"भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण": अवतरणों में अंतर
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'''भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Airports Authority of India'') नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह प्राधिकरण सभी हवाई अड्डों के भारतीय हवाई क्षेत्रों, समुद्री क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्रों एवं भूमि प्रतिष्ठानों को हवाई यातायात प्रबंधन सेवा (एटीएम) प्रदान करता है। इसकी स्थापना [[1 अप्रैल]], [[1995]] को हुई थी। इसका निगमित मुख्यालय राजीव गाँधी भवन, सफदरजंग विमानक्षेत्र, [[नई दिल्ली]] में स्थित है। | '''भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Airports Authority of India'') नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह प्राधिकरण सभी हवाई अड्डों के भारतीय हवाई क्षेत्रों, समुद्री क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्रों एवं भूमि प्रतिष्ठानों को हवाई यातायात प्रबंधन सेवा (एटीएम) प्रदान करता है। इसकी स्थापना [[1 अप्रैल]], [[1995]] को हुई थी। इसका निगमित मुख्यालय राजीव गाँधी भवन, सफदरजंग विमानक्षेत्र, [[नई दिल्ली]] में स्थित है। | ||
==प्रबंधन== | ==प्रबंधन== | ||
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं। सुरक्षित विमान प्रचालन हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सभी विमानपत्तनों एवं 25 अन्य स्थानों पर जमीनी अधिष्ठापनों के साथ संपूर्ण भारतीय वायु क्षेत्र एवं समीपवर्ती महासागरीय क्षेत्रों में वायु ट्रैफिक प्रबंधन सेवाएं (ए टी एम एस) भी प्रदान करता है। [[इलाहाबाद]], [[अमृतसर]], [[कालीकट]], [[गुवाहाटी]], [[जयपुर]], [[त्रिवेंद्रम]], [[कोलकाता]] एवं [[चेन्नई]] के विमानपत्तन, जो आज अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन के रूप में स्थापित हैं, विदेशी अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों | भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं। सुरक्षित विमान प्रचालन हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सभी विमानपत्तनों एवं 25 अन्य स्थानों पर जमीनी अधिष्ठापनों के साथ संपूर्ण भारतीय वायु क्षेत्र एवं समीपवर्ती महासागरीय क्षेत्रों में वायु ट्रैफिक प्रबंधन सेवाएं (ए टी एम एस) भी प्रदान करता है। [[इलाहाबाद]], [[अमृतसर]], [[कालीकट]], [[गुवाहाटी]], [[जयपुर]], [[त्रिवेंद्रम]], [[कोलकाता]] एवं [[चेन्नई]] के विमानपत्तन, जो आज अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन के रूप में स्थापित हैं, विदेशी अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों द्वारा भी प्रचालन के लिए खुले हैं। [[कोयम्बटूर]], त्रिचुरापल्ली, [[वाराणसी]] एवं [[गया]] के हवाई अड्डों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के अलावा राष्ट्रीय ध्वज वाहक भी प्रचालन करते हैं। केवल इतना ही नहीं अपितु अब [[आगरा]], कोयबंटूर, जयपुर, [[लखनऊ]], [[पटना]] आदि के विमानपत्तनों तक टूरिस्ट चार्टर भी जाते हैं।<ref name="a">{{cite web |url=http://www.aai.aero/hindi/AAI_today_hindi.jsp |title=भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण|accessmonthday=09 सितम्बर|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=aai.aero |language=हिंदी }}</ref> | ||
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भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने [[मुम्बई]], [[दिल्ली]], [[हैदराबाद]], [[बंगलौर]] एवं [[नागपुर]] के विमानपत्तनों के उन्नयन के लिए तथा विश्वस्तरीय मानकों से बराबरी करने के लिए पर एक संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया है। भारतीय भू क्षेत्र के ऊपर सभी प्रमुख वायुमार्ग वीओआर/डीवीओआर कवरेज (89 अधिष्ठापन) के साथ रडार | भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने [[मुम्बई]], [[दिल्ली]], [[हैदराबाद]], [[बंगलौर]] एवं [[नागपुर]] के विमानपत्तनों के उन्नयन के लिए तथा विश्वस्तरीय मानकों से बराबरी करने के लिए पर एक संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया है। भारतीय भू क्षेत्र के ऊपर सभी प्रमुख वायुमार्ग वीओआर/डीवीओआर कवरेज (89 अधिष्ठापन) के साथ रडार द्वारा कवर्ड हैं (11 स्थानों पर 29 रडार अधिष्ठापन) जो दूरी मापन उपकरण के साथ सह-स्थित हैं (90 अधिष्ठापन)। 52 रनवे पर आईएलएस अधिष्ठापन की सुविधा है तथा इनमें से अधिकांश विमानपत्तनों पर नाइट लैंडिंग की सुविधाएं हैं और 15 विमानपत्तनों पर आटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम लगा है। | ||
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भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण | भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा कोलकाता एवं चेन्नई के वायु ट्रैफिक नियंत्रण केंद्रों पर देशज प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके आटोमेटिक डिपेंडेंस सर्विलांस सिस्टम (ए डी एस एस) के सफल कार्यान्वयन ने [[भारत]] को दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में इस उन्नत प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने वाला पहला देश होने का गौरव प्रदान किया, जिससे [[उपग्रह]] आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग करके महासागरीय क्षेत्रों के ऊपर वायु ट्रैफिक का प्रभावी नियंत्रण संभव हुआ है। उपग्रह संचार लिंक के साथ रिमोट कंट्रोल्ड वी एच एफ कवरेज के प्रयोग ने हमारे ए टी एम एस को और मजबूती प्रदान की है। वी-सैट अधिष्ठापनों द्वारा 80 स्थाननों को जोड़ने से बड़े पैमाने पर वायु ट्रैफिक प्रबंधन में वृद्धि होगी और बदले में एयरक्राफ्ट के प्रचालन की सुरक्षा में वृद्धि होगी। इसके अलावा, हमारे वृहद एयरपोर्ट नेटवर्क पर प्रशासनिक एवं प्रचालनात्मक नियंत्रण संभव होगा। मुम्बई, दिल्ली एवं [[इलाहाबाद]] के विमानपत्तनों पर निष्पादन आधारित नेविगेशन (पीएनबी) प्रक्रिया पहले ही कार्यान्वित की जा चुकी है तथा अन्य विमानपत्तनों पर चरणबद्ध ढंग से इसको लागू करने की संभावना है।<ref name="a"/> | ||
==प्रौद्योगिकीय सहयोग== | ==प्रौद्योगिकीय सहयोग== | ||
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान केंद्र (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकीय सहयोग से गगन परियोजना शुरू की है, जहां नेविगेशन के लिए [[उपग्रह]] आधारित प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रकार जीपीएस से प्राप्त नेविगेशन के संकेतों को हवाई जहाजों की नेविगेशन संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्नत किया जाएगा। प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रणाली का पहला चरण [[फ़रवरी]], [[2008]] में पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। प्रचालनात्मक चरण में इस प्रणाली को स्तरोन्नत करने के लिए विकास टीम को सक्षम बनाया गया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने [[दिल्ली]] एवं [[मुम्बई]] के विमानपत्तनों पर ग्राउंड बेस्ड ऑगमेंटेशन सिस्टम (जी बी ए एस) उपलब्ध् कराने की भी योजना बनाई है। यह जीबीएएस उपकरण हवाई जहाजों को श्रेणी-2 (वक्र एप्रोच) लैंडिंग सिगनल उपलब्ध कराने और इस प्रकार आगे चलकर लैंडिंग सिस्टम के विद्यमान उपकरण को प्रतिस्थापित करने में समर्थ होगा, जिसकी रनवे के प्रत्येक छोर पर जरूरत होती है। | भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान केंद्र (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकीय सहयोग से गगन परियोजना शुरू की है, जहां नेविगेशन के लिए [[उपग्रह]] आधारित प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रकार जीपीएस से प्राप्त नेविगेशन के संकेतों को हवाई जहाजों की नेविगेशन संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्नत किया जाएगा। प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रणाली का पहला चरण [[फ़रवरी]], [[2008]] में पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। प्रचालनात्मक चरण में इस प्रणाली को स्तरोन्नत करने के लिए विकास टीम को सक्षम बनाया गया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने [[दिल्ली]] एवं [[मुम्बई]] के विमानपत्तनों पर ग्राउंड बेस्ड ऑगमेंटेशन सिस्टम (जी बी ए एस) उपलब्ध् कराने की भी योजना बनाई है। यह जीबीएएस उपकरण हवाई जहाजों को श्रेणी-2 (वक्र एप्रोच) लैंडिंग सिगनल उपलब्ध कराने और इस प्रकार आगे चलकर लैंडिंग सिस्टम के विद्यमान उपकरण को प्रतिस्थापित करने में समर्थ होगा, जिसकी रनवे के प्रत्येक छोर पर जरूरत होती है। |
10:22, 13 अक्टूबर 2017 का अवतरण
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
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विवरण | 'भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण' भारत के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन आता है। प्राधिकरण कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है, जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं। |
देश | भारत |
स्थापना | 1 अप्रैल, 1995 |
अधिकार क्षेत्र | विमानक्षेत्र, ए.टी.सी, भारतीय वायु क्षेत्र |
मुख्यालय | राजीव गांधी भवन, सफदरजंग हवाई अड्डा, नई दिल्ली |
मातृ संस्था | नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार |
अन्य जानकारी | भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान केंद्र (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकीय सहयोग से गगन परियोजना शुरू की है, जहां नेविगेशन के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। |
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (अंग्रेज़ी: Airports Authority of India) नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह प्राधिकरण सभी हवाई अड्डों के भारतीय हवाई क्षेत्रों, समुद्री क्षेत्रों के आसपास के क्षेत्रों एवं भूमि प्रतिष्ठानों को हवाई यातायात प्रबंधन सेवा (एटीएम) प्रदान करता है। इसकी स्थापना 1 अप्रैल, 1995 को हुई थी। इसका निगमित मुख्यालय राजीव गाँधी भवन, सफदरजंग विमानक्षेत्र, नई दिल्ली में स्थित है।
प्रबंधन
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) कुल 125 विमानपत्तनों का प्रबंधन करता है जिसमें 11 अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन, 8 सीमा शुल्क विमानपत्तन, 81 घरेलू विमानपत्तन तथा रक्षा वायु क्षेत्रों में 25 सिविल एंक्लेव शामिल हैं। सुरक्षित विमान प्रचालन हेतु भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण सभी विमानपत्तनों एवं 25 अन्य स्थानों पर जमीनी अधिष्ठापनों के साथ संपूर्ण भारतीय वायु क्षेत्र एवं समीपवर्ती महासागरीय क्षेत्रों में वायु ट्रैफिक प्रबंधन सेवाएं (ए टी एम एस) भी प्रदान करता है। इलाहाबाद, अमृतसर, कालीकट, गुवाहाटी, जयपुर, त्रिवेंद्रम, कोलकाता एवं चेन्नई के विमानपत्तन, जो आज अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन के रूप में स्थापित हैं, विदेशी अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइनों द्वारा भी प्रचालन के लिए खुले हैं। कोयम्बटूर, त्रिचुरापल्ली, वाराणसी एवं गया के हवाई अड्डों से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के अलावा राष्ट्रीय ध्वज वाहक भी प्रचालन करते हैं। केवल इतना ही नहीं अपितु अब आगरा, कोयबंटूर, जयपुर, लखनऊ, पटना आदि के विमानपत्तनों तक टूरिस्ट चार्टर भी जाते हैं।[1]
- संयुक्त उद्यम
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने मुम्बई, दिल्ली, हैदराबाद, बंगलौर एवं नागपुर के विमानपत्तनों के उन्नयन के लिए तथा विश्वस्तरीय मानकों से बराबरी करने के लिए पर एक संयुक्त उद्यम भी स्थापित किया है। भारतीय भू क्षेत्र के ऊपर सभी प्रमुख वायुमार्ग वीओआर/डीवीओआर कवरेज (89 अधिष्ठापन) के साथ रडार द्वारा कवर्ड हैं (11 स्थानों पर 29 रडार अधिष्ठापन) जो दूरी मापन उपकरण के साथ सह-स्थित हैं (90 अधिष्ठापन)। 52 रनवे पर आईएलएस अधिष्ठापन की सुविधा है तथा इनमें से अधिकांश विमानपत्तनों पर नाइट लैंडिंग की सुविधाएं हैं और 15 विमानपत्तनों पर आटोमेटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम लगा है।
देशज प्रौद्योगिकी का प्रयोग
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा कोलकाता एवं चेन्नई के वायु ट्रैफिक नियंत्रण केंद्रों पर देशज प्रौद्योगिकी का प्रयोग करके आटोमेटिक डिपेंडेंस सर्विलांस सिस्टम (ए डी एस एस) के सफल कार्यान्वयन ने भारत को दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में इस उन्नत प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने वाला पहला देश होने का गौरव प्रदान किया, जिससे उपग्रह आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग करके महासागरीय क्षेत्रों के ऊपर वायु ट्रैफिक का प्रभावी नियंत्रण संभव हुआ है। उपग्रह संचार लिंक के साथ रिमोट कंट्रोल्ड वी एच एफ कवरेज के प्रयोग ने हमारे ए टी एम एस को और मजबूती प्रदान की है। वी-सैट अधिष्ठापनों द्वारा 80 स्थाननों को जोड़ने से बड़े पैमाने पर वायु ट्रैफिक प्रबंधन में वृद्धि होगी और बदले में एयरक्राफ्ट के प्रचालन की सुरक्षा में वृद्धि होगी। इसके अलावा, हमारे वृहद एयरपोर्ट नेटवर्क पर प्रशासनिक एवं प्रचालनात्मक नियंत्रण संभव होगा। मुम्बई, दिल्ली एवं इलाहाबाद के विमानपत्तनों पर निष्पादन आधारित नेविगेशन (पीएनबी) प्रक्रिया पहले ही कार्यान्वित की जा चुकी है तथा अन्य विमानपत्तनों पर चरणबद्ध ढंग से इसको लागू करने की संभावना है।[1]
प्रौद्योगिकीय सहयोग
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान केंद्र (इसरो) के साथ प्रौद्योगिकीय सहयोग से गगन परियोजना शुरू की है, जहां नेविगेशन के लिए उपग्रह आधारित प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रकार जीपीएस से प्राप्त नेविगेशन के संकेतों को हवाई जहाजों की नेविगेशन संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उन्नत किया जाएगा। प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रणाली का पहला चरण फ़रवरी, 2008 में पहले ही सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। प्रचालनात्मक चरण में इस प्रणाली को स्तरोन्नत करने के लिए विकास टीम को सक्षम बनाया गया है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने दिल्ली एवं मुम्बई के विमानपत्तनों पर ग्राउंड बेस्ड ऑगमेंटेशन सिस्टम (जी बी ए एस) उपलब्ध् कराने की भी योजना बनाई है। यह जीबीएएस उपकरण हवाई जहाजों को श्रेणी-2 (वक्र एप्रोच) लैंडिंग सिगनल उपलब्ध कराने और इस प्रकार आगे चलकर लैंडिंग सिस्टम के विद्यमान उपकरण को प्रतिस्थापित करने में समर्थ होगा, जिसकी रनवे के प्रत्येक छोर पर जरूरत होती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (हिंदी) aai.aero। अभिगमन तिथि: 09 सितम्बर, 2016।
बाहरी कड़ियाँ
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