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'''उर्जित पटेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Urjit Patel'', जन्म- [[28 अक्टूबर]], [[1963]]) [[भारतीय रिजर्व बैंक]] के डिप्टी गवर्नर हैं। वे इस केंद्रीय बैंक के 24वें गवर्नर होंगे। वह 23वें गवर्नर [[रघुराम राजन]] का स्थान लेंगे, जो [[4 सितंबर]], [[2016]] को पदमुक्त हो रहे हैं। उर्जित पटेल को [[11 जनवरी]], [[2013]] को रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था और जनवरी, 2016 में उन्हें सेवाविस्तार दिया गया। उर्जित पटेल स्वतंत्र विचारों वाले एकाग्रचित्त व्यक्तित्व के मालिक हैं। वे किसी भी चीज के बारे में पूरी तरह विस्तार से जानने में यकीन रखते हैं।
'''उर्जित पटेल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Urjit Patel'', जन्म- [[28 अक्टूबर]], [[1963]]) [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] के डिप्टी गवर्नर हैं। वे इस केंद्रीय बैंक के 24वें गवर्नर होंगे। वह 23वें गवर्नर [[रघुराम राजन]] का स्थान लेंगे, जो [[4 सितंबर]], [[2016]] को पदमुक्त हो रहे हैं। उर्जित पटेल को [[11 जनवरी]], [[2013]] को रिज़र्व बैंक में डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था और जनवरी, 2016 में उन्हें सेवाविस्तार दिया गया। उर्जित पटेल स्वतंत्र विचारों वाले एकाग्रचित्त व्यक्तित्व के मालिक हैं। वे किसी भी चीज के बारे में पूरी तरह विस्तार से जानने में यकीन रखते हैं।
==परिचय==
==परिचय==
उर्जित पटेल फिलहाल भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। उन्हें [[जनवरी]], 2016 में रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के रूप में तीन साल का विस्तार दिया गया था। वह डिप्टी गवर्नर से रिजर्व बैंक के गवर्नर बनने वाले आठवें व्यक्ति होंगे। उर्जित पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं और फिर उन्होंने प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। रघुराम राजन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पटेल को महंगाई के खिलाफ़ मोर्चा संभालने वाले राजन के मजबूत सिपाही के तौर पर जाना जाता है।<ref>{{cite web |url=http://khabar.ndtv.com/news/business/urjit-patel-to-be-new-rbi-governor-1446413 |title=रघुराम राजन के बाद उर्जित पटेल होंगे RBI के अगले गवर्नर |accessmonthday=21 अगस्त |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=khabar.ndtv.com |language= हिंदी}}</ref>
उर्जित पटेल फिलहाल भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। उन्हें [[जनवरी]], 2016 में रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के रूप में तीन साल का विस्तार दिया गया था। वह डिप्टी गवर्नर से रिज़र्व बैंक के गवर्नर बनने वाले आठवें व्यक्ति होंगे। उर्जित पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं और फिर उन्होंने प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। रघुराम राजन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पटेल को महंगाई के खिलाफ़ मोर्चा संभालने वाले राजन के मजबूत सिपाही के तौर पर जाना जाता है।<ref>{{cite web |url=http://khabar.ndtv.com/news/business/urjit-patel-to-be-new-rbi-governor-1446413 |title=रघुराम राजन के बाद उर्जित पटेल होंगे RBI के अगले गवर्नर |accessmonthday=21 अगस्त |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=khabar.ndtv.com |language= हिंदी}}</ref>
==समिति के अध्यक्ष==
देश में पहली बार महंगाई दर का लक्ष्य तय करने का फैसला उर्जित पटेल की अगुवाई वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर हुआ था। इसी के आधार पर तय हुआ था कि अगले पांच साल के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य चार फीसद रहेगा, जो ज्यादा से ज्यादा छह फीसद तक जा सकती है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने की जिम्मेदारी गवर्नर और इस कमेटी की होगी जो [[संसद]] के प्रति जवाबदेह होगी। पहले ब्याज दरें तय करने का पैमाना थोक महंगाई दर को माना जाता था, लेकिन खुदरा महंगाई दर को इसका पैमाना बनाने की सिफारिश करने का श्रेय भी उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली इस कमेटी को ही जाता है। हालांकि अब यह स्पष्ट है कि गवर्नर बनने के बाद पटेल अकेले मौद्रिक नीति या ब्याज दरों में फेरबदल का फैसला नहीं कर पाएंगे। अब यह काम छह सदस्यों वाली एक कमेटी करेगी, जिसके मुखिया गवर्नर होंगे।
==कार्यक्षेत्र==
==कार्यक्षेत्र==
*उर्जित पटेल ने [[1990]] से [[1995]] के बीच 'अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष' (आईएमएफ) में [[अमेरिका]], [[भारत]], बहमास और [[म्यांमार]] डेस्क पर काम किया। वह [[1996]]-[[1997]] तक आईएमएफ से रिज़र्व बैंक में प्रतिनियुक्त पर रहे। इस दौरान उन्होंने रिण बाजार के विकास, बैंकिंग क्षेत्र के सुधार, पेंशन कोष सुधार, वास्तविक विनिमय दर लक्ष्य और विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार के विकास पर सलाह दी।
रिज़र्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के तौर पर उर्जित पटेल तीन साल का एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और वर्ष 2016 में उन्हें दो साल का विस्तार दिया गया था। डिप्टी गवर्नर बनने से पहले वह बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में एनर्जी एडवाइजर के तौर पर काम कर रहे थे। पटेल [[1990]] से [[1995]] तक 'अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष' (आइएमएफ) में भी काम कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने [[अमेरिका]], [[भारत]], बहमास और [[म्यांमार]] डेस्क पर काम किया। आइएमएफ की तरफ से ही वह [[1996]]-[[1997]] में रिज़र्व बैंक में डेपुटेशन पर आए। इस दौरान [[भारत]] में डेट मार्केट को विकसित करने संबंधी नियम बनाने में उनका अहम योगदान रहा। साथ ही बैंकिंग सुधार, पेंशन फंड रिफॉर्म, रियल एक्सचेंज रेट और विदेशी मुद्रा बाजार को विकसित करने में भी उन्होंने रिज़र्व बैंक को परामर्श दिया।
*वर्ष [[1998]] से [[2001]] के बीच वह वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में एक सलाहकार रहे। इसके अलावा वह रिलायंस इंडस्ट्री में अध्यक्ष (कारोबार विकास), आईडीएफसी में कार्यकारी निदेशक एवं प्रबंधकीय समिति के सदस्य, एकीकृत ऊर्जा नीति समिति के सदस्य और [[गुजरात]] राज्य पेट्रोलियम निगम लिमिटेड में निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे।
 
*वर्ष [[2000]] से [[2004]] के बीच पटेल ने कई उच्च स्तरीय राज्य एवं केंद्रीय समितियों में कार्य किया। इनमें प्रत्यक्ष कर पर कार्यबल, वित्त मंत्रालय, शोध परियोजनाओं और बाजार अध्ययन पर सलाहकार समिति, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, अवसंरचना पर प्रधानमंत्री के कार्यबल के लिए सचिवालय, दूरसंचार मामलों पर मंत्री समूह और नागर विमानन सुधार समिति इत्यादि शामिल हैं।
देश में [[प्रधानमंत्री]] [[अटल बिहारी वाजपेयी]] के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पहली सरकार को भी उनकी विशेषज्ञता का लाभ मिला। [[1998]] से [[2001]] तक उन्होंने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में कंसल्टेंट की भूमिका निभायी थी। इसके अतिरिक्त वह रिलायंस इंडस्ट्रीज में प्रेसीडेंट (बिजनेस डवलपमेंट), आइडीएफसी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर व मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य और गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के बोर्ड में सदस्य भी रह चुके हैं। साल [[2000]] से [[2004]]] के बीच उर्जित पटेल कई केंद्रीय व राज्य स्तरीय उच्चाधिकार समितियों के सदस्य भी रहे। मसलन वित्त मंत्रालय की डायरेक्ट टैक्स पर बने टास्क फोर्स के सदस्य रहने के साथ-साथ वह प्रधानमंत्री की इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बने टास्क फोर्स के सचिवालय में भी रहे। मौद्रिक नीति विभाग के मुखिया होने के नाते इस संबंध में रिज़र्व बैंक ने [[रघुराम राजन]] के कार्यकाल में जो भी कदम उठाए, उसके पीछे उर्जित पटेल की सोच ही आधार रही है। माना जा रहा है कि गवर्नर बनने के बाद वह रघुराम राजन की नीतियों को ही आगे बढ़ाएंगे।<ref>{{cite web |url=http://www.jagran.com/news/business-urjit-patel-appointed-new-rbi-governor-14537779.html/ |title=उर्जित पटेल होंगे रिजर्व बैंक अॉफ इंडिया के नए गवर्नर, लेंगे राजन की जगह|accessmonthday=21 अगस्त |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.jagran.com |language= हिंदी}}</ref>
*पटेल ने कई तकनीकी प्रकाशन, दस्तावेज और भारतीय वृहद अर्थव्यवस्था पर टिप्पणियां भी लिखी हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.jansatta.com/business/who-is-urjit-patel-new-rbi-governor-everything-you-want-to-know-about-him/132980/ |title=मोदी सरकार ने चुना RBI का नया गवर्नर, जानें कौन हैं उर्जित पटेल |accessmonthday=21 अगस्त |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.jansatta.com |language= हिंदी}}</ref>


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07:18, 21 अगस्त 2016 का अवतरण

उर्जित पटेल (अंग्रेज़ी: Urjit Patel, जन्म- 28 अक्टूबर, 1963) भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। वे इस केंद्रीय बैंक के 24वें गवर्नर होंगे। वह 23वें गवर्नर रघुराम राजन का स्थान लेंगे, जो 4 सितंबर, 2016 को पदमुक्त हो रहे हैं। उर्जित पटेल को 11 जनवरी, 2013 को रिज़र्व बैंक में डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था और जनवरी, 2016 में उन्हें सेवाविस्तार दिया गया। उर्जित पटेल स्वतंत्र विचारों वाले एकाग्रचित्त व्यक्तित्व के मालिक हैं। वे किसी भी चीज के बारे में पूरी तरह विस्तार से जानने में यकीन रखते हैं।

परिचय

उर्जित पटेल फिलहाल भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर हैं। उन्हें जनवरी, 2016 में रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के रूप में तीन साल का विस्तार दिया गया था। वह डिप्टी गवर्नर से रिज़र्व बैंक के गवर्नर बनने वाले आठवें व्यक्ति होंगे। उर्जित पटेल लंदन स्कूल इकोनॉमिक्स से स्नातक हैं और फिर उन्होंने प्रतिष्ठित येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। रघुराम राजन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले पटेल को महंगाई के खिलाफ़ मोर्चा संभालने वाले राजन के मजबूत सिपाही के तौर पर जाना जाता है।[1]

समिति के अध्यक्ष

देश में पहली बार महंगाई दर का लक्ष्य तय करने का फैसला उर्जित पटेल की अगुवाई वाली कमेटी की सिफारिशों के आधार पर हुआ था। इसी के आधार पर तय हुआ था कि अगले पांच साल के लिए खुदरा महंगाई दर का लक्ष्य चार फीसद रहेगा, जो ज्यादा से ज्यादा छह फीसद तक जा सकती है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने की जिम्मेदारी गवर्नर और इस कमेटी की होगी जो संसद के प्रति जवाबदेह होगी। पहले ब्याज दरें तय करने का पैमाना थोक महंगाई दर को माना जाता था, लेकिन खुदरा महंगाई दर को इसका पैमाना बनाने की सिफारिश करने का श्रेय भी उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली इस कमेटी को ही जाता है। हालांकि अब यह स्पष्ट है कि गवर्नर बनने के बाद पटेल अकेले मौद्रिक नीति या ब्याज दरों में फेरबदल का फैसला नहीं कर पाएंगे। अब यह काम छह सदस्यों वाली एक कमेटी करेगी, जिसके मुखिया गवर्नर होंगे।

कार्यक्षेत्र

रिज़र्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के तौर पर उर्जित पटेल तीन साल का एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और वर्ष 2016 में उन्हें दो साल का विस्तार दिया गया था। डिप्टी गवर्नर बनने से पहले वह बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में एनर्जी एडवाइजर के तौर पर काम कर रहे थे। पटेल 1990 से 1995 तक 'अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष' (आइएमएफ) में भी काम कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने अमेरिका, भारत, बहमास और म्यांमार डेस्क पर काम किया। आइएमएफ की तरफ से ही वह 1996-1997 में रिज़र्व बैंक में डेपुटेशन पर आए। इस दौरान भारत में डेट मार्केट को विकसित करने संबंधी नियम बनाने में उनका अहम योगदान रहा। साथ ही बैंकिंग सुधार, पेंशन फंड रिफॉर्म, रियल एक्सचेंज रेट और विदेशी मुद्रा बाजार को विकसित करने में भी उन्होंने रिज़र्व बैंक को परामर्श दिया।

देश में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की पहली सरकार को भी उनकी विशेषज्ञता का लाभ मिला। 1998 से 2001 तक उन्होंने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में कंसल्टेंट की भूमिका निभायी थी। इसके अतिरिक्त वह रिलायंस इंडस्ट्रीज में प्रेसीडेंट (बिजनेस डवलपमेंट), आइडीएफसी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर व मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य और गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के बोर्ड में सदस्य भी रह चुके हैं। साल 2000 से 2004] के बीच उर्जित पटेल कई केंद्रीय व राज्य स्तरीय उच्चाधिकार समितियों के सदस्य भी रहे। मसलन वित्त मंत्रालय की डायरेक्ट टैक्स पर बने टास्क फोर्स के सदस्य रहने के साथ-साथ वह प्रधानमंत्री की इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बने टास्क फोर्स के सचिवालय में भी रहे। मौद्रिक नीति विभाग के मुखिया होने के नाते इस संबंध में रिज़र्व बैंक ने रघुराम राजन के कार्यकाल में जो भी कदम उठाए, उसके पीछे उर्जित पटेल की सोच ही आधार रही है। माना जा रहा है कि गवर्नर बनने के बाद वह रघुराम राजन की नीतियों को ही आगे बढ़ाएंगे।[2]


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