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'''रुक्मिणी देवी अरुंडेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: Rukmini Devi Arundale, जन्म: 29 फ़रवरी, 1904 - 24 फ़रवरी 1986) प्रसिद्ध भारतीय नृत्यांगना थीं। इन्होंने [[भरतनाट्यम नृत्य]] में भक्तिभाव भरा तथा नृत्य की एक अपनी परंपरा आरम्भ की। इनको कला के क्षेत्र में 1956 में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। गौरतलब है कि 1920 के दशक में भरतनाट्यम को अच्छी नृत्य शैली नहीं माना जाता था और तब लोग इसका विरोध करते थे, बावजूद इसके उन्होंने न केवल इसका समर्थन किया बल्कि इस कला को अपनाया भी।  
'''रुक्मिणी देवी अरुंडेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Rukmini Devi Arundale'', जन्म- [[29 फ़रवरी]], [[1904]]; मृत्यु- [[24 फ़रवरी]], [[1986]]) प्रसिद्ध भारतीय नृत्यांगना थीं। उन्होंने [[भरतनाट्यम नृत्य]] में भक्तिभाव को भरा तथा नृत्य की अपनी एक परंपरा आरम्भ की। कला के क्षेत्र में रुक्मिणी देवी को [[1956]] में '[[पद्म भूषण]]' से सम्मानित किया गया था। गौरतलब है कि [[1920]] के दशक में भरतनाट्यम को अच्छी नृत्य शैली नहीं माना जाता था और तब लोग इसका विरोध करते थे, बावजूद इसके रुक्मिणी देवी ने न केवल इसका समर्थन किया बल्कि इस कला को अपनाया भी।
==जीवन परिचय==
==जन्म तथा शिक्षा==
रुक्मिणी देवी का जन्म [[29 फ़रवरी]], [[1904]] को [[तमिल नाडु]] के मदुरै जिले में एक [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुअा था।
रुक्मिणी देवी का जन्म [[29 फ़रवरी]], [[1904]] को [[तमिलनाडु]] के [[मदुरै|मदुरै ज़िले]] में एक [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुअा था। पारंपरिक रीति-रिवाजों के बीच पली-बढ़ी रुक्‍मिणी देवी ने महान संगीतकारों से भारतीय संगीत की शिक्षा ली। रुक्‍मिणी के [[पिता]] [[संस्कृत]] के विद्वान और एक उत्साही थियोसोफिस्‍ट थे। इनके समय में लड़कियों को मंच पर [[नृत्य]] करने की इजाजत नहीं थीं। ऐसे में नृत्य सीखने के साथ-साथ रुक्मिणी देवी ने तमाम विरोधों के बावजूद इसे मंच पर प्रस्तुत भी किया। सिर्फ यही नहीं, उन्‍होंने नृत्‍य की कई विधाओं को खुद बनाया भी और उन्‍हें अपने भाव में विकसित किया।
==विवाह==
एक थियोसोफिकल पार्टी में रुक्‍मिणी देवी की मुलाकात जॉर्ज अरुंडेल से हुई। जॉर्ज अरुंडेल [[एनी बेसेंट|डॉ. श्रीमती एनी बेसेंट]] के निकट सहयोगी थे। यहां मुलाकात के दौरान जॉर्ज को रुक्‍मिणी से प्‍यार हो गया और उन्‍होंने 16 साल की उम्र में ही रुक्‍मिणी के सामने [[विवाह]] का प्रस्‍ताव रख दिया। उसके बाद [[1920]] में दोनों का विवाह हो गया। इसके बाद रुक्‍मिणी का नाम 'रुक्‍मिणी अरुंडेल' हो गया।
==जानवरों से स्‍नेह==
रुक्मिणी देवी को जानवरों से बहुत प्‍यार था। राज्‍यसभा सांसद बनकर उन्‍होंने [[1952]] और [[1956]] में पशु क्रूरता निवारण के लिए एक विधेयक का भी प्रस्‍ताव रखा था। ये विधेयक [[1960]] में पास हो गया। रुक्मिणी देवी [[1962]] से 'एनिमल वेलफेयर बोर्ड' की चेयरमैन भी रही थीं।
==सम्मान एवं पुरस्कार==
==सम्मान एवं पुरस्कार==
इन्हें 1956 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 1957 में संगीत नाटक अवार्ड और 1967 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप मिला। 1977 में [[मोरारजी देसाई]] ने इनको राष्ट्रपति पद की पेशकश की थी पर इन्होंने [[राष्ट्रपति भवन]] से ज्यादा महत्त्व अपनी कला अकादमी को दिया तथा उनकी पेशकश को स्वीकार नहीं किया।
सन [[1956]] में कला के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए रुक्मिणी देवी को '[[पद्म भूषण]]' से सम्मानित किया गया था। [[1957]] में '[[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार|संगीत नाटक अवार्ड]]' और [[1967]] में 'संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप' मिला।
;राष्ट्रपति पद की पेशकश
[[1977]] में [[मोरारजी देसाई]] ने रुक्मिणी देवी को [[राष्ट्रपति]] के पद की पेशकश की थी, पर इन्होंने [[राष्ट्रपति भवन]] से ज्यादा महत्त्व अपनी कला अकादमी को दिया तथा उनकी पेशकश को स्वीकार नहीं किया।
==निधन==
==निधन==
रुक्मिणी देवी का निधन [[24 फ़रवरी]], [[1986]] को [[चेन्नई]] में हुआ था।
रुक्मिणी देवी का निधन [[24 फ़रवरी]], [[1986]] को [[चेन्नई]] में हुआ था।


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

12:55, 10 मार्च 2016 का अवतरण

रुक्मिणी देवी अरुंडेल (अंग्रेज़ी: Rukmini Devi Arundale, जन्म- 29 फ़रवरी, 1904; मृत्यु- 24 फ़रवरी, 1986) प्रसिद्ध भारतीय नृत्यांगना थीं। उन्होंने भरतनाट्यम नृत्य में भक्तिभाव को भरा तथा नृत्य की अपनी एक परंपरा आरम्भ की। कला के क्षेत्र में रुक्मिणी देवी को 1956 में 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। गौरतलब है कि 1920 के दशक में भरतनाट्यम को अच्छी नृत्य शैली नहीं माना जाता था और तब लोग इसका विरोध करते थे, बावजूद इसके रुक्मिणी देवी ने न केवल इसका समर्थन किया बल्कि इस कला को अपनाया भी।

जन्म तथा शिक्षा

रुक्मिणी देवी का जन्म 29 फ़रवरी, 1904 को तमिलनाडु के मदुरै ज़िले में एक ब्राह्मण परिवार में हुअा था। पारंपरिक रीति-रिवाजों के बीच पली-बढ़ी रुक्‍मिणी देवी ने महान संगीतकारों से भारतीय संगीत की शिक्षा ली। रुक्‍मिणी के पिता संस्कृत के विद्वान और एक उत्साही थियोसोफिस्‍ट थे। इनके समय में लड़कियों को मंच पर नृत्य करने की इजाजत नहीं थीं। ऐसे में नृत्य सीखने के साथ-साथ रुक्मिणी देवी ने तमाम विरोधों के बावजूद इसे मंच पर प्रस्तुत भी किया। सिर्फ यही नहीं, उन्‍होंने नृत्‍य की कई विधाओं को खुद बनाया भी और उन्‍हें अपने भाव में विकसित किया।

विवाह

एक थियोसोफिकल पार्टी में रुक्‍मिणी देवी की मुलाकात जॉर्ज अरुंडेल से हुई। जॉर्ज अरुंडेल डॉ. श्रीमती एनी बेसेंट के निकट सहयोगी थे। यहां मुलाकात के दौरान जॉर्ज को रुक्‍मिणी से प्‍यार हो गया और उन्‍होंने 16 साल की उम्र में ही रुक्‍मिणी के सामने विवाह का प्रस्‍ताव रख दिया। उसके बाद 1920 में दोनों का विवाह हो गया। इसके बाद रुक्‍मिणी का नाम 'रुक्‍मिणी अरुंडेल' हो गया।

जानवरों से स्‍नेह

रुक्मिणी देवी को जानवरों से बहुत प्‍यार था। राज्‍यसभा सांसद बनकर उन्‍होंने 1952 और 1956 में पशु क्रूरता निवारण के लिए एक विधेयक का भी प्रस्‍ताव रखा था। ये विधेयक 1960 में पास हो गया। रुक्मिणी देवी 1962 से 'एनिमल वेलफेयर बोर्ड' की चेयरमैन भी रही थीं।

सम्मान एवं पुरस्कार

सन 1956 में कला के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए रुक्मिणी देवी को 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। 1957 में 'संगीत नाटक अवार्ड' और 1967 में 'संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप' मिला।

राष्ट्रपति पद की पेशकश

1977 में मोरारजी देसाई ने रुक्मिणी देवी को राष्ट्रपति के पद की पेशकश की थी, पर इन्होंने राष्ट्रपति भवन से ज्यादा महत्त्व अपनी कला अकादमी को दिया तथा उनकी पेशकश को स्वीकार नहीं किया।

निधन

रुक्मिणी देवी का निधन 24 फ़रवरी, 1986 को चेन्नई में हुआ था।

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