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'''यरवदा केन्द्रीय कारागार''' अथवा '''यरवदा सेंट्रल जेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Yerwada Central Jail'') [[महाराष्ट्र]] के [[यरवदा]] नगर में स्थित है। यह [[महाराष्ट्र]] का सबसे बड़ा और उच्च-सुरक्षा वाला कारागार होने के साथ दक्षिण एशिया मे स्थित बड़े कारागारों में से एक है।
'''यरवदा केन्द्रीय कारागार''' अथवा '''यरवदा सेंट्रल जेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Yerwada Central Jail'') [[महाराष्ट्र]] के [[यरवदा]] नगर में स्थित है। यह [[महाराष्ट्र]] का सबसे बड़ा और उच्च-सुरक्षा वाला कारागार होने के साथ दक्षिण एशिया में स्थित बड़े कारागारों में से एक है।
==विशेषताएँ==
* 12 एकड़ क्षेत्र में फैला यह कारागार दक्षिण एशिया के सबसे बड़े कारागारों में से एक है और यहां की बंदी क्षमता 3600 बंदियों (वर्ष 2005 के अनुसार) की है।
* यह कई सुरक्षा क्षेत्रों और बैरकों में फैला है। यहां एक खुला-कारागार भी है जो ठीक इसके परिसर के बाहर स्थित है।
* [[1930]] और [[1940]] के दशक में [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान यहां कई प्रसिद्ध हस्तियों जैसे कि [[महात्मा गाँधी]] को इस कारागार में रखा गया था।
* परिसर में स्थित उच्च सुरक्षा कारागार चार ऊँची दीवारों से सुरक्षित है।
* इसमें अंडाकार कक्ष भी हैं जिनमें उच्च सुरक्षा प्राप्त बंदियों को रखा जाता है।
* क्षमता से अधिक बंदी रखने और उनकी खराब जीवन स्थिति के लिए इस कारागार की आलोचना की जाती है और इस संदर्भ में वर्ष [[2003]] में महाराष्ट्र के मानवाधिकार आयोग ने एक नोटिस भी जारी किया था।





14:12, 25 मार्च 2015 का अवतरण

यरवदा केन्द्रीय कारागार अथवा यरवदा सेंट्रल जेल (अंग्रेज़ी: Yerwada Central Jail) महाराष्ट्र के यरवदा नगर में स्थित है। यह महाराष्ट्र का सबसे बड़ा और उच्च-सुरक्षा वाला कारागार होने के साथ दक्षिण एशिया में स्थित बड़े कारागारों में से एक है।

विशेषताएँ

  • 12 एकड़ क्षेत्र में फैला यह कारागार दक्षिण एशिया के सबसे बड़े कारागारों में से एक है और यहां की बंदी क्षमता 3600 बंदियों (वर्ष 2005 के अनुसार) की है।
  • यह कई सुरक्षा क्षेत्रों और बैरकों में फैला है। यहां एक खुला-कारागार भी है जो ठीक इसके परिसर के बाहर स्थित है।
  • 1930 और 1940 के दशक में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां कई प्रसिद्ध हस्तियों जैसे कि महात्मा गाँधी को इस कारागार में रखा गया था।
  • परिसर में स्थित उच्च सुरक्षा कारागार चार ऊँची दीवारों से सुरक्षित है।
  • इसमें अंडाकार कक्ष भी हैं जिनमें उच्च सुरक्षा प्राप्त बंदियों को रखा जाता है।
  • क्षमता से अधिक बंदी रखने और उनकी खराब जीवन स्थिति के लिए इस कारागार की आलोचना की जाती है और इस संदर्भ में वर्ष 2003 में महाराष्ट्र के मानवाधिकार आयोग ने एक नोटिस भी जारी किया था।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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