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{संयुक्त राष्ट्र संघ का कौन-सा विशिष्ट अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-8 | {संयुक्त राष्ट्र संघ का कौन-सा विशिष्ट अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-8 | ||
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-विश्व स्वास्थ्य संगठन ( | -[[विश्व स्वास्थ्य संगठन]] (W.H.O.) | ||
-अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( | -अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (I.M.F.) | ||
+अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ( | +अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (I.C.J.) | ||
-अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक विकास संगठन ( | -अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक विकास संगठन (U.N.I.D.O.) | ||
||अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ( | ||अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (I.C.J.) संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख 6 अंगों में एक है। इसके प्रमुख 6 अंग हैं- महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, न्याय परिषद तथा सचिवालय। शेष संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण हैं। विशिष्ट अभिकरण 6 प्रमुख अंगों से अलग हैं। | ||
{लोक प्रशासन का संबंध किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-9 | {लोक प्रशासन का संबंध किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-राजनीति | -राजनीति | ||
-अर्थशास्त्र | -अर्थशास्त्र | ||
-मनोविज्ञान | -मनोविज्ञान | ||
+इनमें से कोई नहीं | +इनमें से कोई नहीं | ||
||1970 के बाद लोक प्रशासन का | ||[[1970]] के बाद लोक प्रशासन का अंतर्विषयक दृष्टिकोण उभर कर आया। [[राजनीतिशास्त्र]], [[अर्थशास्त्र]], [[मनोविज्ञान]], समाजशास्त्र, प्रबंधशास्त्र के साथ लोक प्रशासन के गहरे संबंध स्थापित हुए। अब प्रशासन की गतिशीलता तथा तत्कालीन मुद्दों पर विशेष रूप से विचार किया जा रहा है। | ||
{किसने कहा 'सर्वहारा की तानाशाही मार्क्स के सिद्धांत का सार है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-9 | {किसने कहा 'सर्वहारा की तानाशाही [[कार्ल मार्क्स]] के सिद्धांत का सार है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-9 | ||
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-ऐंजिल्स | |||
+लेनिन | |||
-स्टालिन | |||
-लास्की | |||
||लेनिन ने 'सर्वहारा की तानाशाही या अधिनायकवाद को मार्क्सवाद का सार' माना है। लेनिन के अनुसार, समाजवादी क्रांति से सर्वहारा का अधिनायकत्व स्थापित होगा। यह व्यवस्था उत्पादन के प्रमुख साधनों को सामाजिक स्वामित्व में रखेगी और अपनी सारी शक्ति तथा राज्य के सब संसाधनों का प्रयोग इस तरह करेगी जिससे पूंजीवाद के अवशेषों को मिटाया जा सके, प्रतिक्रांतिकारी शक्तियों को कुचला जा सके और सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए श्रम की अनिवार्यता बनाकर प्रौद्योगिकी को इतना उन्नत किया जा सके कि श्रम की उत्पादन क्षमता को उच्चतम स्तर तक पहुंचाया जा सके। | ||लेनिन ने 'सर्वहारा की तानाशाही या अधिनायकवाद को मार्क्सवाद का सार' माना है। लेनिन के अनुसार, समाजवादी क्रांति से सर्वहारा का अधिनायकत्व स्थापित होगा। यह व्यवस्था उत्पादन के प्रमुख साधनों को सामाजिक स्वामित्व में रखेगी और अपनी सारी शक्ति तथा राज्य के सब संसाधनों का प्रयोग इस तरह करेगी जिससे पूंजीवाद के अवशेषों को मिटाया जा सके, प्रतिक्रांतिकारी शक्तियों को कुचला जा सके और सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए श्रम की अनिवार्यता बनाकर प्रौद्योगिकी को इतना उन्नत किया जा सके कि श्रम की उत्पादन क्षमता को उच्चतम स्तर तक पहुंचाया जा सके। | ||
{कांग्रेस के किस अधिवेशन में नेहरू की प्रेरणा से समाज के समाजवादी ढांचे का प्रस्ताव पारित हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-9 | {[[कांग्रेस]] के किस अधिवेशन में [[जवाहरलाल नेहरू]] की प्रेरणा से समाज के समाजवादी ढांचे का प्रस्ताव पारित हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-9 | ||
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-नागपुर अधिवेशन, 1942 | -नागपुर अधिवेशन, [[1942]] | ||
-रामपुर अधिवेशन, 1962 | -रामपुर अधिवेशन, [[1962]] | ||
-हरिपुरा अधिवेशन, 1960 | -हरिपुरा अधिवेशन, [[1960]] | ||
+अवाडी अधिवेशन, 1955 | +अवाडी अधिवेशन, [[1955]] | ||
||कांग्रेस के | ||[[कांग्रेस]] के अवाडी अधिवेशन, [[1955]] में [[जवाहरलाल नेहरू]] की प्रेरणा से समाज के समाजवादी ढांचे का प्रस्ताव पारित हुआ। इस अधिवेशन के अध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू थे। | ||
{'स्वतंत्र नियामकीय | {'स्वतंत्र नियामकीय आयोग' का आविर्भाव कहाँ हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-109 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-जापान | -[[जापान]] | ||
-जर्मनी | -[[जर्मनी]] | ||
+अमेरिका | +[[अमेरिका]] | ||
-इंग्लैंड | -[[इंग्लैंड]] | ||
||'स्वतंत्र नियामकीय आयोगों' का आविर्भाव संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। इन्हें 'सरकार की शीर्षकविहीन चौथी शाखा' भी कहा कहा गया है। | ||'स्वतंत्र नियामकीय आयोगों' का आविर्भाव [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में हुआ। इन्हें 'सरकार की शीर्षकविहीन चौथी शाखा' भी कहा कहा गया है। | ||
{' | {'[[राजनीतिशास्त्र]] का पिता' किसे कहा जाता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-गार्नर | -गार्नर | ||
-ग्रीन | -ग्रीन | ||
+अरस्तू | +[[अरस्तू]] | ||
-प्लेटो | -[[प्लेटो]] | ||
|| | ||[[अरस्तू]] राजनीति शास्त्र के जनक माने जाते हैं। अरस्तू ने ही राजनीति शास्त्र को व्यवस्थित अध्ययन विषय के रूप में नीति शास्त्र से अलग किया। अरस्तू ने राजनीति को सर्वोच्च विज्ञान की संज्ञा दी। | ||
{सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार-(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-18 प्रश्न-9 | {सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार-(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-18 प्रश्न-9 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-राज्य एक नैतिक संस्था है। | -[[राज्य]] एक नैतिक संस्था है। | ||
+राज्य एक मानवकृत संस्था है। | +राज्य एक मानवकृत संस्था है। | ||
-राज्य प्राकृतिक एवं आवश्यक है। | -राज्य प्राकृतिक एवं आवश्यक है। | ||
-राज्य के प्रकृति सावयवी है। | -राज्य के प्रकृति सावयवी है। | ||
||सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार, राज्य एक मानवकृत संस्था है। | ||सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार, राज्य एक मानवकृत संस्था है। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1.सामाजिक संविदा सिद्धांत में यह कल्पना की गई है कि राज्य का निर्माण सब मनुष्यों ने मिलकर सबके हितों की पूर्ति हेतु किया है। यह सिद्धांत उदारवाद एवं यंत्रीय सिद्धांत के साथ निकट से जुड़ा है। 2.इस सिद्धांत के प्रमुख समर्थक थामस हॉब्स, जान लॉक एवं रूसो हैं। | ||
अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य | |||
1.सामाजिक संविदा सिद्धांत में यह कल्पना की गई है कि राज्य का निर्माण सब मनुष्यों ने मिलकर सबके हितों की पूर्ति हेतु किया है। यह सिद्धांत उदारवाद एवं यंत्रीय सिद्धांत के साथ निकट से जुड़ा | |||
{राजनीतिक विकास का साधन है: (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-93 प्रश्न-9 | {राजनीतिक विकास का साधन है: (नागरिक शिक्षा,पृ.सं-93 प्रश्न-9 | ||
पंक्ति 778: | पंक्ति 779: | ||
-फ्रांस | -फ्रांस | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
|| | ||'स्वतंत्र नियामकीय आयोगों' का आविर्भाव [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में हुआ। इन्हें 'सरकार की शीर्षकविहीन चौथी शाखा' भी कहा कहा गया है। | ||
{किसने कहा कि "निश्चित भू-भाग राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6 प्रश्न-10 | {किसने कहा कि "निश्चित भू-भाग राज्य का आवश्यक तत्त्व नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-6 प्रश्न-10 |
13:03, 27 दिसम्बर 2016 का अवतरण
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