"पहेली 24 अगस्त 2016": अवतरणों में अंतर

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+[[साँची]]
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-[[बोधगया]]
-[[बोधगया]]
-[[कुशीनारा]]
-[[कुशीनगर|कुशीनारा]]
||[[चित्र:Sanchi-Stupa.jpg|right|100px|border|साँची स्तूप]]'साँची' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश|मध्य प्रदेश राज्य]] के [[रायसेन|रायसेन ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह [[भोपाल]] से 46 कि.मी. पूर्वोत्तर में तथा बेसनगर और [[विदिशा]] से 10 कि.मी. की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में है। यहाँ बौद्ध स्मारक हैं, जो कि तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के हैं। यहाँ एक [[स्तूप]] स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस का प्रतीक है। [[साँची]] का स्तूप, [[अशोक|सम्राट अशोक महान]] ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसका केन्द्र, एक सामान्य अर्द्धगोलाकार, ईंट निर्मित ढांचा था, जो कि [[बुद्ध]] के कुछ अवशेषों पर बना था। इसके शिखर पर एक छत्र था, जो कि स्मारक को दिये गये सम्मान का प्रतीक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साँची]]
||[[चित्र:Sanchi-Stupa.jpg|right|100px|border|साँची स्तूप]]'साँची' [[भारत]] के [[मध्य प्रदेश|मध्य प्रदेश राज्य]] के [[रायसेन|रायसेन ज़िले]] में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह [[भोपाल]] से 46 कि.मी. पूर्वोत्तर में तथा बेसनगर और [[विदिशा]] से 10 कि.मी. की दूरी पर मध्य प्रदेश के मध्य भाग में है। यहाँ बौद्ध स्मारक हैं, जो कि तीसरी शताब्दी ई.पू. से बारहवीं शताब्दी के बीच के हैं। यहाँ एक [[स्तूप]] स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस का प्रतीक है। [[साँची]] का स्तूप, [[अशोक|सम्राट अशोक महान]] ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसका केन्द्र, एक सामान्य अर्द्धगोलाकार, ईंट निर्मित ढांचा था, जो कि [[बुद्ध]] के कुछ अवशेषों पर बना था। इसके शिखर पर एक छत्र था, जो कि स्मारक को दिये गये सम्मान का प्रतीक था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साँची]]
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