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||[[चित्र:Chaitanya-Mahaprabhu-1.jpg|right|100px|border|चैतन्य महाप्रभु]]'चैतन्य महाप्रभु' [[भक्तिकाल]] के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने [[वैष्णव|वैष्णवों]] के [[गौड़ीय संप्रदाय]] की आधारशिला रखी। भजन गायकी की एक नयी [[शैली]] को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊँच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त [[वृन्दावन]] को फिर से बसाया। [[चैतन्य महाप्रभु]] के पिता का नाम 'जगन्नाथ मिश्र' व माता का नाम 'शचि देवी' था। कवि कर्णपुर कृत 'चैतन्य चंद्रोदय' के अनुसार उन्होंने 'केशव भारती' नामक सन्न्यासी से दीक्षा ली थी। कुछ लोग माधवेन्द्र पुरी को इनका दीक्षा गुरु मानते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैतन्य महाप्रभु]] | ||[[चित्र:Chaitanya-Mahaprabhu-1.jpg|right|100px|border|चैतन्य महाप्रभु]]'चैतन्य महाप्रभु' [[भक्तिकाल]] के प्रमुख संतों में से एक थे। उन्होंने [[वैष्णव|वैष्णवों]] के [[गौड़ीय संप्रदाय]] की आधारशिला रखी। भजन गायकी की एक नयी [[शैली]] को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता की सद्भावना को बल दिया, जाति-पांत, ऊँच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी तथा विलुप्त [[वृन्दावन]] को फिर से बसाया। [[चैतन्य महाप्रभु]] के पिता का नाम 'जगन्नाथ मिश्र' व माता का नाम 'शचि देवी' था। कवि कर्णपुर कृत 'चैतन्य चंद्रोदय' के अनुसार उन्होंने 'केशव भारती' नामक सन्न्यासी से दीक्षा ली थी। कुछ लोग माधवेन्द्र पुरी को इनका दीक्षा गुरु मानते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चैतन्य महाप्रभु]] |
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