"यों रहीम सुख दुख सहत -रहीम": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('<div class="bgrahimdv"> यों ‘रहीम’ सुख दुख सहत, बड़े लोग सह सांति ।<...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<div class="bgrahimdv"> | <div class="bgrahimdv"> | ||
यों ‘रहीम’ सुख | यों ‘रहीम’ सुख दु:ख सहत, बड़े लोग सह सांति ।<br /> | ||
उवत चंद जेहिं भाँति सों, अथवत ताही भाँति ॥ | उवत चंद जेहिं भाँति सों, अथवत ताही भाँति ॥ | ||
14:03, 2 जून 2017 के समय का अवतरण
यों ‘रहीम’ सुख दु:ख सहत, बड़े लोग सह सांति ।
उवत चंद जेहिं भाँति सों, अथवत ताही भाँति ॥
- अर्थ
बड़े आदमी शान्तिपूर्वक सुख और दुःख को सह लेते हैं। वे न सुख पाकर फूल जाते हैं और न दुःख में घबराते हैं। चन्द्रमा जिस प्रकार उदित होता है, उसी प्रकार डूब भी जाता है।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख