"इतिहास सामान्य ज्ञान 105": अवतरणों में अंतर
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{[[कश्मीर]] में '[[उत्पल वंश]]' की स्थापना किसने की थी? | {[[कश्मीर]] में '[[उत्पल वंश]]' की स्थापना किसने की थी? | ||
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+[[ | +[[अवन्ति वर्मन]] | ||
-[[ललितादित्य मुक्तापीड]] | -[[ललितादित्य मुक्तापीड]] | ||
-[[रानी दिद्दा]] | -[[रानी दिद्दा]] | ||
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-[[बहरीन]] | -[[बहरीन]] | ||
+उपर्युक्त सभी | +उपर्युक्त सभी | ||
||[[चित्र:Well-And-Bathing-Platforms-Harappa.jpg|border|सिंधु घाटी सभ्यता में स्थित एक कुआँ और स्नान घर]]'सिंधु घाटी सभ्यता' विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। यह [[हड़प्पा सभ्यता]] और सिंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है। हड़प्पाई सभ्यता का काल निर्धारण मुख्य रूप से [[मेसोपोटामिया]] में 'उर' और 'किश' स्थलों पर पाए गए हड़प्पाई मुद्राओं के आधार पर किया गया। इस क्षेत्र में सर्वप्रथम प्रयास जॉन मार्शल का रहा। उन्होंने [[1931]] ई. में इस सभ्यता का काल 3250 ई. पू. 2750 ई. पू. निर्धारित किया। ह्वीलर ने इसका काल 2500-1500 ई. पू. माना है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिंधु घाटी सभ्यता]] | |||
{किस [[सिक्ख]] गुरु ने [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में '[[जफ़रनामा|जफ़रनामा]]' लिखा था? | {किस [[सिक्ख]] गुरु ने [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में '[[जफ़रनामा|जफ़रनामा]]' लिखा था? | ||
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+[[गुरु गोबिन्द सिंह]] | +[[गुरु गोबिन्द सिंह]] | ||
-[[गुरु तेग़ बहादुर]] | -[[गुरु तेग़ बहादुर]] | ||
||[[चित्र:Guru Gobind Singh.jpg|border|right|80px|गुरु गोबिन्द सिंह]]'गुरु गोबिन्द सिंह' सिक्खों के दसवें व अंतिम गुरु माने जाते हैं। वे [[11 नवंबर]], 1675 को सिक्खों के गुरु नियुक्त हुए और 1708 ई. तक इस पद पर रहे। [[ज़फ़रनामा]] [[गुरु गोबिन्द सिंह]] द्वारा लिखा गया वह पत्र है, जो उन्होंने आनन्दपुर छोड़ने के बाद सन [[1706]] में [[मुग़ल]] बादशाह [[औरंगज़ेब]] को लिखा था। इस पत्र को पढ़कर औरंगज़ेब अत्यंत प्रभावित हुआ था। इस समय बादशाह औरंगज़ेब अपने जीवन के अंतिम दिन जी रहा था। यह पत्र मूल रूप से [[फ़ारसी भाषा]] में लिखा गया था। ज़फ़रनामा में गुरु गोबिन्द सिंह ने औरंगज़ेब के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी। इस पत्र को 'विजय पत्र' भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु गोबिन्द सिंह]], [[ज़फ़रनामा]] | |||
{'ठगी प्रथा' के उन्मूलन से सम्बद्ध [[गवर्नर-जनरल]] कौन था? | {'ठगी प्रथा' के उन्मूलन से सम्बद्ध [[गवर्नर-जनरल]] कौन था? | ||
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-[[लॉर्ड डलहौज़ी]] | -[[लॉर्ड डलहौज़ी]] | ||
-[[लॉर्ड रिपन]] | -[[लॉर्ड रिपन]] | ||
||[[चित्र:William-Bentinck.jpg|border|right|90px|लॉर्ड विलियम बैंटिक]]'लॉर्ड विलियम बैंटिक' को [[भारत]] का प्रथम [[गवर्नर-जनरल]] का पद सुशोभित करने का गौरव प्राप्त है। पहले वह [[मद्रास]] के गवर्नर बनकर भारत आये थे। उनका शासनकाल अधिकांशत: शांति का काल था। [[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] के सामाजिक सुधार भी कुछ कम महत्त्व के नहीं थे। [[1829]] ई. में उसने [[सती प्रथा]] को समाप्त कर दिया। कर्नल स्लीमन के सहयोग से उसने ठगी का उन्मूलन किया। उस समय ठगों का देशव्यापी गुप्त संगठन था, जो देशभर में घूमा करते थे और भोले-भाले यात्रियों की रुमाल से गला घोंटकर हत्या कर दिया करते थे और उनका सारा माल लूट लेते थे। [[1832]] ई. में धर्म-परिवर्तन से होने वाली सभी अयोग्यताओं को भी समाप्त कर दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] | |||
{निम्न में से किस [[राज्य]] के शासक 'नवाब वज़ीर' कहलाते थे? | {निम्न में से किस [[राज्य]] के शासक 'नवाब वज़ीर' कहलाते थे? | ||
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-[[कर्नाटक]] | -[[कर्नाटक]] | ||
-[[बीजापुर]] | -[[बीजापुर]] | ||
||[[चित्र:William-Bentinck.jpg|border|right|90px|लॉर्ड]]'अवध' शब्द [[अयोध्या]] से निकला है। [[उत्तर प्रदेश]] का यह भाग [[कोशल जनपद|कोशल]] कहलाता था। [[दशरथ]] यहाँ के राजा थे और अयोध्या उनकी राजधानी थी। [[इतिहास]] में [[उत्तर भारत]] के जिन [[सोलह महाजनपद|सोलह जनपदों]] का उल्लेख है, उनमें से यह भी एक था और [[श्रावस्ती]] इसकी राजधानी थी। [[1754]] ई. में [[शुजाउद्दौला]] [[अवध]] का नवाब एवं सम्राट का वज़ीर बना। उसने [[बक्सर का युद्ध|बक्सर के युद्ध]] मे भाग लिया तथा [[1774]] ई. में रुहेलों को परास्त कर [[रुहेलखंड]] पर अधिकार कर लिया। [[1775]] ई. में उसकी मृत्यु हो गई। शुजाउद्दौला के बाद [[आसफ़उद्दौला]] अवध का शासक बना। उसने अपनी राजधानी [[फैजाबाद]] से [[लखनऊ]] स्थानान्तरित की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अवध]] | |||
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06:23, 19 दिसम्बर 2021 का अवतरण
- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश
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