"भारती मुखर्जी": अवतरणों में अंतर
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भारती मुखर्जी का जन्म 27 जुलाई, सन 1940 को [[भारत]] में [[पश्चिम बंगाल]] के कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) शहर में हुआ था। उन्होंने भारत समेत [[इंग्लैंड]] और स्विट्जरलैंड में स्कूली शिक्षा हासिल की और [[अमरीका]] में रचनात्मक लेखन में एडवांस उपाधि ली। वह एक दशक से भी अधिक समय तक कनाडा में रहीं और बिगड़ते हुए सांस्कृतिक मूल्यों की आधुनिक सच्चाईयों का सामना करते हुए उसकी तस्वीर अपने लेखन में उभारी।<ref>{{cite web |url=http://www.amarujala.com/world/america/writer-bharati-mukherjee-dies |title=प्रवासियों की जिंदगी गढ़ने वाली लेखिका भारती मुखर्जी नहीं रहीं |accessmonthday=3 फ़रवरी|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=amarujala.com |language=हिंदी }}</ref> | भारती मुखर्जी का जन्म 27 जुलाई, सन 1940 को [[भारत]] में [[पश्चिम बंगाल]] के कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) शहर में हुआ था। उन्होंने भारत समेत [[इंग्लैंड]] और स्विट्जरलैंड में स्कूली शिक्षा हासिल की और [[अमरीका]] में रचनात्मक लेखन में एडवांस उपाधि ली। वह एक दशक से भी अधिक समय तक कनाडा में रहीं और बिगड़ते हुए सांस्कृतिक मूल्यों की आधुनिक सच्चाईयों का सामना करते हुए उसकी तस्वीर अपने लेखन में उभारी।<ref>{{cite web |url=http://www.amarujala.com/world/america/writer-bharati-mukherjee-dies |title=प्रवासियों की जिंदगी गढ़ने वाली लेखिका भारती मुखर्जी नहीं रहीं |accessmonthday=3 फ़रवरी|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=amarujala.com |language=हिंदी }}</ref> | ||
==वर्ण्य विषय== | ==वर्ण्य विषय== | ||
भारती मुखर्जी ने पूरी दुनिया में प्रवासियों की आवाज़ और समस्याओं को पुरजोर आवाज़ दी थी। उनके लेखक पति क्लार्क ब्लेज के अनुसार- "भारती मुखर्जी गठिया और तनाव से उपजे हृदय रोग से पीड़ित थीं।" भारती ने अपनी [[आत्मकथा]] में लिखा है कि- "'प्रवासियों की कथा' इस सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा [[महाकाव्य]] है।" उनके अधिकांश उपन्यास और कहानियों में युवा महिलाओं को पुरुष प्रधान संस्कृति में दर्द के साथ गढ़ा गया है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में महिला चरित्र अक्सर यह सवाल करते हैं कि - "मैं कौन हूँ"। | भारती मुखर्जी ने पूरी दुनिया में प्रवासियों की आवाज़ और समस्याओं को पुरजोर आवाज़ दी थी। उनके लेखक पति क्लार्क ब्लेज के अनुसार- "भारती मुखर्जी गठिया और तनाव से उपजे हृदय रोग से पीड़ित थीं।" भारती ने अपनी [[आत्मकथा]] में लिखा है कि- "'प्रवासियों की कथा' इस सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा [[महाकाव्य]] है।" उनके अधिकांश उपन्यास और कहानियों में युवा महिलाओं को पुरुष प्रधान संस्कृति में दर्द के साथ गढ़ा गया है। उनकी [[कहानी|कहानियों]] और [[उपन्यास|उपन्यासों]] में महिला चरित्र अक्सर यह सवाल करते हैं कि - "मैं कौन हूँ"। | ||
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08:42, 27 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
भारती मुखर्जी
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पूरा नाम | भारती मुखर्जी |
जन्म | 27 जुलाई, 1940 |
जन्म भूमि | कोलकाता, पश्चिम बंगाल |
मृत्यु | 28 जनवरी, 2017 |
मृत्यु स्थान | मेनहैटन, यूनाइटेड स्टेट्स |
पति/पत्नी | क्लार्क ब्लेज |
कर्म-क्षेत्र | लेखन |
मुख्य रचनाएँ | 'दि टाइगर्स डॉटर', 'वाइफ', 'डार्कनेस', 'दि होल्डर ऑफ द वर्ल्ड', 'डिजायरेबल डॉटर्स', 'दि ट्री ब्राइड' और 'मिस न्यू इंडिया'। |
प्रसिद्धि | उपन्यासकार, कहानीकार |
नागरिकता | भारतीय, यूनाइटेड स्टेट्स, कनाडा |
अन्य जानकारी | भारती मुखर्जी ने पूरी दुनिया में प्रवासियों की आवाज़ और समस्याओं को पुरजोर आवाज़ दी थी। उनके अधिकांश उपन्यास और कहानियों में युवा महिलाओं को पुरुष प्रधान संस्कृति में दर्द के साथ गढ़ा गया है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
भारती मुखर्जी (अंग्रेज़ी: Bharati Mukherjee, जन्म- 27 जुलाई, 1940, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 28 जनवरी, 2017, मेनहैटन, यूनाइटेड स्टेट्स) भारतीय मूल की प्रसिद्ध लेखिका थीं, जिन्होंने अमरीका में कई पुरस्कार जीते थे। उन्होंने प्रवासियों के आंतरिक सांस्कृतिक टकराव पर कई कहानियां लिखीं, जिनमें से ‘द मिडिलमैन’ को अमरीका का शीर्ष साहित्यिक अवॉर्ड मिला। भारती मुखर्जी द्वारा लिखे गए ‘जैस्मिन’ उपन्यास को पूरे विश्व में सबसे अधिक सराहा गया और इसे पुरस्कार भी मिले।
परिचय
भारती मुखर्जी का जन्म 27 जुलाई, सन 1940 को भारत में पश्चिम बंगाल के कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) शहर में हुआ था। उन्होंने भारत समेत इंग्लैंड और स्विट्जरलैंड में स्कूली शिक्षा हासिल की और अमरीका में रचनात्मक लेखन में एडवांस उपाधि ली। वह एक दशक से भी अधिक समय तक कनाडा में रहीं और बिगड़ते हुए सांस्कृतिक मूल्यों की आधुनिक सच्चाईयों का सामना करते हुए उसकी तस्वीर अपने लेखन में उभारी।[1]
वर्ण्य विषय
भारती मुखर्जी ने पूरी दुनिया में प्रवासियों की आवाज़ और समस्याओं को पुरजोर आवाज़ दी थी। उनके लेखक पति क्लार्क ब्लेज के अनुसार- "भारती मुखर्जी गठिया और तनाव से उपजे हृदय रोग से पीड़ित थीं।" भारती ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि- "'प्रवासियों की कथा' इस सहस्त्राब्दी का सबसे बड़ा महाकाव्य है।" उनके अधिकांश उपन्यास और कहानियों में युवा महिलाओं को पुरुष प्रधान संस्कृति में दर्द के साथ गढ़ा गया है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में महिला चरित्र अक्सर यह सवाल करते हैं कि - "मैं कौन हूँ"।
पुरस्कृत रचनाएँ
- दि टाइगर्स डॉटर (1972)
- वाइफ (1975)
- डार्कनेस (1985)
- दि होल्डर ऑफ द वर्ल्ड (1993)
- डिजायरेबल डॉटर्स (2002)
- दि ट्री ब्राइड (2004)
- मिस न्यू इंडिया (2011)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रवासियों की जिंदगी गढ़ने वाली लेखिका भारती मुखर्जी नहीं रहीं (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 3 फ़रवरी, 2017।
संबंधित लेख
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