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-[[गुरु हरगोबिंद सिंह]]
-[[गुरु हरगोबिंद सिंह]]
-[[गुरु अंगद देव]]
-[[गुरु अंगद देव]]
||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|border|100px|गुरु अमरदास]]'गुरु अमरदास' [[सिक्ख|सिक्खों]] के तीसरे गुरु थे, जो 73 वर्ष की उम्र में गुरु नियुक्‍त हुए थे। [[गुरु अमरदास]] [[पंजाब]] को 22 सिक्‍ख प्रांतों में बांटने की अपनी योजना तथा धर्म प्रचारकों को बाहर भेजने के लिए प्रसिद्ध हुए। वह अपनी बुद्धिमत्‍ता तथा धर्मपरायणता के लिए बहुत सम्‍मानित थे। कहा जाता था कि [[मुग़ल]] [[अकबर|शंहशाह अकबर]] उनसे सलाह लेते थे और उनके जाति-निरपेक्ष लंगर में उन्होंने भोजन भी ग्रहण किया था। गुरु अमरदास के मार्गदर्शन में गोइंदवाल शहर [[सिक्‍ख]] अध्‍ययन का प्रसिद्ध केंद्र बना।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]]
||[[चित्र:Guru-Amar-Das.jpg|right|border|100px|गुरु अमरदास]]'गुरु अमरदास' [[सिक्ख|सिक्खों]] के तीसरे गुरु थे, जो 73 वर्ष की उम्र में गुरु नियुक्‍त हुए थे। [[गुरु अमरदास]] [[पंजाब]] को 22 सिक्‍ख प्रांतों में बांटने की अपनी योजना तथा धर्म प्रचारकों को बाहर भेजने के लिए प्रसिद्ध हुए। वह अपनी बुद्धिमत्‍ता तथा धर्मपरायणता के लिए बहुत सम्‍मानित थे। कहा जाता था कि [[मुग़ल]] [[अकबर|शंहशाह अकबर]] उनसे सलाह लेते थे और उनके जाति-निरपेक्ष लंगर में उन्होंने भोजन भी ग्रहण किया था। गुरु अमरदास के मार्गदर्शन में गोइंदवाल शहर [[सिक्ख]] अध्‍ययन का प्रसिद्ध केंद्र बना। अमरदास के कुछ पद '[[गुरु ग्रंथ साहब]]' में संगृहीत हैं। इनकी एक प्रसिद्ध रचना 'आनंद' है, जो उत्सवों में गाई जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु अमरदास]]
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