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पण्डित सीताराम चतुर्वेदी ने शिक्षा, [[साहित्य]], [[दर्शन]], इतिहास योग, राजनीति आदि लगभग सभी क्षेत्रों में 214 [[ग्रंथ]] एवं 85 [[नाटक]]-नाटिकाओं का लेखन व मंचन किया। इनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं- | पण्डित सीताराम चतुर्वेदी ने शिक्षा, [[साहित्य]], [[दर्शन]], इतिहास योग, राजनीति आदि लगभग सभी क्षेत्रों में 214 [[ग्रंथ]] एवं 85 [[नाटक]]-नाटिकाओं का लेखन व मंचन किया। इनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं- |
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सीताराम चतुर्वेदी
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पूरा नाम | पण्डित सीताराम चतुर्वेदी |
जन्म | 27 जनवरी, 1907 |
जन्म भूमि | काशी, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 17 फ़रवरी, 2005 |
मृत्यु स्थान | बरेली के निकट |
अभिभावक | पण्डित भीमसेन |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | साहित्य तथा पत्रकारिता |
मुख्य रचनाएँ | 'मालवीय जीवन चरित', 'अभिनव नाट्य शास्त्र', 'समीक्षा शास्त्र', 'साहित्यानुशासन', 'तन्त्र विज्ञान और साधना' आदि। |
विद्यालय | 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' |
शिक्षा | इन्होंने हिन्दी, संस्कृत, पालि तथा 'प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति' में स्नातकोत्तर, बी.टी. और साहित्याचार्य की उपाधि प्राप्त की थी। |
पुरस्कार-उपाधि | 'हिन्दी गौरव' (1999), 'साहित्य वाचस्पति' (2003), डी. लिट् की उपाधि (2003) |
प्रसिद्धि | साहित्यकार व पत्रकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | सीताराम चतुर्वेदी जी ने शिक्षा, साहित्य, दर्शन, इतिहास, योग, राजनीति आदि लगभग सभी क्षेत्रों में 214 ग्रंथ एवं 85 नाटक-नाटिकाओं का लेखन व मंचन किया। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
पंडित सीताराम चतुर्वेदी (अंग्रेज़ी: Pt. Sitaram Chaturvedi, जन्म- 27 जनवरी, 1907 ; मृत्यु- 17 फ़रवरी, 2005) हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार थे। इन्होंने ‘हनुमत चरित’ पर सर्वप्रथम मौलिक कृति की रचना की थी। ‘कालिदास ग्रंथावली’ सीताराम चतुर्वेदी का एक अनूठा एवं साहसिक प्रयास था। वर्ष 1933 से 1938 तक ये 'सनातन धर्म' के सम्पादक एवं मदनमोहन मालवीय के निजी सचिव रहे थे। सीताराम चतुर्वेदी जी ने 250 से भी अधिक ग्रंथों की रचना की थी।
जन्म तथा शिक्षा
पण्डित सीताराम चतुर्वेदी का जन्म 27 फ़रवरी, 1907 को 'छोटी पियरी', वाराणसी (भूतपूर्व काशी) में हुआ था। इनके पिता पं. भीमसेन 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' के प्राच्य विद्या एवं पौरोहित्य विभाग के अध्यक्ष थे। इन्हेंने मुजफ्फरनगर से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' से हिन्दी, संस्कृत, पालि तथा प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति में स्नातकोत्तर तथा बी.टी., एल.एल.बी., साहित्याचार्य की उपाधि हासिल की। ये हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, उर्दू, फ़ारसी, पालि, प्राकृत तथा अपभ्रंश भाषा एवं ब्राह्मी, खरोष्ठी आदि प्राचीन भारतीय लिपियों के भी ये जानकार थे।[1]
विभिन्न पदों पर कार्य
सीताराम जी ने 'सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल' तथा 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' में 1932-1938 तक अध्यापन कार्य किया और साथ ही प्राध्यापक भी रहे। पण्डित सीताराम चतुर्वेदी 1932-1934 तथा 1952-1953 तक 'भगवानदीन साहित्य विद्यालय', काशी के आचार्य, 'टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज', 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय', काशी के संस्थापक अध्यक्ष (1942-1944), 'सतीशचन्द्र कॉलेज', बलिया के प्राचार्य (1948-1949), 'टाउन डिग्री कॉलेज', बलिया के प्राचार्य (1957 से 1968) तथा 'बिनानी विद्या मन्दिर', कलकत्ता के निदेशक (1962-1964) भी रहे थे।
सम्पादन व लेखन
पण्डित सीताराम जी ने 1927-1928 में 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' से प्रकाशित होने वाले ‘डॉन’ अंग्रेज़ी पत्र का सम्पादन किया था। इसके पश्चात् 1930-1932 में भूमिगत समाचार पत्र ‘रणभेरी’, ‘शंखनाद’ का संपादन व लेखन तथा 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' से प्रकाशित साप्ताहिक ‘सनातन धर्म’ का संपादन किया। सन 1947-1949 तक बम्बई से ‘भारत विद्या’, 1948 में 'प्रतिभा' (मासिक), 1949 में ‘संग्राम’ (साप्ताहिक) एवं काशी से मासिक पत्र 'वासंती' (1955-1959) तथा कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के 'संकल्प' का 1962-1963 में सम्पादन किया।[1]
कृतियाँ
पण्डित सीताराम चतुर्वेदी ने शिक्षा, साहित्य, दर्शन, इतिहास योग, राजनीति आदि लगभग सभी क्षेत्रों में 214 ग्रंथ एवं 85 नाटक-नाटिकाओं का लेखन व मंचन किया। इनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-
- मालवीय जीवन चरित
- अभिनव नाट्य शास्त्र
- समीक्षा शास्त्र
- साहित्यानुशासन
- तन्त्र विज्ञान और साधना
- भारतीय और पाश्चात्य रंगमंच
- कालिदास ग्रन्थावली (सटीक)
- तुलसी ग्रन्थावली (टीका सहित)
- सूर ग्रन्थावली (सटीक)
- वाल्मीकीय रामायण (सटीक)
'ठेठ टकसाली नागरी' के एकमात्र लेखक पण्डित सीताराम चतुर्वेदी जी ने हिन्दी साहित्य के एकमात्र चम्पू ‘श्रीराम विजय’ की रचना की।
पुरस्कार व सम्मान
- 'हिन्दी गौरव' - 'उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान' द्वारा 1999 में मिला।
- 'साहित्य वाचस्पति' - 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन', प्रयाग द्वारा 2003 में मिला।
- डी. लिट् की उपाधि - 'हिन्दी गौरव' तथा 'कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय' द्वारा 2003 में मिली।[1]
निधन
पण्डित सीताराम चतुर्वेदी जी का निधन 17 फ़रवरी, 2005 को बरेली के निकट हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 काशी के पत्रकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2014।
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