"कपिहि तिलक करि प्रभु": अवतरणों में अंतर

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[[सुग्रीव]] का राजतिलक करके प्रभु ने प्रवर्षण पर्वत पर निवास किया, वह तथा वर्षा और शरद् का वर्णन, [[राम|श्री रामजी]] का [[सुग्रीव]] पर रोष और सुग्रीव का भय आदि प्रसंग कहे॥66 (ख)॥  
[[सुग्रीव]] का राजतिलक करके प्रभु ने प्रवर्षण पर्वत पर निवास किया, वह तथा वर्षा और शरद् का वर्णन, [[राम|श्री रामजी]] का [[सुग्रीव]] पर रोष और सुग्रीव का भय आदि प्रसंग कहे॥66 (ख)॥  
{{लेख क्रम4| पिछला=सुनत गरुड़ कै गिरा बिनीता |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=प्रभु अवतार कथा पुनि गाई}}
{{लेख क्रम4| पिछला=प्रभु नारद संबाद कहि |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=जेहि बिधि कपिपति कीस पठाए}}


'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  
'''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।  

12:24, 28 जून 2016 के समय का अवतरण

कपिहि तिलक करि प्रभु
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड उत्तरकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

कपिहि तिलक करि प्रभु कृत सैल प्रबरषन बास।
बरनन बर्षा सरद अरु राम रोष कपि त्रास॥66 ख॥

भावार्थ

सुग्रीव का राजतिलक करके प्रभु ने प्रवर्षण पर्वत पर निवास किया, वह तथा वर्षा और शरद् का वर्णन, श्री रामजी का सुग्रीव पर रोष और सुग्रीव का भय आदि प्रसंग कहे॥66 (ख)॥


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कपिहि तिलक करि प्रभु
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दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (उत्तरकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-505

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