित किया। |
05:47, 12 अगस्त 2010 का अवतरण
भारतीय इतिहास — पुनरावलोकन
ईसवीं/वर्ष
क्रम | ईसवी/वर्ष | स्थान | विवरण |
---|---|---|---|
1 | 14–13 | शक[1] शासक गोंडोफर्नीज का शासन, ईसाई धर्म प्रचार हेतु रोमन संत सेंट टामस का भारत में आगमन। | |
2 | 15 | [[कुषाण|कुषाणों][2] का भारत में प्रवेश। | |
3 | 64 | उत्तर-पश्चिमी भारत | शक विम कडफिसस का राज्य। |
4 | 78 | कुषाण वंश के महानतम शासक कनिष्क का राज्यारोहण, उसके द्वारा शक संवत का प्रारम्भ। | |
5 | 78–101 | कश्मीर | |
6 | 100 | अश्वघोष द्वारा 'सौन्दरानन्द' तथा 'बुद्धचरित' एवं कुमारलाट के द्वारा कल्पमंदितिका की रचना। | |
7 | 109–132 | महानतम सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी द्वारा राज्य विस्तार। | |
8 | 150 | बघेलखण्ड, वाराणसी तथा मथुरातक | भारशिव नागाओं की विभिन्न शाखाओं का राज्य। |
ईसवीं वर्ष
- 14–13 – शक (हिन्द-पार्थियन) शासक गोंडोफर्नीज का शासन, ईसाई धर्म प्रचार हेतु रोमन संत सेंट टामस का भारत में आगमन।
- 15 – कुषाणों (यू-ची का तोचारियन) का भारत में प्रवेश।
- 64 – उत्तर-पश्चिमी भारत में शक विम कडफिसस का राज्य।
- 78 – कुषाण वंश के महानतम शासक कनिष्क का राज्यारोहण, उसके द्वारा शक संवत् का प्रारम्भ।
- 78–101 – कनिष्क का शासनकाल, चौथी बौद्ध संगीति का (कश्मीर में) आयोजन।
- 100 – अश्वघोष द्वारा 'सौन्दरानन्द' तथा 'बुद्धचरित' एवं कुमारलाट के द्वारा 'कल्पमंदितिका' की रचना।
- 109–132 – महानतम सातवाहन शासक गौतमीपुत्र शातकर्णी द्वारा राज्य विस्तार।
- 150 – बघेलखण्ड, वाराणसी तथा आगे चलकर मथुरातक के क्षेत्र में भारशिव नागाओं की विभिन्न शाखाओं का राज्य।
- 200–250 – सातवाहनों का पतन, महाराष्ट्र में आभीर, उत्तरी कनारा तथा मैसूर ज़िलों में कुन्तल और कटु, आन्ध्र में इक्ष्वाकु तथा विदर्भ में वाकाटकों की सत्ता स्थापित।
- 225 – विंध्यशक्ति द्वारा वाकाटक शासन की स्थापना, अगले 272 वर्षों तक इस वंश का शासन।
- 250 – नासिक में आभीरों द्वारा त्रैकुटकर वंश की स्थापना, अगले 250 वर्षों तक इस वंश का शान।
- 320–335 – चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश को स्थापित किया।