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'''विवेकी राय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Viveki Rai'' जन्म- [[19 नवम्बर]], [[1924]], ज़िला- [[गाजीपुर]], [[उत्तरप्रदेश]]; मृत्यु- [[22 नवम्बर]], [[2016]], [[वाराणसी ]]) [[हिन्दी]] और [[भोजपुरी]] [[भाषा]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे ग्रामीण [[भारत]] के प्रतिनिधि रचनाकार थे। विवेकी राय 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी। वे ललित [[निबंध]], [[कथा]] [[साहित्य]] और [[कविता]] कर्म में समभ्यस्त थे। आज भी विवेकी राय को ‘कविजी’ उपनाम से जाना जाता था।
'''विवेकी राय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Viveki Rai'' जन्म- [[19 नवम्बर]], [[1924]], ज़िला- [[गाजीपुर]], [[उत्तरप्रदेश]]; मृत्यु- [[22 नवम्बर]], [[2016]], [[वाराणसी ]]) [[हिन्दी]] और [[भोजपुरी]] [[भाषा]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे ग्रामीण [[भारत]] के प्रतिनिधि रचनाकार थे। विवेकी राय 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी। वे ललित [[निबंध]], [[कथा]] [[साहित्य]] और [[कविता]] कर्म में समभ्यस्त थे। आज भी विवेकी राय को ‘कविजी’ उपनाम से जाना जाता था।
==जन्म एवं परिचय==
==जन्म एवं परिचय==
डॉ. विवेकी राय हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार थे। डॉ.विवेकी राय मूलतः मुहम्मदाबदा तहसील के सोनवानी गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म अपने ननिहाल भरौली(बलिया) ज़िला- गाजीपुर, उत्तरप्रदेश में 19 नवंबर 1924 को हुआ था। विवेकी राय के जन्म से डेढ़ माह पहले पिता शिवपाल राय की [[प्लेग]] की महामारी में निधन हो गया था। मां जविता देवी थीं। पिता के अभाव में उनका बचपन ननिहाल में [[मामा]] बसाऊ राय की देख-रेख में बीता था। विवेकी राय देहाती धरती की ऊष्मा से बने एक सीधे सच्चे कर्मठ इंसान थे। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से अपने को कहाँ से कहाँ तक उठाया था। विवेकी राय [[गाँव]] की खेती-बारी भी देखते थे और [[गाजीपुर]] में अध्यापन तथा साहित्य सेवा में भी लीन रहते थे। गाँव के उत्तरदायित्व का पूरा निर्वाह करते हुए भी उन्होंने बहुत लगन से विपुल [[साहित्य]] पढ़े और लिखे थे। विवेकी राय अपने मित्रों और परिचतों में तथा पाठकों में भी बहुत प्यार से जाने जाते थे। वे स्वभावतः गम्भीर एवं खुश-मिज़ाज़ रचनाकार थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सीधे, सच्चे, उदार एवं कर्मठ व्यक्ति थे। ललाट पर एक बड़ा सा तिल, सादगी, सौमनस्य, गंगा की तरह पवित्रता, ठहाका मारकर हँसना, निर्मल आचार-विचार इनकी विशेषताएँ थीं। सदा खादी के घवल वस्त्रों में दिखने वाले, अतिथियों का ठठाकर आतिथ्य सत्कार करने वाले साहित्य सृजन हेतु नवयुवकों को प्रेरित करने वाले आप भारतीय संस्कृति की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। डॉ. विवेकी राय का जीवन सादगी पूर्ण था। गम्भीरता उनका आभूषण था। दूसरों के प्रति अपार स्नेह एवं सम्मान का भाव सदा वे रखते थे। सबसे खुलकर गम्भीर विषय की निष्पत्ति एवं चर्चा करना उनका स्वभाव था। अपने इन्हीं गुणों के कारण पहुतों के लिए वे परम पूज्य एवं आदरणीय बने गए थे। कुल मिलाकर वे संत प्रकृति के सज्जन थे।
डॉ. विवेकी राय हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार थे। डॉ.विवेकी राय मूलतः मुहम्मदाबदा तहसील के सोनवानी गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म अपने ननिहाल भरौली(बलिया) ज़िला- गाजीपुर, उत्तरप्रदेश में 19 नवंबर 1924 को हुआ था। विवेकी राय के जन्म से डेढ़ माह पहले पिता शिवपाल राय की [[प्लेग]] की महामारी में निधन हो गया था। मां जविता देवी थीं। पिता के अभाव में उनका बचपन ननिहाल में [[मामा]] बसाऊ राय की देख-रेख में बीता था। विवेकी राय देहाती धरती की ऊष्मा से बने एक सीधे सच्चे कर्मठ इंसान थे। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से अपने को कहाँ से कहाँ तक उठाया था। विवेकी राय [[गाँव]] की खेती-बारी भी देखते थे और [[गाजीपुर]] में अध्यापन तथा साहित्य सेवा में भी लीन रहते थे। गाँव के उत्तरदायित्व का पूरा निर्वाह करते हुए भी उन्होंने बहुत लगन से विपुल [[साहित्य]] पढ़े और लिखे थे। विवेकी राय अपने मित्रों और परिचतों में तथा पाठकों में भी बहुत प्यार से जाने जाते थे। वे स्वभावतः गम्भीर एवं खुश-मिज़ाज़ रचनाकार थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सीधे, सच्चे, उदार एवं कर्मठ व्यक्ति थे। ललाट पर एक बड़ा सा तिल, सादगी, सौमनस्य, गंगा की तरह पवित्रता, ठहाका मारकर हँसना, निर्मल आचार-विचार इनकी विशेषताएँ थीं। सदा खादी के घवल वस्त्रों में दिखने वाले, अतिथियों का ठठाकर आतिथ्य सत्कार करने वाले साहित्य सृजन हेतु नवयुवकों को प्रेरित करने वाले आप भारतीय संस्कृति की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। डॉ. विवेकी राय का जीवन सादगी पूर्ण था। गम्भीरता उनका आभूषण था। दूसरों के प्रति अपार स्नेह एवं सम्मान का भाव सदा वे रखते थे। सबसे खुलकर गम्भीर विषय की निष्पत्ति एवं चर्चा करना उनका स्वभाव था। अपने इन्हीं गुणों के कारण पहुतों के लिए वे परम पूज्य एवं आदरणीय बने गए थे। कुल मिलाकर वे संत प्रकृति के सज्जन थे। विवेकी राय [[1964]] में वह गाजीपुर के पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग में नियुक्त हुए थे। सालों विभागाध्यक्ष रहे थे। [[1988]] में वहां से सेवानिवृत्त हुई थी। उसके पूर्व विवेकी राय ने 13 साल तक वह अपने निकटवर्ती गांव खरडीहा के सर्वोदय इंटर कॉलेज में अध्यापन किया था।
==शिक्षा==
==शिक्षा==
डॉ. विवेकी राय की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव सोनवानी के लोअर प्राइमरी स्कूल (गाजीपुर) से शुरू हुई थी। मिडिल की पढ़ाई [[1940]] में निकटवर्ती गांव महेंद में हुई। [[उर्दू]] मिडिल भी [[1941]] में उन्होंने महेंद से ही पढ़े। आगे की पढ़ाई उन्होंने व्यक्तिगत छात्र के रूप में पूरी की। हिंदी विशेष योग्यता([[1943]]), विशारद([[1944]]), साहित्यरत्न([[1946]]), साहित्यालंकार([[1951]]), हाईस्कूल([[1953]]) नरहीं (बलिया), इंटर([[1958]]), बीए([[1961]]) और एमए की डिग्री श्री सर्वोदय इण्टर कॉलेज खरडीहां (गाज़ीपुर) से उन्होंने [[1964]] में ली थी। उसी क्रम में वह [[1948]] में नार्मल स्कूल, गोरखपुर से हिंदुस्तानी टीचर्स सर्टिफेकेट भी प्राप्त किए। सन [[1970]] ई. में स्वातंत्र्योत्तर [[हिन्दी]] कथा साहित्य और ग्राम जीवन विषय पर [[काशी विद्यापीठ]], [[वाराणसी]] से आपको पी. एच. डी. की उपाधि मिली थी। स्नातकोत्तर परीक्षा [[बनारस]] हिन्दू विश्वविद्यालय [[वाराणसी]] से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। यह अपने आप में शैक्षिक मूल्यों की प्राप्ति और प्रदेय का अनूठा उदाहरण है। जब विवेकी राय 7वीं कक्षा में अध्यन कर रहे थे उसी समय से डॉ.विवेकी राय जी ने लिखना शुरू किया। गाजीपुर के एक कॉलेज़ में प्रवक्ता होने के साथ-साथ अपने गाँव का किसान बने रहे थे। डॉ. विवेकी राय गाँव की बनती-बिगड़ती जिंदगी के बीच जीते हुए और उसे पहचानते हुए वे चलते रहे थे। इसलिए गाँव के जीवन से सम्बंधित उनके अनुभवों का खजाना चुका नहीं, नित भरता ही गया था।   
डॉ. विवेकी राय की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव सोनवानी के लोअर प्राइमरी स्कूल (गाजीपुर) से शुरू हुई थी। मिडिल की पढ़ाई [[1940]] में निकटवर्ती गांव महेंद में हुई। [[उर्दू]] मिडिल भी [[1941]] में उन्होंने महेंद से ही पढ़े। आगे की पढ़ाई उन्होंने व्यक्तिगत छात्र के रूप में पूरी की। हिंदी विशेष योग्यता([[1943]]), विशारद([[1944]]), साहित्यरत्न([[1946]]), साहित्यालंकार([[1951]]), हाईस्कूल([[1953]]) नरहीं (बलिया), इंटर([[1958]]), बीए([[1961]]) और एमए की डिग्री श्री सर्वोदय इण्टर कॉलेज खरडीहां (गाज़ीपुर) से उन्होंने [[1964]] में ली थी। उसी क्रम में वह [[1948]] में नार्मल स्कूल, गोरखपुर से हिंदुस्तानी टीचर्स सर्टिफेकेट भी प्राप्त किए। सन [[1970]] ई. में स्वातंत्र्योत्तर [[हिन्दी]] कथा साहित्य और ग्राम जीवन विषय पर [[काशी विद्यापीठ]], [[वाराणसी]] से आपको पी. एच. डी. की उपाधि मिली थी। स्नातकोत्तर परीक्षा [[बनारस]] हिन्दू विश्वविद्यालय [[वाराणसी]] से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। यह अपने आप में शैक्षिक मूल्यों की प्राप्ति और प्रदेय का अनूठा उदाहरण है। जब विवेकी राय 7वीं कक्षा में अध्यन कर रहे थे उसी समय से डॉ.विवेकी राय जी ने लिखना शुरू किया। गाजीपुर के एक कॉलेज़ में प्रवक्ता होने के साथ-साथ अपने गाँव का किसान बने रहे थे। डॉ. विवेकी राय गाँव की बनती-बिगड़ती जिंदगी के बीच जीते हुए और उसे पहचानते हुए वे चलते रहे थे। इसलिए गाँव के जीवन से सम्बंधित उनके अनुभवों का खजाना चुका नहीं, नित भरता ही गया था।   
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==प्रथम कहानी प्रकाशित ==
==प्रथम कहानी प्रकाशित ==
सन [[1945]] ई. में डॉ. विवेकी राय की प्रथम कहानी ‘पाकिस्तानी’ दैनिक ‘आज’ में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद इनकी लेखनी हर विधा पर चलने लगी जो कभी थमनें का नाम ही नहीं ले सकी। इनका रचना कार्य [[कविता]], [[कहानी]], [[उपन्यास]], [[निबन्ध]], [[रेखाचित्र]], [[संस्मरण]], रिपोर्ताज, डायरी, [[समीक्षा]], सम्पादन एवं [[पत्रकारिता]] आदि विविध विधाओं से जुड़े रहे थे। अब तक इन सभी विधाओं से सम्बन्धित लगभग 60 कृतियाँ आपकी प्रकाशित हो चुकी हैं और लगभग 10 प्रकाशनाधीन हैं।
सन [[1945]] ई. में डॉ. विवेकी राय की प्रथम कहानी ‘पाकिस्तानी’ दैनिक ‘आज’ में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद इनकी लेखनी हर विधा पर चलने लगी जो कभी थमनें का नाम ही नहीं ले सकी। इनका रचना कार्य [[कविता]], [[कहानी]], [[उपन्यास]], [[निबन्ध]], [[रेखाचित्र]], [[संस्मरण]], रिपोर्ताज, डायरी, [[समीक्षा]], सम्पादन एवं [[पत्रकारिता]] आदि विविध विधाओं से जुड़े रहे थे। अब तक इन सभी विधाओं से सम्बन्धित लगभग 60 कृतियाँ आपकी प्रकाशित हो चुकी हैं और लगभग 10 प्रकाशनाधीन हैं।
==लेखन कार्य==
==लेखन कार्य और साहित्यिक सफरनामा==
डॉ. विवेकी राय ने 5 [[भोजपुरी]] [[ग्रन्थ|ग्रन्थों]] का सम्पादन भी किया था। सर्वप्रथम इन्होंने अपना लेखन कार्य [[कविता]] से शुरू किया था। विवेकी राय विशुद्ध [[भोजपुरी]] अंचल के महान साहित्यकार थे। सत्पथ पर दृढ़ निश्चय के साथ बढ़ते रहने का सतत प्रेरणा देने वाले डॉ. विवेकी राय मूलतः गँवई सरोकार के रचनाकार थे। बदलते समय के साथ गाँवों में होने वाले परिवर्तनों एवं  आँचलिक चेतना विवेकी राय के कथा साहित्य की एव विशेषता थी। इन्होंने अपने उपन्यासों एवं कहानियों में किसानों, मज़दूरों, स्त्रियों तथा उपेक्षितों की पीड़ा को अभिव्यक्ति प्रदान की थी। अपनी रचनाधार्मिता के कारण डॉ. विवेकी राय को हम [[प्रेमचन्द]] और [[फणीश्वर नाथ रेणु]] के बीच का स्थान दे सकते हैं। स्वातंत्र्योत्तर भारतीय ग्रामीण जीवन में परिलक्षित परिवर्तनों को डॉ. विवेकी राय ने अपने [[उपन्यास|उपन्यासों]] एवं [[कहानी|कहानियों]] में सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया था। विवेकी राय के कथा साहित्य में गाँव की खूबियाँ एवं अन्तर्विरोध हमें स्वष्ट रूप से दिखाई देती थी। उनकी सृजन यात्रा अर्धशती से आगे निकली थी। जीवन के साकारात्मक पहलुओं की ओर, लोक मंगल की ओर इन्होंने अब तक विशेष ध्यान दिया था।  
डॉ. विवेकी राय का साहित्यिक सफर मिडिल स्कूल की पढ़ाई के वक्त ही शुरू हो गया था लेकिन लेखन का प्रामाणिक शुरुआत 1945 से माना जाता है। [[1947]] से [[1970]] तक उसी समाचार पत्र में उन्होंने नियमित स्तंभ मनबोध मास्टर की डायरी लिखी थी। उस में ललित निबंध, रेखाचित्र और रिपोर्ताज समाहित रहते थे। फिर तो विवेकी राय लेखन में प्रतिष्ठापित हो गए। तब की हिंदी की चोटी की पत्रिकाएं धर्मयुग, कल्पना, ज्ञानोदय, कहानी, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, नवनीत और कादंबिनी आदि पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं नियमित प्रकाशित होती रहीं थी। समीक्षा और प्रकर में विवेकी राय की रचनाओं की समीक्षाएं आतीं थी। [[रविवार]] में उनका स्तंभ गांव काफी लोकप्रिय हुआ। ज्योत्सना, शिखरवार्ता तथा जनसत्ता में भी डॉ. राय के स्तंभ आते थे। ललित निबंध में हजारी प्रसाद द्विवेदी और डॉ.विद्या निवास मिश्र जैसे महान रचानकार के समकक्ष उन्हें मान मिला था। वर्ष 2004 तक उनके लेखन पर देश के जाने-माने विश्वविद्यालयों में कुल 61 शोध कार्य हो चुके थे। डॉ.राय [[आकाशवाणी]], [[दूरदर्शन]] से भी जुड़े थे। डॉ. विवेकी राय ने 5 [[भोजपुरी]] [[ग्रन्थ|ग्रन्थों]] का सम्पादन भी किया था। सर्वप्रथम इन्होंने अपना लेखन कार्य [[कविता]] से शुरू किया था। विवेकी राय विशुद्ध [[भोजपुरी]] अंचल के महान साहित्यकार थे। सत्पथ पर दृढ़ निश्चय के साथ बढ़ते रहने का सतत प्रेरणा देने वाले डॉ. विवेकी राय मूलतः गँवई सरोकार के रचनाकार थे। बदलते समय के साथ गाँवों में होने वाले परिवर्तनों एवं  आँचलिक चेतना विवेकी राय के कथा साहित्य की एव विशेषता थी। इन्होंने अपने उपन्यासों एवं कहानियों में किसानों, मज़दूरों, स्त्रियों तथा उपेक्षितों की पीड़ा को अभिव्यक्ति प्रदान की थी। अपनी रचनाधार्मिता के कारण डॉ. विवेकी राय को हम [[प्रेमचन्द]] और [[फणीश्वर नाथ रेणु]] के बीच का स्थान दे सकते हैं। स्वातंत्र्योत्तर भारतीय ग्रामीण जीवन में परिलक्षित परिवर्तनों को डॉ. विवेकी राय ने अपने [[उपन्यास|उपन्यासों]] एवं [[कहानी|कहानियों]] में सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया था। विवेकी राय के कथा साहित्य में गाँव की खूबियाँ एवं अन्तर्विरोध हमें स्वष्ट रूप से दिखाई देती थी। उनकी सृजन यात्रा अर्धशती से आगे निकली थी। जीवन के साकारात्मक पहलुओं की ओर, लोक मंगल की ओर इन्होंने अब तक विशेष ध्यान दिया था।  
==पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों से सम्मानित==
==पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों से सम्मानित==
डॉ. विवेकी राय को अनेकों पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों से सम्मानित किये गये थे। डॉ. राय ने हिंदी के साथ ही भोजपुरी साहित्य जगत में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली थी।उन्होंने आंचलिक उपन्यासकार के रुप में ख्याति अर्जित की।
डॉ. विवेकी राय को अनेकों पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों से सम्मानित किये गये थे। डॉ. राय ने हिंदी के साथ ही भोजपुरी साहित्य जगत में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली थी।उन्होंने आंचलिक उपन्यासकार के रुप में ख्याति अर्जित की।


उत्तर प्रदेश सरकार - यश भारती पुरस्कार, महात्मा गांधी सम्मान  
उत्तर प्रदेश सरकार - यश भारती पुरस्कार, महात्मा गांधी सम्मान  
[[हिन्दी संस्थान]] (उ.प्र.) द्वारा - ‘सोनामाटी’ उपन्यास -  प्रेमचन्द पुरस्कार ,  
[[हिन्दी संस्थान]] (उ.प्र.) द्वारा - ‘सोनामाटी’ उपन्यास -  प्रेमचन्द पुरस्कार , साहित्यभूषण(1994), अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद, भोजपुरी भास्कर(1994)
हिन्दी संस्थान [[लखनऊ]] ([[उत्तर प्रदेश|उ.प्र.]] ) द्वारा -साहित्य भूषण पुस्स्कार,  
हिन्दी संस्थान [[लखनऊ]] ([[उत्तर प्रदेश|उ.प्र.]] ) द्वारा -साहित्य भूषण पुस्स्कार,  
बिहार सरकार द्वारा - आचार्य शिवपूजन सहाय सम्मान; ‘आचार्य शिवपूजन सहाय’ पुरस्कार
बिहार सरकार द्वारा - आचार्य शिवपूजन सहाय सम्मान([[1994]]); ‘आचार्य शिवपूजन सहाय’ पुरस्कार
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा - ‘शरद चन्द जोशी  
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा - ‘शरद चन्द जोशी ([[1997]])
श्रीमठ,काशी - जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार
[[राजस्थान]] - हिंदी सेवी सम्मान([[1999]])
श्रीमठ, [[काशी]] - जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार
भोजपुरी साहित्य सम्मेलन - अखिल भारतीय  का अभय आनंद पुरस्कार
[[दिल्ली]] - स्वामी सहजानंद सरस्वती सेवा पुरस्कार
[[2000]] - र्वांचल विश्वविद्यालय का पूर्वांचल रत्न
[[2001]] - महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार  
[[2001]] - महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार  
[[2002]] - केंद्रीय हिंदी संस्थान, [[आगरा]] - महापंडित राहुल सांकृत्यायन
[[2004]] - विश्व भोजपुरी देवरिया का सेतु
[2004 - उत्तर प्रदेशीय हिंदी साहित्य सम्मेलन - महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति
[[2005]] - दैनिक समाचार पत्र दैनिक जागरण - नरेंद्र मोहन आंचलिक लेखक सम्मान
[[2006]] - यश भारती अवार्ड
[[2006]] - यश भारती अवार्ड
 
2006 - उत्तर प्रदेश - यश भारती यश भारती सम्मान
पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों  से सम्मानित डॉ. विवेकी राय को सम्मान केन्द्रीय हिन्दी संस्थान एवं [[मानव संसाधन विकास मंत्रालय]], [[नई दिल्ली]] के संयुक्त तत्वावधान में दिया गया था, ‘पंडित राहुल सांकृत्यायन’ सम्मान तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की ओर से प्रदत्त ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि जैसे अनेकों सम्मान इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय हैं।
पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों  से सम्मानित डॉ. विवेकी राय को सम्मान केन्द्रीय हिन्दी संस्थान एवं [[मानव संसाधन विकास मंत्रालय]], के संयुक्त तत्वावधान में दिया गया था, ‘पंडित राहुल सांकृत्यायन’ सम्मान, केडिया सांस्कृतिक संस्थान, देवरिया का आनंद सम्मान, विक्रमशीला विद्यापीठ, गांधीनगर इशीपुर भागलपुर का विद्यासागर सम्मान, हिंदी सम्मेलन का विद्यावाचसपति, साहित्य महोपध्याय की मानद उपाधि तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की ओर से प्रदत्त ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि जैसे अनेकों सम्मान इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय हैं।
==विश्वविद्यालय पर शोध==
==विश्वविद्यालय पर शोध==
डॉ. विवेकी राय के [[उपन्यास|उपन्यासों]], [[कहानी|कहानियों]], ललित निबन्धों; उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व, उनकी सम्पूर्ण साहित्य साधना पर [[पंजाब]] वि.वि, [[गोरखपुर]] विश्वविद्यालय, रुहेल खण्ड विश्वाद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, [[विक्रमशिला विश्वविद्यालय]], [[काशी विद्यापीठ]], मगध विश्वविद्यालय, [[दिल्ली विश्वविद्यालय]], [[मुम्बई विश्वविद्यालय]], [[उस्मानिया विश्वविद्यालय]], दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सबा मद्रास, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, डॉ. भीमराव अमबेडकर विश्वविद्यालय, पंडित दीन दयाल विश्वविद्यालय, शिवाजी विश्वविद्यालय, माहाराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, वीर बहादुर सिंह पर्वांचल विश्वविद्यालय,बेंगलोर विश्वविद्यालय, जेयोति बाई विश्वविद्यालय, जम्मू विश्वविद्यालय, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय आदि विश्वविद्यालयों में एम, फिल,/ पी. एच. डी. के 70 शोध प्रबन्ध लिखे जा चुके थे और कई विश्वविद्यालयों में छात्रों द्वारा इन पर शोध कार्य किया गया।  
डॉ. विवेकी राय के [[उपन्यास|उपन्यासों]], [[कहानी|कहानियों]], ललित निबन्धों; उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व, उनकी सम्पूर्ण साहित्य साधना पर [[पंजाब]] वि.वि, [[गोरखपुर]] विश्वविद्यालय, रुहेल खण्ड विश्वाद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, [[विक्रमशिला विश्वविद्यालय]], [[काशी विद्यापीठ]], मगध विश्वविद्यालय, [[दिल्ली विश्वविद्यालय]], [[मुम्बई विश्वविद्यालय]], [[उस्मानिया विश्वविद्यालय]], दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सबा मद्रास, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, डॉ. भीमराव अमबेडकर विश्वविद्यालय, पंडित दीन दयाल विश्वविद्यालय, शिवाजी विश्वविद्यालय, माहाराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, वीर बहादुर सिंह पर्वांचल विश्वविद्यालय,बेंगलोर विश्वविद्यालय, जेयोति बाई विश्वविद्यालय, जम्मू विश्वविद्यालय, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय आदि विश्वविद्यालयों में एम, फिल,/ पी. एच. डी. के 70 शोध प्रबन्ध लिखे जा चुके थे और कई विश्वविद्यालयों में छात्रों द्वारा इन पर शोध कार्य किया गया।  
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* जुलूस रुका है उठ जाग मुसाफ़िर  
* जुलूस रुका है उठ जाग मुसाफ़िर  
;उपन्यास
;उपन्यास
* मंगल भवन ([[1944]])
*  बबूल ([[1964]], डायरी-शैली में)
*  बबूल ([[1964]], डायरी-शैली में)
*  पुरुष पुराण ([[1975]])
*  पुरुष पुराण ([[1975]])
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*  बेटे की बिक्री ([[1981]])
*  बेटे की बिक्री ([[1981]])
*  कलातीत ([[1982]])
*  कलातीत ([[1982]])
*  चित्रकूट के घाट पर (1988)
*  चित्रकूट के घाट पर ([[1988]])
* श्वेत पत्र ([[1996]])
*  सर्कस ([[2005]])
*  सर्कस ([[2005]])
*  मेरी तेरह कहानियाँ
*  मेरी तेरह कहानियाँ
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* मेरे शुद्ध श्रद्धेय
* मेरे शुद्ध श्रद्धेय
* मेरी तेरह कहानियाँ
* मेरी तेरह कहानियाँ
* श्वेत पत्र
 
;संस्मरण
;संस्मरण
*  मेरे शुद्ध श्रद्धेय
*  मेरे शुद्ध श्रद्धेय
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;साहित्य समालोचना
;साहित्य समालोचना
*  कल्पना और हिन्दी साहित्य ([[1999]])
*  कल्पना और हिन्दी साहित्य ([[1999]])
*  नरेन्द्र कोहली अप्रतिम कथा यात्री
*  नरेन्द्र कोहली अप्रतिम कथा यात्री


;अन्य
;अन्य
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* सवालों के सामने
* सवालों के सामने
* ये जो है गायत्री
* ये जो है गायत्री
* मुहम्मद इलियास हुसैम
* मुहम्मद इलियास हुसैमhttp://hindisahityavimarsh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html


==भोजपुरी==
==भोजपुरी==
;निबंध  
;निबंध एवं कविता
भोजपुरी निबंध निकुंज: भोजपुरी के तैन्तालिस गो चुनल निम्बंध, अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, १९७७
भोजपुरी निबंध निकुंज: भोजपुरी के तैन्तालिस गो चुनल निम्बंध, अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, [[1977]]<br />
गंगा, यमुना, सरवस्ती: भोजपुरी कहानी, निबंध, संस्मरण, भोजपुरी संस्थान, १९९२
गंगा, यमुना, सरवस्ती: भोजपुरी कहानी, निबंध, संस्मरण, भोजपुरी संस्थान, [[1992]]<br />
;कविता
जनता के पोखरा: तीनि गो भोजपुरी कविता, भोजपुरी साहित्य संस्थान, [[1984]]
जनता के पोखरा: तीनि गो भोजपुरी कविता, भोजपुरी साहित्य संस्थान, १९८४
 
विवेकी राय के व्याख्यान,भोजपुरी अकादमी, पटना, तिसरका वार्षिकोत्सव समारोहा, रविवारा, मई १९८२, के अवसर पर आयोजित व्याख्यानमाला में भोजपुरी कथा साहित्य के विकास विषय पर दो भोजपुरी अकादमी, १९८२
विवेकी राय के व्याख्यान, भोजपुरी अकादमी, [[पटना]], तिसरका वार्षिकोत्सव समारोहा, रविवारा, [[2 मई]] [[1982]], के अवसर पर आयोजित व्याख्यानमाला में भोजपुरी कथा साहित्य के विकास विषय पर दो भोजपुरी अकादमी, 1982
उपन्यास
 
अमंगलहारी, भोजपुरी संस्थान, १९९८
;उपन्यास
के कहला चुनरी रंगा ला, भोजपुरी संसाद, १९६८
अमंगलहारी, भोजपुरी संस्थान, [[1998]]
गुरु-गृह गयौ पढ़ान रघुराय, १९९२
के कहला चुनरी रंगा ला, भोजपुरी संसाद, [[1968]]
उनकी  किताबों और निबंध में उनके जीवन का सार दिखाई पड़ता है जो उनकी ग्रामीण व्यवस्था के प्रति प्रेम और दूरदर्शिता का जीता जागता उदहारण है .
गुरु-गृह गयौ पढ़ान रघुराय, [[1992]]
उनकी  किताबों और निबंध में उनके जीवन का सार दिखाई पड़ता है जो उनकी ग्रामीण व्यवस्था के प्रति प्रेम और दूरदर्शिता का जीता जागता उदहारण थे।http://www.patnanow.com/dr-vivekee-roy/


==निधन==
==निधन==
हिंदी और भोजपुरी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. विवेकी राय का [[22 नवम्बर]], [[2016]] [[वाराणसी]] में निधन हो गया। वाराणसी में अंतिम संस्कार हुआ था। केन्द्रीय संचार औऱ रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने दिवंगत विवेकी राय को उनके घर पहुँचकर पुष्पांजलि दी थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि साहित्य जगत को डॉ विवेकी राय के निधन से सहती जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। डॉ. विवेकी राय को देश भर से लोगों ने  डॉ राय को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक के जाने से आंचलिक साहित्य के एक बड़े युग का अंत हो गया।
डॉ.राय काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। पहली नवंबर को अचानक तबीयत गंभीर होने के बाद उन्हें वाराणसी के निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। हिंदी और भोजपुरी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. विवेकी राय का [[22 नवम्बर]], [[2016]] [[वाराणसी]] में निधन हो गया। इनका वाराणसी के मणिकर्णिकाघाट  पर अंतिम संस्कार हुआ था। केन्द्रीय संचार औऱ रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने दिवंगत विवेकी राय को उनके घर पहुँचकर पुष्पांजलि दी थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि साहित्य जगत को डॉ विवेकी राय के निधन से सहती जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। डॉ. विवेकी राय को देश भर से लोगों ने  डॉ राय को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक के जाने से आंचलिक साहित्य के एक बड़े युग का अंत हो गया।
 
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अन्य
मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनायें, १९८४
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गाजीपुर। प्रख्यात आंचलिक कथाकार डॉ.विवेकी राय(92) अब नहीं रहे। मंगलवार की भोर में वाराणसी के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर के बाद गाजीपुर में शोक की लहर व्याप्त हो गई। रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने वाराणसी पहुंच कर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। उनका अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिकाघाट पर दोपहर दो बजे के बाद होगा। डॉ.राय काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। पहली नवंबर को अचानक तबीयत गंभीर होने के बाद उन्हें वाराणसी के निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था।
डॉ.विवेकी राय का परिचय
  1964 में वह गाजीपुर के पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग में नियुक्त हुए। सालों विभागाध्यक्ष रहे। 1988 में वहां से सेवानिवृत्त हुए। उसके पूर्व 13 साल तक वह अपने निकटवर्ती गांव खरडीहा के सर्वोदय इंटर कॉलेज में अध्यापन किए।
…और साहित्यिक सफरनामा
यूं तो उनका साहित्यिक सफर मिडिल स्कूल की पढ़ाई के वक्त ही शुरू हो गया था लेकिन लेखन का प्रामाणिक शुरुआत 1945 से माना जाता है। जब उनकी पहली कहानी पाकिस्तानी वाराणसी के लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र आज में प्रकाशित हुई। फिर 1947 से 1970 तक उसी समाचार पत्र में उन्होंने नियमित स्तंभ मनबोध मास्टर की डायरी लिखी। उसमें ललित निबंध, रेखाचित्र और रिपोर्ताज समाहित रहता। फिर तो वह लेखन में प्रतिष्ठापित हो गए। तब की हिंदी की चोटी की पत्रिकाएं धर्मयुग, कल्पना, ज्ञानोदय, कहानी, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, नवनीत और कादंबिनी आदि पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं नियमित प्रकाशित होती रहीं। समीक्षा और प्रकर में उनकी रछनाओं की समीक्षाएं आतीं। रविवार में उनका स्तंभ गांव काफी लोकप्रिय हुआ। ज्योत्सना, शिखरवार्ता तथा जनसत्ता में भी उनके स्तंभ आते। ललित निबंध में हजारी प्रसाद द्विवेदी और डॉ.विद्या निवास मिश्र जैसे महान रचानकार के समकक्ष उन्हें मान मिला। वर्ष 2004 तक उनके लेखन पर देश के जाने-माने विश्वविद्यालयों में कुल 61 शोध कार्य हो चुके थे। डॉ.राय आकाशवाणी, दूरदर्शन से भी जुड़े रहे।
यह चर्चित रहे उपान्यास
डॉ.विवेका राय का पहला उपान्यास बबूल(1967) था। उसके अलावा पुरुष-पुराण(1975), लोकऋण(1977), श्वेत पत्र(196), सोनामाटी(1983), समरशेष है(1988), मंगल भवन(1994), नमामि ग्रामम्(1996), अमंगलहारी(2000), तथा देहरी के पार(2002) है। साथ ही पांच काव्य संग्रह। दस कहानी संग्रह। नौ ललित निबंध, व्यंग्य, रेखाचित्र। 12 निबंध और शोध-समीक्षा। दो संस्मरण। साथ ही भोजपुरी साहित्य के लिए उन्होंने ललित निबंध, काव्य, समीक्षा, कहानी संग्रह, फीचर, उपन्यास तथा लघु लोककथा के रूप में कुल नौ पुस्तकें लिखीं। कई पत्रिकाओं का वह संपादन भी किए।
यह मिले सम्मान और पुरस्कार
डॉ.विवेकी राय को साहित्य के लिए मिले प्रमुख सम्मानों में हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश का प्रेमचंद सम्मान(1987)। केडिया सांस्कृतिक संस्थान, देवरिया का आनंद सम्मान। विक्रमशीला विद्यापीठ, गांधीनगर इशीपुर भागलपुर का विद्यासागर सम्मान। हिंदी सम्मेलन का विद्यावाचसपति। साहित्य महोपध्याय की मानद उपाधि। हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश का साहित्यभूषण(1994), अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद, उत्तर प्रदेश का भोजपुरी भास्कर(1994), राजभाषा विभाग, बिहार सरकार का आचार्य शिवपूजन सहाय पुरस्कार(1994)। मध्य प्रदेश सरकार का राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान(1997), साहित्य मंडल श्रीनाथ राजस्थान का हिंदी सेवी सम्मान(1999), अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन का अभय आनंद पुरस्कार। स्वामी सहजानंद सरस्वती हितकारी समाज, दिल्ली का स्वामी सहजानंद सरस्वती सेवा पुरस्कार। पूर्वांचल विश्वविद्यालय का पूर्वांचल रत्न सम्मान(2000), केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा का महापंडित राहुल सांकृत्यायन सम्मान(2002), विश्व भोजपुरी देवरिया का सेतु सम्मान(2004), उत्तर प्रदेशीय हिंदी साहित्य सम्मेलन का महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान(2004), हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति(2004), दैनिक समाचार पत्र दैनिक जागरण का नरेंद्र मोहन आंचलिक लेखक सम्मान(2005) और उत्तर प्रदेश का यश भारती सम्मान(2006)।


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11:53, 10 दिसम्बर 2016 का अवतरण

विवेकी राय (अंग्रेज़ी: Viveki Rai जन्म- 19 नवम्बर, 1924, ज़िला- गाजीपुर, उत्तरप्रदेश; मृत्यु- 22 नवम्बर, 2016, वाराणसी ) हिन्दी और भोजपुरी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। वे ग्रामीण भारत के प्रतिनिधि रचनाकार थे। विवेकी राय 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की थी। वे ललित निबंध, कथा साहित्य और कविता कर्म में समभ्यस्त थे। आज भी विवेकी राय को ‘कविजी’ उपनाम से जाना जाता था।

जन्म एवं परिचय

डॉ. विवेकी राय हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार थे। डॉ.विवेकी राय मूलतः मुहम्मदाबदा तहसील के सोनवानी गांव के रहने वाले थे। उनका जन्म अपने ननिहाल भरौली(बलिया) ज़िला- गाजीपुर, उत्तरप्रदेश में 19 नवंबर 1924 को हुआ था। विवेकी राय के जन्म से डेढ़ माह पहले पिता शिवपाल राय की प्लेग की महामारी में निधन हो गया था। मां जविता देवी थीं। पिता के अभाव में उनका बचपन ननिहाल में मामा बसाऊ राय की देख-रेख में बीता था। विवेकी राय देहाती धरती की ऊष्मा से बने एक सीधे सच्चे कर्मठ इंसान थे। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से अपने को कहाँ से कहाँ तक उठाया था। विवेकी राय गाँव की खेती-बारी भी देखते थे और गाजीपुर में अध्यापन तथा साहित्य सेवा में भी लीन रहते थे। गाँव के उत्तरदायित्व का पूरा निर्वाह करते हुए भी उन्होंने बहुत लगन से विपुल साहित्य पढ़े और लिखे थे। विवेकी राय अपने मित्रों और परिचतों में तथा पाठकों में भी बहुत प्यार से जाने जाते थे। वे स्वभावतः गम्भीर एवं खुश-मिज़ाज़ रचनाकार थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सीधे, सच्चे, उदार एवं कर्मठ व्यक्ति थे। ललाट पर एक बड़ा सा तिल, सादगी, सौमनस्य, गंगा की तरह पवित्रता, ठहाका मारकर हँसना, निर्मल आचार-विचार इनकी विशेषताएँ थीं। सदा खादी के घवल वस्त्रों में दिखने वाले, अतिथियों का ठठाकर आतिथ्य सत्कार करने वाले साहित्य सृजन हेतु नवयुवकों को प्रेरित करने वाले आप भारतीय संस्कृति की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। डॉ. विवेकी राय का जीवन सादगी पूर्ण था। गम्भीरता उनका आभूषण था। दूसरों के प्रति अपार स्नेह एवं सम्मान का भाव सदा वे रखते थे। सबसे खुलकर गम्भीर विषय की निष्पत्ति एवं चर्चा करना उनका स्वभाव था। अपने इन्हीं गुणों के कारण पहुतों के लिए वे परम पूज्य एवं आदरणीय बने गए थे। कुल मिलाकर वे संत प्रकृति के सज्जन थे। विवेकी राय 1964 में वह गाजीपुर के पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग में नियुक्त हुए थे। सालों विभागाध्यक्ष रहे थे। 1988 में वहां से सेवानिवृत्त हुई थी। उसके पूर्व विवेकी राय ने 13 साल तक वह अपने निकटवर्ती गांव खरडीहा के सर्वोदय इंटर कॉलेज में अध्यापन किया था।

शिक्षा

डॉ. विवेकी राय की प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव सोनवानी के लोअर प्राइमरी स्कूल (गाजीपुर) से शुरू हुई थी। मिडिल की पढ़ाई 1940 में निकटवर्ती गांव महेंद में हुई। उर्दू मिडिल भी 1941 में उन्होंने महेंद से ही पढ़े। आगे की पढ़ाई उन्होंने व्यक्तिगत छात्र के रूप में पूरी की। हिंदी विशेष योग्यता(1943), विशारद(1944), साहित्यरत्न(1946), साहित्यालंकार(1951), हाईस्कूल(1953) नरहीं (बलिया), इंटर(1958), बीए(1961) और एमए की डिग्री श्री सर्वोदय इण्टर कॉलेज खरडीहां (गाज़ीपुर) से उन्होंने 1964 में ली थी। उसी क्रम में वह 1948 में नार्मल स्कूल, गोरखपुर से हिंदुस्तानी टीचर्स सर्टिफेकेट भी प्राप्त किए। सन 1970 ई. में स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कथा साहित्य और ग्राम जीवन विषय पर काशी विद्यापीठ, वाराणसी से आपको पी. एच. डी. की उपाधि मिली थी। स्नातकोत्तर परीक्षा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। यह अपने आप में शैक्षिक मूल्यों की प्राप्ति और प्रदेय का अनूठा उदाहरण है। जब विवेकी राय 7वीं कक्षा में अध्यन कर रहे थे उसी समय से डॉ.विवेकी राय जी ने लिखना शुरू किया। गाजीपुर के एक कॉलेज़ में प्रवक्ता होने के साथ-साथ अपने गाँव का किसान बने रहे थे। डॉ. विवेकी राय गाँव की बनती-बिगड़ती जिंदगी के बीच जीते हुए और उसे पहचानते हुए वे चलते रहे थे। इसलिए गाँव के जीवन से सम्बंधित उनके अनुभवों का खजाना चुका नहीं, नित भरता ही गया था।

प्रथम कहानी प्रकाशित

सन 1945 ई. में डॉ. विवेकी राय की प्रथम कहानी ‘पाकिस्तानी’ दैनिक ‘आज’ में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद इनकी लेखनी हर विधा पर चलने लगी जो कभी थमनें का नाम ही नहीं ले सकी। इनका रचना कार्य कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, डायरी, समीक्षा, सम्पादन एवं पत्रकारिता आदि विविध विधाओं से जुड़े रहे थे। अब तक इन सभी विधाओं से सम्बन्धित लगभग 60 कृतियाँ आपकी प्रकाशित हो चुकी हैं और लगभग 10 प्रकाशनाधीन हैं।

लेखन कार्य और साहित्यिक सफरनामा

डॉ. विवेकी राय का साहित्यिक सफर मिडिल स्कूल की पढ़ाई के वक्त ही शुरू हो गया था लेकिन लेखन का प्रामाणिक शुरुआत 1945 से माना जाता है। 1947 से 1970 तक उसी समाचार पत्र में उन्होंने नियमित स्तंभ मनबोध मास्टर की डायरी लिखी थी। उस में ललित निबंध, रेखाचित्र और रिपोर्ताज समाहित रहते थे। फिर तो विवेकी राय लेखन में प्रतिष्ठापित हो गए। तब की हिंदी की चोटी की पत्रिकाएं धर्मयुग, कल्पना, ज्ञानोदय, कहानी, साप्ताहिक हिंदुस्तान, सारिका, नवनीत और कादंबिनी आदि पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं नियमित प्रकाशित होती रहीं थी। समीक्षा और प्रकर में विवेकी राय की रचनाओं की समीक्षाएं आतीं थी। रविवार में उनका स्तंभ गांव काफी लोकप्रिय हुआ। ज्योत्सना, शिखरवार्ता तथा जनसत्ता में भी डॉ. राय के स्तंभ आते थे। ललित निबंध में हजारी प्रसाद द्विवेदी और डॉ.विद्या निवास मिश्र जैसे महान रचानकार के समकक्ष उन्हें मान मिला था। वर्ष 2004 तक उनके लेखन पर देश के जाने-माने विश्वविद्यालयों में कुल 61 शोध कार्य हो चुके थे। डॉ.राय आकाशवाणी, दूरदर्शन से भी जुड़े थे। डॉ. विवेकी राय ने 5 भोजपुरी ग्रन्थों का सम्पादन भी किया था। सर्वप्रथम इन्होंने अपना लेखन कार्य कविता से शुरू किया था। विवेकी राय विशुद्ध भोजपुरी अंचल के महान साहित्यकार थे। सत्पथ पर दृढ़ निश्चय के साथ बढ़ते रहने का सतत प्रेरणा देने वाले डॉ. विवेकी राय मूलतः गँवई सरोकार के रचनाकार थे। बदलते समय के साथ गाँवों में होने वाले परिवर्तनों एवं आँचलिक चेतना विवेकी राय के कथा साहित्य की एव विशेषता थी। इन्होंने अपने उपन्यासों एवं कहानियों में किसानों, मज़दूरों, स्त्रियों तथा उपेक्षितों की पीड़ा को अभिव्यक्ति प्रदान की थी। अपनी रचनाधार्मिता के कारण डॉ. विवेकी राय को हम प्रेमचन्द और फणीश्वर नाथ रेणु के बीच का स्थान दे सकते हैं। स्वातंत्र्योत्तर भारतीय ग्रामीण जीवन में परिलक्षित परिवर्तनों को डॉ. विवेकी राय ने अपने उपन्यासों एवं कहानियों में सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया था। विवेकी राय के कथा साहित्य में गाँव की खूबियाँ एवं अन्तर्विरोध हमें स्वष्ट रूप से दिखाई देती थी। उनकी सृजन यात्रा अर्धशती से आगे निकली थी। जीवन के साकारात्मक पहलुओं की ओर, लोक मंगल की ओर इन्होंने अब तक विशेष ध्यान दिया था।

पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों से सम्मानित

डॉ. विवेकी राय को अनेकों पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों से सम्मानित किये गये थे। डॉ. राय ने हिंदी के साथ ही भोजपुरी साहित्य जगत में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली थी।उन्होंने आंचलिक उपन्यासकार के रुप में ख्याति अर्जित की।

उत्तर प्रदेश सरकार - यश भारती पुरस्कार, महात्मा गांधी सम्मान हिन्दी संस्थान (उ.प्र.) द्वारा - ‘सोनामाटी’ उपन्यास - प्रेमचन्द पुरस्कार , साहित्यभूषण(1994), अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद, भोजपुरी भास्कर(1994) हिन्दी संस्थान लखनऊ (उ.प्र. ) द्वारा -साहित्य भूषण पुस्स्कार, बिहार सरकार द्वारा - आचार्य शिवपूजन सहाय सम्मान(1994); ‘आचार्य शिवपूजन सहाय’ पुरस्कार मध्य प्रदेश सरकार द्वारा - ‘शरद चन्द जोशी (1997) राजस्थान - हिंदी सेवी सम्मान(1999) श्रीमठ, काशी - जगदगुरु रामानंदाचार्य पुरस्कार भोजपुरी साहित्य सम्मेलन - अखिल भारतीय का अभय आनंद पुरस्कार दिल्ली - स्वामी सहजानंद सरस्वती सेवा पुरस्कार 2000 - र्वांचल विश्वविद्यालय का पूर्वांचल रत्न 2001 - महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार 2002 - केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा - महापंडित राहुल सांकृत्यायन 2004 - विश्व भोजपुरी देवरिया का सेतु [2004 - उत्तर प्रदेशीय हिंदी साहित्य सम्मेलन - महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति 2005 - दैनिक समाचार पत्र दैनिक जागरण - नरेंद्र मोहन आंचलिक लेखक सम्मान 2006 - यश भारती अवार्ड 2006 - उत्तर प्रदेश - यश भारती यश भारती सम्मान पुरस्कारों एवं मानद उपाधियों से सम्मानित डॉ. विवेकी राय को सम्मान केन्द्रीय हिन्दी संस्थान एवं मानव संसाधन विकास मंत्रालय, के संयुक्त तत्वावधान में दिया गया था, ‘पंडित राहुल सांकृत्यायन’ सम्मान, केडिया सांस्कृतिक संस्थान, देवरिया का आनंद सम्मान, विक्रमशीला विद्यापीठ, गांधीनगर इशीपुर भागलपुर का विद्यासागर सम्मान, हिंदी सम्मेलन का विद्यावाचसपति, साहित्य महोपध्याय की मानद उपाधि तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की ओर से प्रदत्त ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि जैसे अनेकों सम्मान इस सन्दर्भ में उल्लेखनीय हैं।

विश्वविद्यालय पर शोध

डॉ. विवेकी राय के उपन्यासों, कहानियों, ललित निबन्धों; उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व, उनकी सम्पूर्ण साहित्य साधना पर पंजाब वि.वि, गोरखपुर विश्वविद्यालय, रुहेल खण्ड विश्वाद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, मगध विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, मुम्बई विश्वविद्यालय, उस्मानिया विश्वविद्यालय, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सबा मद्रास, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, डॉ. भीमराव अमबेडकर विश्वविद्यालय, पंडित दीन दयाल विश्वविद्यालय, शिवाजी विश्वविद्यालय, माहाराष्ट्र विश्वविद्यालय, राजस्थान विश्वविद्यालय, वीर बहादुर सिंह पर्वांचल विश्वविद्यालय,बेंगलोर विश्वविद्यालय, जेयोति बाई विश्वविद्यालय, जम्मू विश्वविद्यालय, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय आदि विश्वविद्यालयों में एम, फिल,/ पी. एच. डी. के 70 शोध प्रबन्ध लिखे जा चुके थे और कई विश्वविद्यालयों में छात्रों द्वारा इन पर शोध कार्य किया गया।

विवेकी राय की रचनाएँ

ललित निबंध
  • किसानों का देश (1956)
  • गाँवों की दुनियाँ (1957)
  • त्रिधारा (1958)
  • फिर बैतलवा डाल पर (1962)
  • गंवई गंध गुलाब (1980)
  • नया गाँवनाम (1984)
  • यह आम रास्ता नहीं है (1988)
  • आस्था और चिंतन (1991)
  • जगत् तपोवन सो कियो (1995)
  • वन तुलसी की गंध (2002)
  • जीवन अज्ञात का गणित है (2004)
  • उठ जाग मुसाफ़िर (2012)
  • मनबोध मास्टर की डायरी
  • जुलूस रुका है उठ जाग मुसाफ़िर
उपन्यास
  • मंगल भवन (1944)
  • बबूल (1964, डायरी-शैली में)
  • पुरुष पुराण (1975)
  • लोकऋण (1977)
  • श्वेत पत्र (1979)
  • सोनमाटी (1983)
  • समर शेष है (1988)
  • मंगल भवन (1994)
  • नमामि ग्रामम् (1997)
  • देहरी के पार (2003)
कहानी-संग्रह
  • जीवन-परिधि (1952)
  • नयी कोयल (1975)
  • गूंगा जहाज (1977)
  • बेटे की बिक्री (1981)
  • कलातीत (1982)
  • चित्रकूट के घाट पर (1988)
  • श्वेत पत्र (1996)
  • सर्कस (2005)
  • मेरी तेरह कहानियाँ
  • आंगन के बंधनवार
  • अतिथि
  • लौटकर देखना
  • लोकरिन
  • मंगल भवन
  • नममी ग्रामम
  • देहरी के पार
  • सोनमती
  • पुरुष पुरान
  • समर शेष है
  • आम रास्ता नहीं है
  • आस्था और चिंतन
  • अतिथि
  • जीवन अज्ञान का गणित है
  • लौटकर देखना
  • लोकरिन
  • मेरे शुद्ध श्रद्धेय
  • मेरी तेरह कहानियाँ
संस्मरण
  • मेरे शुद्ध श्रद्धेय
रिपोर्ताज
  • जुलूस रुका है (1977)
डायरी
  • मनबोध मास्टर की डायरी (2006)
काव्य
  • दीक्षा
साहित्य समालोचना
  • कल्पना और हिन्दी साहित्य (1999)
  • नरेन्द्र कोहली अप्रतिम कथा यात्री
अन्य
  • मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ (1984)
  • सवालों के सामने
  • ये जो है गायत्री
  • मुहम्मद इलियास हुसैमhttp://hindisahityavimarsh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

भोजपुरी

निबंध एवं कविता

भोजपुरी निबंध निकुंज: भोजपुरी के तैन्तालिस गो चुनल निम्बंध, अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, 1977
गंगा, यमुना, सरवस्ती: भोजपुरी कहानी, निबंध, संस्मरण, भोजपुरी संस्थान, 1992
जनता के पोखरा: तीनि गो भोजपुरी कविता, भोजपुरी साहित्य संस्थान, 1984

विवेकी राय के व्याख्यान, भोजपुरी अकादमी, पटना, तिसरका वार्षिकोत्सव समारोहा, रविवारा, 2 मई 1982, के अवसर पर आयोजित व्याख्यानमाला में भोजपुरी कथा साहित्य के विकास विषय पर दो भोजपुरी अकादमी, 1982

उपन्यास

अमंगलहारी, भोजपुरी संस्थान, 1998 के कहला चुनरी रंगा ला, भोजपुरी संसाद, 1968 गुरु-गृह गयौ पढ़ान रघुराय, 1992 उनकी किताबों और निबंध में उनके जीवन का सार दिखाई पड़ता है जो उनकी ग्रामीण व्यवस्था के प्रति प्रेम और दूरदर्शिता का जीता जागता उदहारण थे।http://www.patnanow.com/dr-vivekee-roy/

निधन

डॉ.राय काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। पहली नवंबर को अचानक तबीयत गंभीर होने के बाद उन्हें वाराणसी के निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। हिंदी और भोजपुरी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. विवेकी राय का 22 नवम्बर, 2016 वाराणसी में निधन हो गया। इनका वाराणसी के मणिकर्णिकाघाट पर अंतिम संस्कार हुआ था। केन्द्रीय संचार औऱ रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने दिवंगत विवेकी राय को उनके घर पहुँचकर पुष्पांजलि दी थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि साहित्य जगत को डॉ विवेकी राय के निधन से सहती जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। डॉ. विवेकी राय को देश भर से लोगों ने डॉ राय को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक के जाने से आंचलिक साहित्य के एक बड़े युग का अंत हो गया। Pasted from <http://hindisahityavimarsh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html> Pasted from <http://raj-bhasha-hindi.blogspot.in/2011/06/blog-post_24.html> Pasted from <http://www.patnanow.com/dr-vivekee-roy/>

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