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बातिक रंगाई की पद्धति है। बातिक पद्धति में कपड़े को जगह-जगह मोम से ढंका जाता है, जिससे उन हिस्सों पर रंग न चढ़े। बातिक पद्धति का प्रयोग मुख्यत: [[सुती वस्त्र|सूती वस्त्रों]] पर [[नीला रंग|नीले]], भूरे और [[लाल रंग]] के परंपरागत रंगों में होता है। बहुरंगी व सम्मिश्रित प्रभाव रंगाई की प्रक्रिया को कई बार दुहरा कर प्राप्त किया जाता है, जिसमें मोम की आरंभिक आकृति को उबालकर निकाल दिया जाता है और पुन: रंगाई के पूर्व नई आकृति बनाई जाती है। बातिक [[श्रीलंका]] का अति लोकप्रिय उद्योग है। | बातिक रंगाई की पद्धति है। बातिक पद्धति में कपड़े को जगह-जगह मोम से ढंका जाता है, जिससे उन हिस्सों पर रंग न चढ़े। बातिक पद्धति का प्रयोग मुख्यत: [[सुती वस्त्र|सूती वस्त्रों]] पर [[नीला रंग|नीले]], भूरे और [[लाल रंग]] के परंपरागत रंगों में होता है। बहुरंगी व सम्मिश्रित प्रभाव रंगाई की प्रक्रिया को कई बार दुहरा कर प्राप्त किया जाता है, जिसमें मोम की आरंभिक आकृति को उबालकर निकाल दिया जाता है और पुन: रंगाई के पूर्व नई आकृति बनाई जाती है। बातिक [[श्रीलंका]] का अति लोकप्रिय उद्योग है। | ||
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13:00, 10 जनवरी 2011 का अवतरण
बातिक रंगाई की पद्धति है। बातिक पद्धति में कपड़े को जगह-जगह मोम से ढंका जाता है, जिससे उन हिस्सों पर रंग न चढ़े। बातिक पद्धति का प्रयोग मुख्यत: सूती वस्त्रों पर नीले, भूरे और लाल रंग के परंपरागत रंगों में होता है। बहुरंगी व सम्मिश्रित प्रभाव रंगाई की प्रक्रिया को कई बार दुहरा कर प्राप्त किया जाता है, जिसमें मोम की आरंभिक आकृति को उबालकर निकाल दिया जाता है और पुन: रंगाई के पूर्व नई आकृति बनाई जाती है। बातिक श्रीलंका का अति लोकप्रिय उद्योग है।
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