"यह रहीम निज संग लै -रहीम": अवतरणों में अंतर
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यह ‘रहीम’ निज संग लै, जनमत | यह ‘रहीम’ निज संग लै, जनमत जगत् न कोय ।<br /> | ||
बैर, प्रीति, अभ्यास, जस होत होत ही होय ॥ | बैर, प्रीति, अभ्यास, जस होत होत ही होय ॥ | ||
13:48, 30 जून 2017 के समय का अवतरण
यह ‘रहीम’ निज संग लै, जनमत जगत् न कोय ।
बैर, प्रीति, अभ्यास, जस होत होत ही होय ॥
- अर्थ
बैर, प्रीति, अभ्यास और यश इनके साथ संसार में कोई भी जन्म नहीं लेता। ये सारी चीजें तो धीरे-धीरे ही आती हैं।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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