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||'मुहम्मद बिन तुग़लक़' [[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] की मृत्यु के बाद [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा। उसका मूल नाम 'उलूग ख़ाँ' था। राजमुंदरी के एक [[अभिलेख]] में [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] को '''दुनिया का ख़ान''' कहा गया है। सम्भवतः मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुग़लक़ सर्वाधिक शिक्षित, | ||'मुहम्मद बिन तुग़लक़' [[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] की मृत्यु के बाद [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा। उसका मूल नाम 'उलूग ख़ाँ' था। राजमुंदरी के एक [[अभिलेख]] में [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] को '''दुनिया का ख़ान''' कहा गया है। सम्भवतः मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुग़लक़ सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान् एवं योग्य व्यक्ति था। अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर-कृत्यों एवं दूसरों के सुख-दुख के प्रति उपेक्षा का भाव रखने के कारण उसे 'स्वप्नशील', 'पागल' एवं 'रक्त-पिपासु' भी कहा गया है। [[जियाउद्दीन बरनी|बरनी]], सरहिन्दी, निज़ामुद्दीन, [[बदायूंनी]] एवं [[फ़रिश्ता]] जैसे इतिहासकारों ने सुल्तान को अधर्मी घोषित किया गया है। मुहम्मद बिन तुग़लक़ के शासन काल में सबसे अधिक विद्रोह (34) हुए, जिनमें से 27 विद्रोह अकेले [[दक्षिण भारत]] में ही हुए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] | ||
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