"पहेली 26 जनवरी 2017": अवतरणों में अंतर

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||[[चित्र:Kavi-Pradeep-1.jpg|100px|right|border|कवि प्रदीप]]'प्रदीप' [[हिन्दी साहित्य]] जगत और [[हिन्दी]] फ़िल्म जगत के एक अति सुदृढ़ रचनाकार थे। वे '[[ऐ मेरे वतन के लोगों]]' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। [[कवि प्रदीप]] ने [[1962]] के '[[भारत-चीन युद्ध (1962)|भारत-चीन युद्ध]]' के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित स्वर कोकिला [[लता मंगेशकर]] द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] की उपस्थिति में [[26 जनवरी]], [[1963]] को [[दिल्ली]] के रामलीला मैदान से सीधा प्रसारण किया गया था। यूँ तो कवि प्रदीप ने प्रेम के हर रूप और हर [[रस]] को शब्दों में उतारा, लेकिन [[वीर रस]] और देश भक्ति के उनके गीतों की बात ही कुछ अनोखी थी। वर्ष [[1940]] में, जब [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] अपने चरम पर था। देश को स्वतंत्र कराने के लिय छिड़ी मुहिम में कवि प्रदीप भी इसमें शामिल हो गए थे और इसके लिये उन्होंने अपनी कविताओं का सहारा लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कवि प्रदीप]]
||[[चित्र:Kavi-Pradeep-1.jpg|100px|right|border|कवि प्रदीप]]'प्रदीप' [[हिन्दी साहित्य]] जगत् और [[हिन्दी]] फ़िल्म जगत् के एक अति सुदृढ़ रचनाकार थे। वे '[[ऐ मेरे वतन के लोगों]]' सरीखे देशभक्ति गीतों के लिए जाने जाते हैं। [[कवि प्रदीप]] ने [[1962]] के '[[भारत-चीन युद्ध (1962)|भारत-चीन युद्ध]]' के दौरान शहीद हुए सैनिकों की श्रद्धांजलि में ये गीत लिखा था। '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित स्वर कोकिला [[लता मंगेशकर]] द्वारा गाए इस गीत का तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] की उपस्थिति में [[26 जनवरी]], [[1963]] को [[दिल्ली]] के रामलीला मैदान से सीधा प्रसारण किया गया था। यूँ तो कवि प्रदीप ने प्रेम के हर रूप और हर [[रस]] को शब्दों में उतारा, लेकिन [[वीर रस]] और देश भक्ति के उनके गीतों की बात ही कुछ अनोखी थी। वर्ष [[1940]] में, जब [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] अपने चरम पर था। देश को स्वतंत्र कराने के लिय छिड़ी मुहिम में कवि प्रदीप भी इसमें शामिल हो गए थे और इसके लिये उन्होंने अपनी कविताओं का सहारा लिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कवि प्रदीप]]
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13:57, 30 जून 2017 के समय का अवतरण