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-सेबाइन
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-माउंट बेटन
-माउंट बेटन
||गार्नर ने कहा है कि "राजनीतिक शास्त्र का 'आदि' और 'अंत' राज्य है" अत: राजनीति शास्त्र के अध्ययन का विषय-क्षेत्र मात्र राज्य है।
||गार्नर ने कहा है कि "राजनीतिक शास्त्र का 'आदि' और 'अंत' राज्य है" (Political Science begins and ends with the State)। अत: राजनीति शास्त्र के अध्ययन का विषय-क्षेत्र मात्र राज्य है।


{जॉन लॉक और रूसो के सामाजिक संविदा सिद्धांत के संबंध में क्या सही है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-16 प्रश्न-2
{जॉन लॉक और रूसो के सामाजिक संविदा सिद्धांत के संबंध में क्या सही है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-16 प्रश्न-2
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+गार्नर
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-गेटिल
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||गार्नर ने कहा है कि "राजनीतिक शास्त्र का 'आदि' और 'अंत' राज्य है" (Political Science begins and ends with the State)। अत: राजनीति शास्त्र के अध्ययन का विषय-क्षेत्र मात्र राज्य है।


{हॉब्स के अनुसार, प्राकृतिक अवस्था में मानवीय जीवन- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-3
{हॉब्स के अनुसार, प्राकृतिक अवस्था में मानवीय जीवन- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-3
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||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक किया (Dialectic Process) नाम दिया। इस द्वन्द्ववाद शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'Dialego' से हुई जिसका अर्थ वाद-विवाद करना होता है और जिसके फलस्वरूप संश्लेषण अर्थात संवाद की उत्पत्ति होती है जो पहले के दोनों रूपों से भिन्न होता है। मार्क्स, हेगेल के द्वन्द्ववाद से प्रभावित था परंतु उसने हेगेल के आदर्शवाद की उपेक्षा किया तथा द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रतिपादन किया। मार्क्स का भौतिक द्वंद्ववाद का सिद्धांत विकासवाद का सिद्धांत है जिसके तीन अंग वाद, प्रतिवाद और संश्लेषण या संवाद हैं। उदाहरणार्थ- यदि गेहूं के दाने पर द्वन्द्ववाद का अध्ययन करें, तो गेहूं को जमीन में गाड़ देने से उसका स्वरूप नष्ट हो जाएगा और एक अंकुरण प्रकट होगा और वह अंकुरण विकसित होकर पौधा बनेगा उसमें गेहूं के अनेक दाने लगेंगे। यदि गेहूं का बीज वाद है तो पौधा 'प्रतिवाद' जो निरंतर बढ़ता रहता है और पौधे से नये दाने का जन्म संश्लेषण है।
||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक किया (Dialectic Process) नाम दिया। इस द्वन्द्ववाद शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'Dialego' से हुई जिसका अर्थ वाद-विवाद करना होता है और जिसके फलस्वरूप संश्लेषण अर्थात संवाद की उत्पत्ति होती है जो पहले के दोनों रूपों से भिन्न होता है। मार्क्स, हेगेल के द्वन्द्ववाद से प्रभावित था परंतु उसने हेगेल के आदर्शवाद की उपेक्षा किया तथा द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रतिपादन किया। मार्क्स का भौतिक द्वंद्ववाद का सिद्धांत विकासवाद का सिद्धांत है जिसके तीन अंग वाद, प्रतिवाद और संश्लेषण या संवाद हैं। उदाहरणार्थ- यदि गेहूं के दाने पर द्वन्द्ववाद का अध्ययन करें, तो गेहूं को जमीन में गाड़ देने से उसका स्वरूप नष्ट हो जाएगा और एक अंकुरण प्रकट होगा और वह अंकुरण विकसित होकर पौधा बनेगा उसमें गेहूं के अनेक दाने लगेंगे। यदि गेहूं का बीज वाद है तो पौधा 'प्रतिवाद' जो निरंतर बढ़ता रहता है और पौधे से नये दाने का जन्म संश्लेषण है।


{राज्य के संबंध में गांधी जी के विचार इनमें से किसके निकट थे? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-4
{राज्य के संबंध में [[गांधी जी]] के विचार इनमें से किसके निकट थे?(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-4
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+दार्शनिक अराजकतावादी
+दार्शनिक अराजकतावादी
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-नैतिक अंतर्निहितवाद
-नैतिक अंतर्निहितवाद
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||राज्य के संबंध में गांधीजी के विचार दार्शनिक अराजकतावादी थे क्योंकि गांधी राज्य विरोधी थे। वे मार्क्सवादियों तथा अराजकतावादियों के समान एक राज्यविहीन समाज की स्थापना करना चाहते थे। वे दार्शनिक, नैतिक, ऐतिहासिक और आर्थिक कारणों के आधार पर राज्य का विरोध करते थे। अत: उनके सिद्धांत को दार्शनिक अराजकतावाद कहा जाता है।
||राज्य के संबंध में [[गांधी जी]] के विचार दार्शनिक अराजकतावादी थे क्योंकि गांधी राज्य विरोधी थे। वे मार्क्सवादियों तथा अराजकतावादियों के समान एक राज्यविहीन समाज की स्थापना करना चाहते थे। वे दार्शनिक, नैतिक, ऐतिहासिक और आर्थिक कारणों के आधार पर राज्य का विरोध करते थे। अत: उनके सिद्धांत को दार्शनिक अराजकतावाद कहा जाता है।


{जीवन, स्वतंत्रता और सुखानुसरण तथ्य है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-104
{जीवन, स्वतंत्रता और सुखानुसरण तथ्य है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-104
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+अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र का
+अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र का
-भारत के संविधान की उद्देशिका का
-[[भारत का संविधान|भारत के संविधान]] की उद्देशिका का
-सोवियत नागरिकों के अधिकार से संबंध रखने वाले यू.एस.एस.आर. के संविधान का
-सोवियत नागरिकों के अधिकार से संबंध रखने वाले यू.एस.एस.आर. के संविधान का
-यूनाइटेड स्टेट्स के संविधान के अधिकार-पत्र का
-यूनाइटेड स्टेट्स के संविधान के अधिकार-पत्र का
||जुलाई, 1776 को अमेरिका की कांटिनेंटल कांग्रेस द्वारा अंग्रीकृत अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा-अप्त्र में सभी मनुष्यों को जन्म से समान घोषित करते हुए जीवन, स्वतंत्रता और सुखानुसरण को उनके जन्म से प्राप्त अहस्तांतरणीय अधिकार घोषित किया गया है।
||[[जुलाई]], 1776 को [[अमेरिका]] की कांटिनेंटल कांग्रेस द्वारा अंग्रीकृत अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र में सभी मनुष्यों को जन्म से समान घोषित करते हुए जीवन, स्वतंत्रता और सुखानुसरण को उनके जन्म से प्राप्त अहस्तांतरणीय अधिकार घोषित किया गया है।


{राजनीति विज्ञान का प्रारंभ औरं अंत राज्य से होता है यह कथन है: (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-4
{'राजनीति विज्ञान का प्रारंभ और अंत राज्य से होता है' यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-4
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-अरस्तू का
-[[अरस्तू]]
-लीकॉक का
-लीकॉक
+गार्नर का
+गार्नर
-ग्रीसस के
-ग्रीसस
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||गार्नर ने कहा है कि "राजनीतिक शास्त्र का 'आदि' और 'अंत' राज्य है" (Political Science begins and ends with the State)। अत: राजनीति शास्त्र के अध्ययन का विषय-क्षेत्र मात्र राज्य है।


{इनमें से किससे लॉक के विचारों को प्रेरणा प्राप्त हुई? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-4
{इनमें से किससे लॉक के विचारों को प्रेरणा प्राप्त हुई? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-4
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-1650 की स्वर्णिम क्रांति
-1650 की स्वर्णिम क्रांति
+1688 की स्वर्णिम क्रांति
+1688 की स्वर्णिम क्रांति
||1688 की इंग्लैंड की स्वर्णिम क्रांति से लॉक के विचारों को प्रेरणा प्राप्त हुई। लॉक ने इनका समर्थन किया जिसके कारण इसे क्रांति का दार्शनिक कहा जाता है।
||1688 की [[इंग्लैंड]] की स्वर्णिम क्रांति से लॉक के विचारों को प्रेरणा प्राप्त हुई। लॉक ने इनका समर्थन किया जिसके कारण इसे क्रांति का दार्शनिक कहा जाता है। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1.लॉक का सबसे प्रमुख ग्रंथ 'Two Treaties on Government है| 2.लॉक अपने विचारों के लिए 'The Laws of Ecclesiastical Polity' के लेखक रिचार्ड हूकर के ऋणी थे।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
1.लॉक का सबसे प्रमुख ग्रंथ है 2.लॉक अपने विचारों के लिए लेख रिचार्ड हूकर के ऋणी थे


{"तुलनात्मक राजनीतिक का अध्ययन रामसामयिक राजनीति विज्ञान का हृदय है।" यह किसने कहा? (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-4
{"तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन रामसामयिक राजनीति विज्ञान का हृदय है।" यह किसने कहा? (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-4
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+एम. कर्टिस
+एम. कर्टिस
-जी.के. राबर्ट्स
-जी.के. रॉबर्ट्स
-जीन ब्लोण्डेल
-जीन ब्लोण्डेल
-आर.सी. मैक्रीडिस
-आर.सी. मैक्रीडिस
||वर्तमान समय में तुलनात्मक राजनीति में विभिन्न देशों की राजनीति व्यवस्थाओं यथा संसदात्मक- अध्यक्षात्मक, संघात्मक-एकात्मक, निर्णय निर्माण प्रक्रिया शक्ति संरचना, तथा शासन प्रणालियों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा इसमें राजनीतिक विकास, राजनीतिक सामाजीकरण,आधुनिकीकरण, सांस्कृतिकरण आदि का भी अध्ययन किया जाता है। इसके महत्त्व को देखते हुए एम. कार्टिस ने लिखा है कि "तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन सम-सामयिक राजनीति विज्ञान का हृदय है।
||वर्तमान समय में तुलनात्मक राजनीति में विभिन्न देशों की राजनीति व्यवस्थाओं यथा संसदात्मक-अध्यक्षात्मक, संघात्मक-एकात्मक, निर्णय निर्माण प्रक्रिया, शक्ति संरचना तथा शासन प्रणालियों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा इसमें राजनीतिक विकास, राजनीतिक समाजीकरण, आधुनिकीकरण, सांस्कृतिकरण आदि का भी अध्ययन किया जाता है। इसके महत्त्व को देखते हुए एम. कार्टिस ने लिखा है कि "तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन सम-सामयिक राजनीति विज्ञान का हृदय है।"


{निम्नलिखित में से कौन राज्य को "आवश्यक बुराई" मानते है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-4
{निम्नलिखित में से कौन राज्य को "आवश्यक बुराई" मानते है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-4
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-आदर्शवादी
-आदर्शवादी
-समाजवादी
-समाजवादी
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||व्यक्तिवादी सिद्धांत 'राज्य को आवश्यक बुराई मानता है'। आवश्यक इसलिए कि केवल राज्य ही लोगों के जीवन, संपत्ति तथा स्वतंत्रता की रक्षा कर सकता है। तथा बुराई इसलिए कि राज्य के प्रत्येक कार्य का अर्थ है व्यक्ति की स्वतंत्रता में कटौती करना। व्यक्तिवाद व्यक्ति और उसकी स्वतंत्रता को अपने चिंतन में केद्रीय स्थान देता है। एडम स्मिथ, हेयक, [[हर्बर्ट स्पेंसर|स्पेंसर]] प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1. अराजकतावादी राज्य को अनावश्यक बुराई मानते हैं। 2. सर्वाधिकारवादी राज्य को गौरवांवित तथा महिमामंडित करते हैं।


{"अस्थायी अधिनायकवाद के स्थायी और सुस्थापित अत्याचारपूर्ण व्यवस्था बन जाने की संभावना सदा बनी रहती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-4
{"अस्थायी अधिनायकवाद के स्थायी और सुस्थापित अत्याचारपूर्ण व्यवस्था बन जाने की संभावना सदा बनी रहती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-4
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+के.सी. व्हीयर
+के. सी. व्हीयर
-गार्नर
-गार्नर
-विलियम एण्डूज
-विलियम एण्डूज
-बार्कर
-बार्कर
||उपरोक्त कथन के.सी. व्हीयर का है। के.सी.व्हीयर पुस्तक माडर्न कांस्टीट्यूशन में चेतावनी देते हुए लिखते हैं कि शासक वर्ग युद्ध या आपात की स्थितियों में शक्ति को अपने हाथों में केंद्रित कर लेते हैं उसे स्थाई बनाकर अत्याचारपूर्ण व्यवस्था में बदल लेते हैं। इसी संदर्भ में इन्होंने लिखा है कि "अस्थाई अधिनायकवाद के स्थाई एवं सुस्थापित अत्याचारपूर्ण व्यवस्था बन जाने की संभावना रहती है।"
||उपरोक्त कथन के. सी. व्हीयर का है। के.सी.व्हीयर पुस्तक माडर्न कांस्टीट्यूशन में चेतावनी देते हुए लिखते हैं कि शासक वर्ग युद्ध या आपात की स्थितियों में शक्ति को अपने हाथों में केंद्रित कर लेते हैं उसे स्थाई बनाकर अत्याचारपूर्ण व्यवस्था में बदल लेते हैं। इसी संदर्भ में इन्होंने लिखा है कि "अस्थाई अधिनायकवाद के स्थाई एवं सुस्थापित अत्याचारपूर्ण व्यवस्था बन जाने की संभावना रहती है।"


{सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्य चुने जाते हैं किस अवधि के लिए? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-4
{सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्य कितनी अवधि के लिए चुने जाते हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-4
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-एक वर्ष
-1 वर्ष
+दो वर्ष
+2 वर्ष
-तीन वर्ष
-3 वर्ष
-पाँच वर्ष
-5 वर्ष
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है।


{लूथर गुलिक ने संगठन के सिद्धांतों को 'POSDCORB' शब्द में अभिव्यक्त किया है इसमें 'CO' का तात्पर्य है। (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-5
{लूथर गुलिक ने संगठन के सिद्धांतों को 'POSDCORB' शब्द में अभिव्यक्त किया है इसमें 'CO' का तात्पर्य किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-5
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|type="()"}
-कॉरपोरेशन से
-कॉरपोरेशन
-कोऑपरेशन से
-कोऑपरेशन
+कोआर्डीनेशन से
+कोआर्डीनेशन
-कंपनी से
-कंपनी
||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, अग्रेंजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलाकर बनाया गया है, जो इस प्रकार हैं-
||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, अग्रेंजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलाकर बनाया गया है, जो इस प्रकार हैं-
P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)।
P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)।
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{निम्नलिखित विचारों में से मार्क्स ने हीगल से कौन-सा विचार लिया था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-5
 
{निम्नलिखित विचारों में से [[कार्ल मार्क्स]] ने हीगल से कौन-सा विचार लिया था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-5
|type="()"}
|type="()"}
-वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत
-वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत
पंक्ति 346: पंक्ति 346:
+द्वंद्वात्मक पद्धति
+द्वंद्वात्मक पद्धति
-इनमें से कोई नहीं
-इनमें से कोई नहीं
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक किया (Dialectic Process) नाम दिया। इस द्वन्द्ववाद शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'Dialego' से हुई जिसका अर्थ वाद-विवाद करना होता है और जिसके फलस्वरूप संश्लेषण अर्थात संवाद की उत्पत्ति होती है जो पहले के दोनों रूपों से भिन्न होता है। मार्क्स, हेगेल के द्वन्द्ववाद से प्रभावित था परंतु उसने हेगेल के आदर्शवाद की उपेक्षा किया तथा द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रतिपादन किया। मार्क्स का भौतिक द्वंद्ववाद का सिद्धांत विकासवाद का सिद्धांत है जिसके तीन अंग वाद, प्रतिवाद और संश्लेषण या संवाद हैं। उदाहरणार्थ- यदि गेहूं के दाने पर द्वन्द्ववाद का अध्ययन करें, तो गेहूं को जमीन में गाड़ देने से उसका स्वरूप नष्ट हो जाएगा और एक अंकुरण प्रकट होगा और वह अंकुरण विकसित होकर पौधा बनेगा उसमें गेहूं के अनेक दाने लगेंगे। यदि गेहूं का बीज वाद है तो पौधा 'प्रतिवाद' जो निरंतर बढ़ता रहता है और पौधे से नये दाने का जन्म संश्लेषण है।


{1936 किसने कहा "गांधीवाद जैसी कोई चीज नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-5
{[[1936]] किसने कहा "गांधीवाद जैसी कोई चीज़ नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-5
|type="()"}
|type="()"}
+दार्शनिक अराजकतावादी
+महात्मा गांधी
-सामूहिकतावादी
-मौलाना आज़ाद
-नैतिक अंतर्निहिवाद
-[[जवाहर लाल नेहरु]]
-उपर्युक्त में कोई नहीं
-[[रविन्द्रनाथ टैगोर]]
||गांधीजी की शिक्षाओं को अक्सर 'गांधीवाद' के नाम से संबोधित किया गया परंतु इस शब्द से उन्हें स्वयं आपत्ति थी, महात्मा गांधी का कहना था कि गांधीवाद जैसी कोई वस्तु नहीं है और मैं अपने बाद कोई संप्रदाय छोड़ना नहीं चाहता। मैं कभी इस बात का दावा नहीं करता कि मैंने कोई नया सिद्धान्त चलाया..... आप लोग इसे गांधीवाद न कहें, इसमें वाद जैसा कुछ भी नहीं है।
||[[गांधी जी]] की शिक्षाओं को अक्सर 'गांधीवाद' के नाम से संबोधित किया गया परंतु इस शब्द से उन्हें स्वयं आपत्ति थी, महात्मा गांधी का कहना था कि गांधीवाद जैसी कोई वस्तु नहीं है और मैं अपने बाद कोई संप्रदाय छोड़ना नहीं चाहता। मैं कभी इस बात का दावा नहीं करता कि मैंने कोई नया सिद्धान्त चलाया..... आप लोग इसे गांधीवाद न कहें, इसमें वाद जैसा कुछ भी नहीं है। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1. गांधी-इर्विन समझौते के बाद एक सार्वजनिक सभा में गांधी जी ने अपने वक्तव्य में कहा था- "गांधी मर सकता है परंतु गांधीवाद सदा जीवित रहेगा।" 2. गांधी जी ने अपने सिद्धांतों का प्रतिपादन मुख्य रूप से अपनी दो पुस्तकों 'हिंद स्वराज' तथा अपनी आत्मकथा 'मेरे सत्य के प्रयोग' में किया। 3. गांधी जी की रचनाएं- शांति और युद्ध में अहिंसा, नैतिक धर्म, सत्याग्रह, सत्य ही ईश्वर है. सर्वोदय आदि हैं। इसके अतिरिक्त गांधी जी ने [[दक्षिण अफ़्रीका]] में इंडियन ओपिनियन नामक साप्ताहिक पत्र तथा [[भारत]] में यंग इंडिया, हरिजन सेवक, हतिजन बंधु आदि पत्रों का संपादन किया।
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
.गांधी-इर्विन समझौते के बाद एक सार्वजनिक सभा में गांधीजी ने अपने वक्तव्य में कहा था- "गांधी पर सकता है परंतु गांधीवाद सदा जीवित रहेगा।"
.गांधीजी ने अपने सिद्धांतों का प्रतिपादन मुख्य रूप से अपनी दो पुस्तकों 'हिंद स्वराज' तथा अपनी आत्मकथा 'मेरे सत्य के प्रयोग' में किया।
.गांधीजी की रचनाएं- शांति और युद्ध में अहिंसा, नैतिक धर्म, सत्याग्रह, सत्य ही ईश्वर है. सर्वोदय आदि हैं। इसके अतिरिक्त गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में इंडियन ओपिनियन नामक साप्ताहिक पत्र तथा भारत में यंग इंडिया, हरिजन सेवक, हतिजन बंधु आदि पत्रों का संपादन किया।


{"एक व्यवस्थापिका जो मंत्रिपरिषद के समक्ष निर्बल है तथा एक मंत्रिपरिषद जो राष्ट्रपति के समक्ष निर्बल है" किस देश की शासन व्यवस्था की विशेषता दर्शाता है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-105
{"एक व्यवस्थापिका जो मंत्रिपरिषद के समक्ष निर्बल है तथा एक मंत्रिपरिषद जो [[राष्ट्रपति]] के समक्ष निर्बल है" किस देश की शासन व्यवस्था की विशेषता दर्शाता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-105
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|type="()"}
||उपरोक्त शासन व्यवस्था फ्रांस की शासन व्यवस्था की विशेषता है। क्योंकि फ्रांस के पंचम गणतंत्र के संविधान में शासन प्रणाली को अपनाया गया है। किंतु यह अर्द्ध संसदीय शासन प्रणाली ही है। इसमें मंत्रिमण्डल संसद के सम्मुख पूर्ण उत्तरदायी नहीं है। प्रधानमंत्री का चुनाव राष्ट्रपति करता है जिसको साधारण शक्तियों के साथ-साथ अनेक असाधरण शक्तियां प्राप्त है। यह केवल नाम मात्र का राज्याध्यक्ष नहीं है। कई मामलों में यह अमेरिकी राष्ट्रपति के समान है। यदि संसद मंत्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास पास करता है तब भी मंत्रिमण्डल चल सकता है क्योंकि उसका उत्तरदायित्व राष्ट्रपति के प्रति है संसद के प्रति नहीं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति पर अभियोग भी नहीं चलाया जा सकता। इसीलिए पिकिल्स ने इसे "दो विरोधी सिद्धांतों का मिश्रण कहा है।"
+[[फ़्राँस]]
‌‌-[[जर्मनी]]
-[[भारत]]
-[[श्रीलंका]]
||उपरोक्त शासन व्यवस्था [[फ्रांस]] की शासन व्यवस्था की विशेषता है। क्योंकि फ्रांस के पंचम गणतंत्र के संविधान में शासन प्रणाली को अपनाया गया है। किंतु यह अर्द्ध संसदीय शासन प्रणाली ही है। इसमें मंत्रिमण्डल संसद के सम्मुख पूर्ण उत्तरदायी नहीं है। प्रधानमंत्री का चुनाव राष्ट्रपति करता है जिसको साधारण शक्तियों के साथ-साथ अनेक असाधरण शक्तियां प्राप्त है। यह केवल नाम मात्र का राज्याध्यक्ष नहीं है। कई मामलों में यह अमेरिकी राष्ट्रपति के समान है। यदि संसद मंत्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास पास करता है तब भी मंत्रिमण्डल चल सकता है क्योंकि उसका उत्तरदायित्व राष्ट्रपति के प्रति है संसद के प्रति नहीं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति पर अभियोग भी नहीं चलाया जा सकता। इसीलिए पिकिल्स ने इसे "दो विरोधी सिद्धांतों का मिश्रण कहा है।"


{"राजनीति विज्ञान के अंतर्गत राज्य तथा सरकार का अध्ययन किया जाता है", राजनीति विज्ञान की यह परिभाषा किस विचारक ने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-5
{"राजनीति विज्ञान के अंतर्गत [[राज्य]] तथा सरकार का अध्ययन किया जाता है", राजनीति विज्ञान की यह परिभाषा किस विचारक ने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-5
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-गार्नर
-गार्नर
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-गेटिल
-गेटिल
+गिलक्राइस्ट
+गिलक्राइस्ट
||राजनीति विज्ञान के अंतर्गत राज्य और सरकार दोनों की ही अध्ययन किया जाता है राज्य के बिना सरकार की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि सरकार राज्य के द्वारा राज्य के द्वारा प्रदत्त प्रभुत्व शक्ति का प्रयोग करती है और सरकार के बिना राज्य तो एक अमूर्त कल्पना मात्र है। गिलक्राइस्ट ने इसी को परिभाषित करते हुए लिखा है कि 'राजनीति विज्ञान राज्य और सरकार की सामान्य समस्याओं का अध्ययन करता है। पॉल जैनेट ने भी संदर्भ में लिखा है कि "राजनीति विज्ञान समाज विज्ञान का वह अंग है जिसमें राज्य के आधार और सरकार के सिद्धांतों पर विचार किया जाता है।
||राजनीति विज्ञान के अंतर्गत राज्य और सरकार दोनों की ही अध्ययन किया जाता है राज्य के बिना सरकार की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि सरकार राज्य के द्वारा [[राज्य]] के द्वारा प्रदत्त प्रभुत्व शक्ति का प्रयोग करती है और सरकार के बिना राज्य तो एक अमूर्त कल्पना मात्र है। गिलक्राइस्ट ने इसी को परिभाषित करते हुए लिखा है कि 'राजनीति विज्ञान राज्य और सरकार की सामान्य समस्याओं का अध्ययन करता है। पॉल जैनेट ने भी संदर्भ में लिखा है कि "राजनीति विज्ञान समाज विज्ञान का वह अंग है जिसमें राज्य के आधार और सरकार के सिद्धांतों पर विचार किया जाता है।


{"सामान्य इच्छा के प्रति वास्तविक आपत्ति यह है कि जहां तक यह इच्छा है. सामान्य नहीं है तथा जहां तक यह सामान्य है, यह इच्छा नहीं"। यह किसने कहा है?(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-5
{"सामान्य इच्छा के प्रति वास्तविक आपत्ति यह है कि जहां तक यह इच्छा है, सामान्य नहीं है तथा जहां तक यह सामान्य है, यह इच्छा नहीं"। यह किसने कहा है?(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-5
|type="()"}
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-बोसांके
-बोसांके
पंक्ति 378: पंक्ति 378:
-एम.पी. फोलेट
-एम.पी. फोलेट
+हाबहाउस
+हाबहाउस
||रुसो के सामान्य इच्छा को अस्पष्ट एवं अव्यावहरिक बताते हुए एल.टी. हाबहाउस ने टिप्पणी की है कि सामान्य इच्छा के प्रति वास्तविक आपत्ति यह है कि जहां तक यह सामान्य है, यह इच्छा नहीं है और जहां तक यह इच्छा है, यह सामान्य नहीं है।" अर्थात यह या तो सामान्य है या इच्छा, यह दोनों नहीं हो सकती। वाहन ने भी रुसो पर अधिनायकवाद के पोषण का आरोप लगाते हुए कहा है कि "रुसो ने अपनी समष्टिवादी विचारधारा व्यक्ति को शून्य बना दिया है॥
||रुसो के सामान्य इच्छा को अस्पष्ट एवं अव्यावहरिक बताते हुए एल.टी. हाबहाउस ने टिप्पणी की है कि "सामान्य इच्छा के प्रति वास्तविक आपत्ति यह है कि जहां तक यह सामान्य है, यह इच्छा नहीं है और जहां तक यह इच्छा है, यह सामान्य नहीं है।" अर्थात यह या तो सामान्य है या इच्छा, यह दोनों नहीं हो सकती। वाहन ने भी रुसो पर अधिनायकवाद के पोषण का आरोप लगाते हुए कहा है कि "रुसो ने अपनी समष्टिवादी विचारधारा व्यक्ति को शून्य बना दिया है।"


{तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में पारंपरिक उपागमों में अपेक्षा हुई: (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-5
{तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में पारंपरिक उपागमों में अपेक्षा हुई: (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-5
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-सरकारों के अध्ययन की
-सरकारों के अध्ययन की
+आनुभविक अनुसंधानों की
+आनुभविक अनुसंधानों की
-संस्थाओं के वर्णन की
-संस्थाओं के वर्णन की
-संविधानों की तुलनाकी
-संविधानों की तुलना की
||तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में पारंपरिक उपागमों में आधुनिक तथ्यों पर जोर नहीं दिया गया और तथ्यों के सुनिश्चित परिमाणन का अभाव ही रहा। पारंपरिक उपागम में सरकारों का अध्ययन, संस्थाओं के वर्णन तथा संविधानों की तुलना पर बल दिया गया है।
||तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में पारंपरिक उपागमों में आधुनिक तथ्यों पर जोर नहीं दिया गया और तथ्यों के सुनिश्चित परिमाणन का अभाव ही रहा। पारंपरिक उपागम में सरकारों का अध्ययन, संस्थाओं के वर्णन तथा संविधानों की तुलना पर बल दिया गया है।


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-अर्थहीन है
-अर्थहीन है
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||व्यक्तिवादी सिद्धांत 'राज्य को आवश्यक बुराई मानता है'। आवश्यक इसलिए कि केवल राज्य ही लोगों के जीवन, संपत्ति तथा स्वतंत्रता की रक्षा कर सकता है। तथा बुराई इसलिए कि राज्य के प्रत्येक कार्य का अर्थ है व्यक्ति की स्वतंत्रता में कटौती करना। व्यक्तिवाद व्यक्ति और उसकी स्वतंत्रता को अपने चिंतन में केद्रीय स्थान देता है। एडम स्मिथ, हेयक, [[हर्बर्ट स्पेंसर|स्पेंसर]] प्रमुख व्यक्तिवादी विचारक हैं। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1. अराजकतावादी राज्य को अनावश्यक बुराई मानते हैं। 2. सर्वाधिकारवादी राज्य को गौरवांवित तथा महिमामंडित करते हैं।


{निम्नलिखित में से फॉसीवाद की विशेषता कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-5
{निम्नलिखित में से फॉसीवाद की विशेषता कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-5
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||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है।


{'POSDCORB' दृषिकोण की आलोचना निम्न में से किसने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-6
{'POSDCORB' दृषिकोण की आलोचना निम्न में से किसने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-6
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{मार्क्स ने द्बंद्व का सिद्धांत किससे लिया? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-6
{मार्क्स ने द्बंद्व का सिद्धांत किससे लिया? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-6
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-एंजिल्स
-एंजिल्स
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-आवेन
-आवेन
-रिकार्डो
-रिकार्डो
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक किया (Dialectic Process) नाम दिया। इस द्वन्द्ववाद शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'Dialego' से हुई जिसका अर्थ वाद-विवाद करना होता है और जिसके फलस्वरूप संश्लेषण अर्थात संवाद की उत्पत्ति होती है जो पहले के दोनों रूपों से भिन्न होता है। मार्क्स, हेगेल के द्वन्द्ववाद से प्रभावित था परंतु उसने हेगेल के आदर्शवाद की उपेक्षा किया तथा द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रतिपादन किया। मार्क्स का भौतिक द्वंद्ववाद का सिद्धांत विकासवाद का सिद्धांत है जिसके तीन अंग वाद, प्रतिवाद और संश्लेषण या संवाद हैं। उदाहरणार्थ- यदि गेहूं के दाने पर द्वन्द्ववाद का अध्ययन करें, तो गेहूं को जमीन में गाड़ देने से उसका स्वरूप नष्ट हो जाएगा और एक अंकुरण प्रकट होगा और वह अंकुरण विकसित होकर पौधा बनेगा उसमें गेहूं के अनेक दाने लगेंगे। यदि गेहूं का बीज वाद है तो पौधा 'प्रतिवाद' जो निरंतर बढ़ता रहता है और पौधे से नये दाने का जन्म संश्लेषण है।


{जयप्रकाश नारायण के किस विचार से भारत में एक बड़ा जनांदोलन हुआ और आपात काल लागू हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-6
{जयप्रकाश नारायण के किस विचार से भारत में एक बड़ा जनांदोलन हुआ और आपात काल लागू हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-6
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-सोदियत संघ
-सोदियत संघ
-ब्रिटेन
-ब्रिटेन
||उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।
||संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है।


{ओ. और एम. संबंधित हैं- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-7
{ओ. और एम. संबंधित हैं- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-7

13:05, 23 दिसम्बर 2016 का अवतरण

1 मार्क्स के अनुसार राज्य के गठन का आसन्न कारण क्या था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-1

शोषण
सामंतवाद
असमाधेय वर्ग संघर्ष
पूंजीवाद

2 "राष्ट्रीयता सभ्यता के लिए एक खतरा है" किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-1

रवींद्रनाथ टैगोर
महात्मा गाँधी
जे.एस. मिल
मैकियावेली

3 कौन-सी विचारधारा समर्थन करती है कि "तथ्य अनिवार्यत: तकनीक से पूर्व है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-80 प्रश्न-101

व्यवहारवाद
अस्तित्ववाद
उत्तर-व्यवहारवाद
प्रत्यक्षवाद

4 आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत के प्रमुख समर्थक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-1

चार्ल्स मेरियम
डेविड ईस्टन
हैरॉल्ड लासवेल
उपर्युक्त सभी

5 राज्य की उत्पत्ति के संबंध में ऐतिहासिक सिद्धांत किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-16 प्रश्न-1

हेनरी मेन
ट्राइट्सके
ओपेनहाइमर
दुर्खीम

6 निम्न में से तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य क्या है? (नागरिकक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-1

दार्शनिक लक्ष्य
वैज्ञानिक लक्ष्य
शासन नीति के प्रयोग का लक्ष्य
उपर्युक्त सभी

7 व्यक्तिवाद व समाजवाद में किस प्रकार का संबंध हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-30 प्रश्न-1

परस्पर सहयोग
परस्पर आदान-प्रदान
परस्पर मिलना
परस्पर विरोध

8 "सभी कुछ राज्य के अंदर है, राज्य के विरुद्ध और बाहर कुछ नहीं है।" किसने कहा है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-1

हीगल
हिटलर
ग्रीन
मुसोलिनी

9 संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में कितने सदस्य अस्थायी हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-118 प्रश्न-1

5
7
10
15

10 'केस' पद्धति किस देश की देन है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-1

अमेरिका
भारत
इंग्लैंड
फ़्राँस

11 निम्नलिखित में से कार्ल मार्क्स के अनुसार कौन ऐतिहासिक परिवर्तन का प्रमुख कारक है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-2

व्यक्ति
जनता
वर्ग
दल

12 निम्नलिखित में से अनमेल को बताइए- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-2

तिलक-विपिन चंद्र पाल
गोखले-नौरोजी
नेहरू-बोस
जय प्रकाश-लोहिया

13 बहुलतावादी वकालत करते हैं- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-80 प्रश्न-102

राज्यों की स्वायत्तता की
सरकार की स्वायत्तता की
समुदायों की स्वायत्तता की
केंद्र सरकार की स्वायत्तता की

14 "राजनीति शास्त्र का 'आदि' और 'अंत' राज्य है।" किसकी उक्ति है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-2

लास्की
गार्नर
सेबाइन
माउंट बेटन

15 जॉन लॉक और रूसो के सामाजिक संविदा सिद्धांत के संबंध में क्या सही है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-16 प्रश्न-2

लॉक का समझौता पूर्णतया स्वतंत्र समझौता है, जबकि रूसो की संविदा आबद्ध संविदा है।
लॉक समुदाय को नगण्य शक्तियां प्रदान करता है, जबकि रूसो की संविदा में व्यक्ति का समुदाय में पूर्ण समर्पण हो जाता है।
लॉक की संविदा में व्यक्तियों के अधिकार सुरक्षित हो जाता हैं जबकि रूसो की संविदा में व्यक्ति के अधिकार का अवसान हो जाता है।
उपर्युक्त सभी

16 "तुलनात्मक राजनीति सब कुछ है या कुछ भी नहीं" यह कथन किसका है? (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-2

मेकीडिस
जी. के. रॉबर्ट्स
जीन ब्लोण्डेल
स्प्रेंगलर

17 इनमें से किस विचार को प्राय: व्यक्तिवादी विचारक अपने अनुकूल पाते हैं? (नाग शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-2

कार्ल मार्क्स का वर्ग संघर्ष सिद्धांत
कार्ल मार्क्स का क्रांतिकारी हिंसा का सिद्धांत
डार्विन का अनुकूलतम की अतिजीविता का सिद्धांत
ऑस्टिन का संप्रभुता सिद्धांत

18 "जिसे जीना है उसे युद्ध करना होगा" यह कथन किसका है?(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-2

सिकंदर महान
मुसोलिनी
माओत्से तुंग
हिटलर

19 निम्नलिखित में से कौन एक संयुक्त राष्ट्र का मुख्य अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-11

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
महासभा
सुरक्षा परिषद
न्यास परिषद

20 'पोस्डकोर्ब' की अवधारणा दी गई है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-3

लूथर गुलिक
एल.डी. व्हाइट
विलोबी
गिलक्राइस्ट

21 कार्ल मार्क्स किस देश का रहने वाला था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-3

जापान
जर्मनी
फ़्राँस
इटली

22 निम्न में से कौन प्राचीन भारतीय राजनैतिक चिंतन के सप्तांग सिद्धांत में सम्मिलित नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-3

सामंत एवं गुरुकुल
राजा एवं कोष
मित्र एवं बल
मित्र एवं कोष

23 'अंतर्रष्ट्रीय राजनीति के वैज्ञानिक अध्ययन में उन्नति तब तक संभव नहीं हैं जब तक नार्गेंथाऊ का यथार्थवादी सिद्धांत प्रभावशाली है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-80 प्रश्न-103

के.डब्ल्यू. थाम्पसन
बेनो वासरमैन
रॉबर्ट टकर
क्विंसी राइट

24 "राजनीति शास्त्र के अध्ययन का आरंभ और अंत राज्य के साथ होता है।" किसने कहा? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-3

लीकॉक
सीले
गार्नर
गेटिल

25 हॉब्स के अनुसार, प्राकृतिक अवस्था में मानवीय जीवन- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-3

एकाकी, निर्धन, निंदनीय अल्पकालिक था।
एकाकी किंतु शांतिपूर्ण था।
सामाजिक और सहयोगात्मक किंतु दरिद्र था।
उपर्युक्त में से कोई नहीं।

26 अध्यक्षात्मक शासन का सैद्धांतिक आधार है- (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-3

शक्तियों का संतुलन
शक्तियों का पृथक्करण
शक्तियों का एकीकरण
उपर्युक्त में से कोई नहीं

27 'राज्य एक आवश्यक बुराई है-' यह कथन किस विचारधारा से संबंधित है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-3

अराजकतावाद
व्यक्तिवाद
मार्क्सवाद
श्रमिक-संघवाद

28 नाजीवाद का जनक कौन था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-3

मुसोलिनी
हिटलर
लेनिन
इनमें से कोई नहीं।

29 संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यों की कुल संख्या है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-3

5
12
15
7

30 इनमें से किसने 'पोस्डकोर्ब' का सिद्धांत दिया था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-4

हेनरी फेयोल
लूथर गुलिक
रेनसिस लाजइर्ट
एफ.डब्ल्यू. टेलर

31 इनमें से किस वर्ग के विचारकों ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वन्द्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-4

मार्क्स और मिल
मार्क्स और कांट ने
हेगेल और मार्क्स
हेगेल और लास्की

32 राज्य के संबंध में गांधी जी के विचार इनमें से किसके निकट थे?(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-4

दार्शनिक अराजकतावादी
सामूहिकतावादी
नैतिक अंतर्निहितवाद
उपर्युक्त में से कोई नहीं

33 जीवन, स्वतंत्रता और सुखानुसरण तथ्य है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-104

अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र का
भारत के संविधान की उद्देशिका का
सोवियत नागरिकों के अधिकार से संबंध रखने वाले यू.एस.एस.आर. के संविधान का
यूनाइटेड स्टेट्स के संविधान के अधिकार-पत्र का

34 'राजनीति विज्ञान का प्रारंभ और अंत राज्य से होता है' यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-4

अरस्तू
लीकॉक
गार्नर
ग्रीसस

35 इनमें से किससे लॉक के विचारों को प्रेरणा प्राप्त हुई? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-4

1655 की हिंसक क्रांति
1642 का गृह युद्ध
1650 की स्वर्णिम क्रांति
1688 की स्वर्णिम क्रांति

36 "तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन रामसामयिक राजनीति विज्ञान का हृदय है।" यह किसने कहा? (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-4

एम. कर्टिस
जी.के. रॉबर्ट्स
जीन ब्लोण्डेल
आर.सी. मैक्रीडिस

37 निम्नलिखित में से कौन राज्य को "आवश्यक बुराई" मानते है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-4

व्यक्तिवादी
अराजकतावादी
आदर्शवादी
समाजवादी

38 "अस्थायी अधिनायकवाद के स्थायी और सुस्थापित अत्याचारपूर्ण व्यवस्था बन जाने की संभावना सदा बनी रहती है।" यह कथन किसका है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-4

के. सी. व्हीयर
गार्नर
विलियम एण्डूज
बार्कर

39 सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्य कितनी अवधि के लिए चुने जाते हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-4

1 वर्ष
2 वर्ष
3 वर्ष
5 वर्ष

40 लूथर गुलिक ने संगठन के सिद्धांतों को 'POSDCORB' शब्द में अभिव्यक्त किया है इसमें 'CO' का तात्पर्य किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-5

कॉरपोरेशन
कोऑपरेशन
कोआर्डीनेशन
कंपनी

41 निम्नलिखित विचारों में से कार्ल मार्क्स ने हीगल से कौन-सा विचार लिया था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-5

वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत
अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
द्वंद्वात्मक पद्धति
इनमें से कोई नहीं

42 1936 किसने कहा "गांधीवाद जैसी कोई चीज़ नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-5

महात्मा गांधी
मौलाना आज़ाद
जवाहर लाल नेहरु
रविन्द्रनाथ टैगोर

43 "एक व्यवस्थापिका जो मंत्रिपरिषद के समक्ष निर्बल है तथा एक मंत्रिपरिषद जो राष्ट्रपति के समक्ष निर्बल है" किस देश की शासन व्यवस्था की विशेषता दर्शाता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-105

फ़्राँस
भारत
श्रीलंका

44 "राजनीति विज्ञान के अंतर्गत राज्य तथा सरकार का अध्ययन किया जाता है", राजनीति विज्ञान की यह परिभाषा किस विचारक ने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-5

गार्नर
सीले
गेटिल
गिलक्राइस्ट

45 "सामान्य इच्छा के प्रति वास्तविक आपत्ति यह है कि जहां तक यह इच्छा है, सामान्य नहीं है तथा जहां तक यह सामान्य है, यह इच्छा नहीं"। यह किसने कहा है?(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-5

बोसांके
सर हेनरी मेन
एम.पी. फोलेट
हाबहाउस

46 तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन में पारंपरिक उपागमों में अपेक्षा हुई: (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-5

सरकारों के अध्ययन की
आनुभविक अनुसंधानों की
संस्थाओं के वर्णन की
संविधानों की तुलना की

47 व्यक्तिवादी विचारक राज्य को अनिवार्य बुराई और अराजकतावादी विचारक राज्य को अनावश्यक बुराई मानते हैं। यह वक्तव्य-- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-5

प्रमुखत: सत्य है
प्रमुखत: असत्य है
अर्थहीन है
उपर्युक्त में से कोई नहीं

48 निम्नलिखित में से फॉसीवाद की विशेषता कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-40 प्रश्न-5

फॉसीवाद एक सर्वशक्तिसंपन्न राज्य क्का समर्थन करता है।
इसमें जातीय सर्वोच्चता पर बल दिया जाता है।
यह महामानव पूजा और विशेष वर्ग में विश्वास करता है।
यह अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में पूरी निष्ठा रखता है।

49 'सुरक्षा परिषद' की कुल सदस्य संख्या है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-5

15
5
11
13

50 'POSDCORB' दृषिकोण की आलोचना निम्न में से किसने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-6

हेनरी फियोल
लेविस मेरियम
उर्विक
इनमें से सभी

51 मार्क्स ने द्बंद्व का सिद्धांत किससे लिया? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-51 प्रश्न-6

एंजिल्स
हेगेल
आवेन
रिकार्डो

52 जयप्रकाश नारायण के किस विचार से भारत में एक बड़ा जनांदोलन हुआ और आपात काल लागू हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-6

समग्र क्रांति
चौखंभा-राज्य
सर्वोदय-अंत्योदय
भूदान-जीवनदान

53 जैरीमेंडरिंग की प्रथा किस देश में प्रचलित है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-106

इंग्लैंड
फ्रांस
चीन
संयुक्त राज्य अमेरिका

54 निम्न में से कौन-सा समुच्चय राजनीति विज्ञान के विषय-क्षेत्र को परिभाषित करता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-6

राज्य, सरकार, विधियां, प्रथाएं और संस्कृति
संप्रभुता, सरकार, बाजार, राजनीतिक दल और सामाजिक वर्ग
राज्य, सरकार, विधियां, सभ्य समाज और राजनीतिक दल
राज्य, मूल्य, सरकार, निर्णय-निर्माण और राजनीतिक दल

55 प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत एक भाग है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-6

ऑस्टिन के संप्रभुता सिद्धांत का
दैवीय उत्पत्ति के सिद्धांत का
शक्ति सिद्धांत का
सामाजिक समझौता सिद्धांत का

56 सरकार का व्यवस्थि वर्गीकरण सर्वप्रथम प्रस्तुत किया गया था- (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-92 प्रश्न-6

प्लेटो द्वारा
अरस्तू द्वारा
मैकियावेली द्वारा
मॉन्टेस्क्यू द्वारा

57 निम्न में से कौन एक व्यक्तिवाद का समर्थक नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-6

ग्राहम वालास
हेयक
जी.डी.एच. कोल
मिल

58 फॉसीवाद निम्नलिखित में से किसको महिमामंडित करता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-41 प्रश्न-6

हिंसा
युद्ध
नेता
उपर्युक्त सभी

59 निम्नांकित में कौन-सा देश संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-6

भारत
अमेरिका
सोदियत संघ
ब्रिटेन

60 ओ. और एम. संबंधित हैं- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-7

संगठन और पद्धति से
ओम से
संगठन और प्रबंध से
संगठन और कार्यालय का स्त्रोत

61 निम्न में से कौन-सा कथन कार्ल मार्क्स के दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-7

राज्य का सकारात्मक अच्छाई है
राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का अवतरण है
राज्य शोषण का एक साधन है
राज्य एक आवश्यक बुराई है

62 'प्रन्यास सिद्धांत' का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-7

63 'स्वतंत्रता, समानता और विश्वबंधुत्व' नारा है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-107

अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणा-पत्र का
आयरलैंड के संविधान की उद्देशिका का
संयुक्त राज्य संघ के मानव अधिकार घोषणा-पत्र का
1798 की फ्रांसीसी क्रांति के घोषणा-पत्र का

64 नागरिक शास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय है: (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-7

नागरिकता
पंचायती राज
राज्य
नगर निगम

65 निम्न में से कौन सामाजिक संविदा के सिद्धांत से संबद्ध है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-7

ऑस्टिन
लॉक
जे.एस. मिल
मार्क्स

66 निम्नलिखित वक्तव्यों में से कौन-सा सवैधानिक सरकार की प्रकृति को ठीक प्रकार स्पष्ट करता है? (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-93 प्रश्न-7

सीमित शासन
व्यक्तियों के स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा
व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा
उपर्युक्त सभी

67 'वैज्ञानिक व्यक्तिवाद' की अवधारणा को किसने विकसित किया? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-31 प्रश्न-7

एडम स्मिथ
बेंथम
जे.एस. मिल
स्पेंसर

68 फॉसीवाद निम्नलिखित में से किस एक सिद्धांत का समर्थन नहीं करता? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-41 प्रश्न-7

समाज की निगमवादी समझ
प्रजातीय की तानाशाही
सर्वहारा की तानाशाही
आज्ञापालन तथा अनुशासन

69 संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा की बैठकें होती हैं- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-7

एक वर्ष में एक बार
एक वर्ष में दो बार
दो वर्ष में एक बार
तीन वर्ष में एक बार

70 लोक प्रशासन को अध्ययन विषय के रूप में प्रारंभ करने का श्रेय किसे प्राप्त है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-8

एल.डी. ह्वाइट को
विलोबी को
मेरी पार्कर फोले को
चुडरो विल्सन को

71 निम्नलिखित में से कौन-सा मार्क्सवाद से संबंधित नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-8

72 किसको भारत में अशांति का अग्रदूत कहा गया? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-8

बाल गंगाधर तिलक
फिरोजशाह मेहता
डक्ल्यू .सी. बनर्जी
लाला लाजपत राय

73 किस देश की न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-108

इंग्लैंड
भारत
रूस
अमेरिका

74 राजनीतिक शास्त्र के पिता जाने जाते है: (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6 प्रश्न-8

सुकरात
अरस्तू
चाणक्य
कार्ल मार्क्स

75 निम्न सिद्धांतों में किसके अनुसार राज्य की स्थापना जनता की इच्छा से हुई? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-18 प्रश्न-8

शक्ति सिद्धांत से
दैवी सिद्धांत से
सामाजिक समझौते के सिद्धांत से
इनमें से कोई नहीं

76 कौन-सी समस्या तुलनात्मक राजनीति की समस्या नहीं है? (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-93 प्रश्न-8

परिवृत्यों की समस्या
धार्मिक मरभेद की समस्या
वैचारिक संरचना की समस्या
भाषा और संस्कृति की विविधता की समस्या

77 आर्थिक क्षेत्र में व्यक्तिवाद का महान समर्थक कौन है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-32 प्रश्न-8

बेंथम
हरबर्ट स्पेंसर
लास्की
एडम स्मिथ

78 फॉसीवाद के 'फॉसीस' शब्द का अर्थ है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-41 प्रश्न-8

प्राचीन रोम के अधिकारियों की शक्ति के प्रतीक के रूप में डंडों का समूह
पोप का मुकूट
पवित्र रोमन सम्राट की बाइबिल
रोम के मुख्य चर्च की घंटी

79 संयुक्त राष्ट्र संघ का कौन-सा विशिष्ट अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-8

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.)
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.)
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आई.सी.जे.)
अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक विकास संगठन (यू.एन.आई.डी.ओ.)

80 लोक प्रशासन का संबंध किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-9

राजनीति से
अर्थशास्त्र से
मनोविज्ञान से
इनमें से कोई नहीं

81 किसने कहा 'सर्वहारा की तानाशाही मार्क्स के सिद्धांत का सार है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-9

82 कांग्रेस के किस अधिवेशन में नेहरू की प्रेरणा से समाज के समाजवादी ढांचे का प्रस्ताव पारित हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-9

नागपुर अधिवेशन, 1942
रामपुर अधिवेशन, 1962
हरिपुरा अधिवेशन, 1960
अवाडी अधिवेशन, 1955

83 'स्वतंत्र नियामकीय अयोग' का आविर्भाव हुआ- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-109

जापान में
जर्मनी में
अमेरिका में
इंग्लैंड में

84 'राजनीति शास्त्र का पिता' किसे कहा जाता है: (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6 प्रश्न-9

गार्नर
ग्रीन
अरस्तू
प्लेटो

85 सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार-(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-18 प्रश्न-9

राज्य एक नैतिक संस्था है।
राज्य एक मानवकृत संस्था है।
राज्य प्राकृतिक एवं आवश्यक है।
राज्य के प्रकृति सावयवी है।

86 राजनीतिक विकास का साधन है: (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-93 प्रश्न-9

राजनीतिक दल
क्रांतिकारी नेता
राष्ट्रीयता की भावना
उपर्युक्त सभी

87 निम्नलिखित में से कौन आधुनिक व्यक्तिवाद का प्रणेता माना जाता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-32 प्रश्न-9

ग्राहम वालास
लास्की
लीकाक
हॉब्स

88 फॉसीवाद का जन्म हुआ था- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-41 प्रश्न-9

ब्रिटेन में
इटली में
जर्मनी में
रूस में

89 संयुक्त राष्ट्र संघ के कुल कितने मुख्य अंग हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-9

7
5
6
8

90 लोक प्रशासन में 'लोक' शब्द का तात्पर्य है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-10

जनता
समाज
कार्यपालिका
सरकार

91 राज्य के सावयविक होने पर किस वर्ष वर्ग का विश्वास था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-10

आदर्शवादियों का
समाजवादियों का
सम्विदावादियों का
धर्मतांत्रियों का

92 'द्वितत्वीय सिद्धांत' का प्रतिपादन किया गया थ- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-10

मैस्लो
मैकग्रेगर
आर.लिकर्ट
हर्जबर्ग

93 निम्न में से किस देश को स्वतंत्र नियामकीय आयोग की जन्मस्थली माना जा सकता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-110

ब्रिटेन
संयुक्त राज्य अमेरिका
फ्रांस
उपर्युक्त में से कोई नहीं

94 किसने कहा कि "निश्चित भू-भाग राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6 प्रश्न-10

95 निम्नलिखित में से कौन 'आत्मरक्षा के अधिकार' को व्यक्ति का प्राकृतिक अधिकार मानता है?(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-18 प्रश्न-

प्लेटो
बेंथम
हॉब्स
बर्क

96 भारतीय राजनीतिक व्यवस्था का स्वरूप निम्न में से कौन-सा है- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-93 प्रश्न-1

गणतंत्रीय, संधीय, अध्यक्षात्मक
गणतंत्रीय, एकात्मक, संसदीय
गणतंत्रीय, संधीय संसदीय
गणतंत्रीय, एकात्मक, अध्यक्षात्मक

97 राजनैतिक सिद्धांत जो नागरिकों के व्यक्तिगत जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप करे उसे क्या कहते हैं। (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-32 प्रश्न-10

लेससफेयर
युटलीटेरियनिज्म
व्यक्तिवाद
इंटरप्रेन्योरशिप

98 फॉसीवाद का जंम कहां हुआ था- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-41 प्रश्न-10

चीन
जापान
इटली
जर्मनी

99 इनमें से कौन संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख अंग नहीं हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-10

सेक्युरिटी काउंसिल
ट्रस्टीशिप काउंसिल
यूनेस्को
सेक्रेटेरिएट

100 लोक प्रशासन पर न्यायालय के नियंत्रण की दशा कौन-सी है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-11

अधिकार क्षेत्र का अभाव
विवेक का अनुचित प्रयोग
प्रक्रिया संबंधी त्रुटि
उपर्युक्त सभी