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{{सूचना बक्सा साहित्यकार
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'''बाबा बुल्ले शाह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bulleh Shah'', जन्म- 1680, गिलानियाँ उच्च, [[पाकिस्तान]]; मृत्यु- 1758) पंजाबी सूफ़ी काव्य के आसमान पर एक चमकते सितारे की तरह थे। उनकी काव्य रचना उस समय की हर किस्म की धार्मिक कट्टरता और गिरते सामाजिक किरदार पर एक तीखा व्यंग्य है। बाबा बुल्ले शाह ने बहुत बहादुरी के साथ अपने समय के हाकिमों के ज़ुल्मों और धार्मिक कट्टरता विरुद्ध आवाज़ उठाई। बाबा बुल्ले शाह जी की कविताओं में काफ़ियां, दोहड़े, बारांमाह, अठवारा, गंढां और सीहरफ़ियां शामिल हैं । उनका मूल नाम अब्दुल्ला शाह था। आगे चलकर उनका नाम बुल्ला शाह या बुल्ले शाह हो गया। प्यार से लोग उन्हें साईं बुल्ले शाह या बाबा बुल्ला भी कहते हैं। वह इस्लाम के अंतिम नबी मुहम्मद की पुत्री फ़ातिमा के वंशजों में से थे।<ref name="a">{{cite web |url=http://www.hindi-kavita.com/HindiBaba-Bullhe-Bulleh-Shah.php |title=
'''अब्‍दुल रशीद सलीम सलमान ख़ान उर्फ सलमान ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Salman Khan'' जन्म- [[27 दिसम्बर]], [[1965]], [[इंदौर]], [[मध्य प्रदेश]]) [[हिन्‍दी]] फ़िल्‍मों के मशहूर [[अभिनेता]] तो हैं हीं, इसके साथ-साथ वे निर्माता, टेलीविजन पर्सनालिटी और समाजसेवी भी हैं। उन्‍होंने अपने कॅरियर में कई छोटी-बड़ी फ़िल्‍मों में काम किया और धीरे धीरे उनके प्रशंसकों की संख्‍या लगातार बढ़ती गई। उन्‍होंने फ़िल्म इंडस्‍ट्री में अपना एक अलग मुकाम स्‍थापित किया है और वे [[हिंदी सिनेमा]] के अग्रणी अभिनेताओं में से एक हैं। मौजूदा समय में उन‍के चाहने वालों का ये आलम है कि उनके घर (गैलक्‍सी अपार्टमेंट्स) के बाहर उनकी भीड़ लगी रहती है। उनके फैंस की दीवानगी कुछ ऐसी है कि उनकी एक झलक पाने के लिए उनके प्रशंसक बेताब रहते हैं। कई बार तो ऐसा हुआ है कि उनको अपने फैंस से काफी दिक्‍कतों का भी सामना करना पड़ा है। टाइम्स सेलेबेक्‍स बॉलीवुड ऐक्‍टर्स इंडेक्‍स रेटिंग में वे बराबर टॉप पर रहते हैं। लोग उन्‍हें प्‍यार से सल्‍लू भाई, भाईजान आदि नामों से पुकारते हैं।
हिन्दी कविता, बाबा बुल्ले शाह |accessmonthday= 16 फ़रवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.hindi-kavita.com |language=हिंदी }}</ref>
==परिचय==
==परिचय==
बुल्ले शाह का जन्म 1680 गिलानियाँ उच्च, [[पाकिस्तान]] में हुआ था। उनके जीवन से सम्बन्धित विद्वानों में मतभेद हैं। बुल्ले शाह के माता-पिता पुश्तैनी रूप से वर्तमान पाकिस्तान में स्थित बहावलपुर राज्य के "गिलानियाँ उच्च" नामक [[गाँव]] से थे, जहाँ से वे किसी कारण से मलकवाल गाँव (ज़िला मुलतान) गए। मालकवल में पंडोक नामक गाँव के मालिक अपने गाँव की मस्जिद के लिये मौलवी ढूँढते आए। इस कार्य के लिये उन्होंने बुल्ले शाह के पिता शाह मुहम्मद दरवेश को चुना और बुल्ले शाह के माता-पिता पाँडोके (वर्तमान नाम पाँडोके भट्टीयाँ) चले गए। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बुल्ले शाह का जन्म पाँडोके में हुआ था और कुछ का मानना है कि उनका जन्म उच्च गिलानियाँ में हुआ था और उन्होंने अपने जीवन के पहले छः [[महीना|महीने]] वहीं बिताए थे। बुल्ले शाह के दादा सय्यद अब्दुर रज्ज़ाक़ थे और वे सय्यद जलाल-उद-दीन बुख़ारी के वंशज थे। सय्यद जलाल-उद-दीन बुख़ारी बुल्ले शाह के जन्म से तीन सौ साल पहले सु़र्ख़ बुख़ारा नामक जगह से आकर मुलतान में बसे थे। बुल्ले शाह [[मुहम्मद|हज़रत मुहम्मद]] साहिब की पुत्री फ़ातिमा के वंशजों में से थे। उनके पिता शाह मुहम्मद थे जिन्हें [[अरबी भाषा|अरबी]], [[फारसी भाषा|फारसी]] और [[क़ुरआन|क़ुरआन शरीफ]] का अच्छा ज्ञान था। उनके पिता के नेक जीवन का प्रभाव बुल्ले शाह पर भी पड़ा। उनकी उच्च शिक्षा कसूर में ही हुई। उनके उस्ताद हज़रत ख़्वाजा ग़ुलाम मुर्तज़ा सरीखे ख्यातनामा थे। पंजाबी कवि वारिस शाह ने भी ख़्वाजा ग़ुलाम मुर्तज़ा से ही शिक्षा ली थी। अरबी, फारसी के विद्वान होने के साथ-साथ आपने इस्लामी और सूफी धर्म ग्रंथो का भी गहरा अध्ययन किया।
सलमान ख़ान का जन्‍म [[27 दिसम्बर]], [[1965]] को [[इंदौर]], [[मध्‍य प्रदेश]] में हुआ था। उनके पिता का नाम सलीम ख़ान है, जो कि मशहूर फ़िल्‍म लेखक रहे हैं। उनकी मां का नाम सुशीला चरक है। उनके पिता [[जम्मू कश्मीर]] से हैं और उनकी मां महाराष्ट्रीयन हैं। पूर्व अभिनेत्री हेलेन उनकी सौतेली मां हैं। उनके दो भाई भी हैं जिनका नाम अरबाज ख़ान और सोहेल ख़ान है। अरबाज की शादी पूर्व में वीजे रहीं और अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा ख़ान से हुई है। सलमान की दो बहनें भी हैं जिनका नाम अलवीरा और अर्पिता है।
==धार्मिक प्रवत्ति==
====शिक्षा====
बुल्ले शाह धार्मिक प्रवत्ति के थे। उन्होंने सूफी धर्म ग्रंथों का भी गहरा अध्ययन किया था। साधना से बुल्ले ने इतनी ताकत हासिल कर ली कि अधपके फलों को पेड़ से बिना छुए गिरा दे। पर बुल्ले को तलाश थी इक ऐसे मुरशद की जो उसे खुदा से मिला दे। उस दिन शाह इनायत अराईं (छोटी मुसलिम जात) के बाग के पास से गुज़रते हुए, बुल्ले की नज़र उन पर पड़ी। उसे लगा शायद मुरशद की तलाश पूरी हुई। मुरशद को आज़माने के लिए बुल्ले ने अपनी गैबी ताकत से आम गिरा दिए। शाह इनायत ने कहा, नौजवान तुमने चोरी की है। बुल्ले ने चतुराई दिखाई, ना छुआ ना पत्थर मारा कैसी चोरी? शाह इनायत ने इनायत भरी नजऱों से देखा, हर सवाल लाजवाब हो गया। बुल्ला पैरों पर नतमस्तक हो गया। झोली फैला खैर मांगी मुरशद मुझे खुदा से मिला दे। मुरशद ने कहा, मुश्किल नहीं है, बस खुद को भुला दे। फिर क्या था बुल्ला मुरशद का मुरीद हो गया, लेकिन अभी इम्तिहान बाकी थे। पहला इम्तिहान तो घर से ही शुरू हुआ। सैय्यदों का बेटा अराईं का मुरीद हो, तो तथाकथित समाज में मौलाना की इज्ज़त खाक में मिल जाएगी। पर बुल्ला कहां जाति को जानता है। कहां पहनचानता है समाज के मजहबों वाले मुखौटे। परीवारीजनों द्वारा उन्हें समझाने का बहुत यत्न किया परन्तु बुल्ले शाह जी अपने निर्णय से टस से मस न हुए। परिवारीजनों के साथ हुई तकरार का ज़िक्र उन्होंने अपनी कविताओं में भी किया है। उनकी बहनें-भाभीयां जब समझाती हैं-
सलमान ख़ान की पढ़ाई सिंधिया स्‍कूल, [[ग्वालियर]] से हुई, जहां वे अपने भाई अरबाज ख़ान के साथ पढ़ते थे। इसके बाद की पढ़ाई उन्‍होंने [[मुम्बई]] के बांद्रा इलाके में स्थित सेंटस्‍टैनिसलॉस हाईस्‍कूल से की।
<blockquote><poem>बुल्ले नू समझावण आइयां भैणां ते भरजाइयां
==फ़िल्मी कॅरियर==
बुल्ले तूं की लीकां लाइयां छड्ड दे पल्ला अराइयां</poem>
सलमान ख़ान ने अपने अभिनय कॅरियर की शुरुआत [[1988]] में सहायक अभिनेता के तौर पर फ़िल्‍म 'बीवी हो तो ऐसी' से की थी। [[1989]] में मुख्‍य अभिनेता के तौर पर उनकी पहली फ़िल्‍म 'मैंने प्‍यार किया' थी जो कि सुपरहिट रही थी। यह फ़िल्म [[भारत]] की सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्मों में से एक बन गई। इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ नए अभिनेता का पुरस्कार मिला व फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार के लिए नामांकन भी प्राप्त हुआ। उनकी फ़िल्‍म 'हम आपके हैं कौन' ने सभी का दिल जीता तो वहीं फ़िल्‍म 'तेरे नाम' में उनके अभिनय की काफी प्रशंसा हुई और अपने अभिनय से उन्‍होंने सभी को भावुक कर दिया था। इसके बाद उन्‍होंने कई फ़िल्‍मों में काम किया, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उनके प्रशंसकों में इसलिए भी इजाफा हुआ क्‍योंकि उन्‍हें एक्‍शन फ़िल्‍मों में ज्‍यादा पसंद किया गया। फ़िल्‍म 'वांटेड' के बाद से उन्‍होंने लगातार हिट फ़िल्‍मों की झड़ी लगा दी है।
 
==प्रसिद्ध फ़िल्में==
तो बुल्ला गाता है-
सलमान ख़ान ने अब तक बहुत सी फ़िल्मों में काम किया है, जो इस प्रकार हैं-<br />
<poem>अलफ अल्हा नाल रत्ता दिल मेरा,
{| width="60%" class="bharattable-green"
मैंनू 'बे' दी खबर न काई
|-
 
! वर्ष !! फ़िल्म का नाम !! वर्ष !! फ़िल्म का नाम
'बे' पड़देयां मैंनू समझ न आवे,
|-
लज्जत अलफ दी आई
| [[1988]] || बीवी हो तो ऐसी || [[1989]] || मैंने प्यार किया
 
|-
ऐन ते गैन नू समझ न जाणां
| [[1990]] || बागी || [[1991]] || सनम बेवफा, पत्थर के फूल, कुर्बान, लव, साजन
गल्ल अलफ समझाई
|-
 
| [[1992]] || सूर्यवंशी, एक लड़का एक लड़की, जागृति, निश्चय || [[1993]] || चन्द्र मुखी, दिल तेरा आशिक
बुल्लेया कौल अलफ दे पूरे
|-
जेहड़े दिल दी करन सफाई</poem></blockquote>
| [[1994]] || अंदाज़ अपना अपना, हम आपके हैं कौन, चांद का टुकड़ा, संगदिल सनम || [[1995]] || करण अर्जुन, वीरगति
(जिसकी अल्फ यानि उस एक की समझ लग गई उसे आगे पढऩे की जरुरत ही नहीं। अल्फ उर्दू का पहला अक्षर है बुल्ले ने कहा है, जिसने अल्फ से दिल लगा लिया, फिर उसे बाकी अक्षर ऐन-गेन नहीं भाते)<ref>{{cite web |url=http://podcast.hindyugm.com/2009/02/bulle-shah-legandary-punjabi-poet-and.html |title=
|-
बुल्ला की जाणां मैं कौन? - बुल्ले शाह पर विशेष प्रस्तुति |accessmonthday= 17 फ़रवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=podcast.hindyugm.com |language=हिंदी }}</ref>
| [[1996]] || मझधार, खामोशी, जीत, दुश्मन दुनिया का || [[1997]] || दीवाना मस्ताना, दस, औज़ार, जुड़वां
==दंत कथाएं==
|-
जैसे सभी धार्मिक लोगों के साथ दंत-कथाएँ जुड़ जाती हैं, वैसे ही बुल्ले शाह जी के साथ भी कई ऐसी कथाएं जुड़ी हुई हैं। इन कथाओं का वैज्ञानिक आधार चाहे कुछ भी न हो परन्तु जन-मानस में उनका विशेष स्थान अवश्य रहता है।
| [[1998]] || प्यार किया तो डरना क्या, जब प्यार किसी से होता है, सर उठा के जियो, बंधन, कुछ कुछ होता है || [[1999]] || जानम समझा करो, बीवी नं. 1, सिर्फ तुम, हम साथ साथ हैं, हैलो ब्रदर, हम दिल दे चुके सनम
====बुल्ले शाह और उनके गुरु====
|-
1. बुल्ले शाह व उनके गुरु के सम्बन्धों को लेकर बहुत सी बातें प्रचलित हैं, बुल्ले शाह जब गुरु की तलाश में थे; वह इनायत जी के पास बगीचे में पहुँचे, वे अपने कार्य में व्यस्त थे; जिसके कारण उन्हें बुल्ले शाह जी के आने का पता न लगा; बुल्ले शाह ने अपने आध्यात्मिक अभ्यास की शक्ति से परमात्मा का नाम लेकर [[आम|आमों]] की ओर देखा तो पेड़ों से आम गिरने लगे; गुरु जी ने पूछा, "क्या यह आम अपने तोड़े हैं?" बुल्ले शाह ने कहा “न तो मैं पेड़ पर चढ़ा और न ही पत्थर फैंके, भला मैं कैसे आम तोड़ सकता हूँ;” बुल्ले शाह को गुरु जी ने ऊपर से नीचे तक देखा और कहा, "अरे तू चोर भी है और चतुर भी;" बुल्ला गुरु जी के
| [[2000]] || दुल्हन हम ले जाएंगे, चल मेरे भाई, हर दिल जो प्यार करेगा, ढाई अक्षर प्रेम के, कहीं प्यार ना हो जाए || [[2001]] || चोरी चोरी चुपके चुपके
चरणों में पड़ गया; बुल्ले ने अपना नाम बताया और कहा मैं रब को पाना चाहता हूँ। साईं जी उस समय पनीरी क्यारी से उखाड़ कर खेत में लगा रहे थे। उन्होंने कहा, "बुल्लिहआ रब दा की पौणा। एधरों पुटणा ते ओधर लाउणा" इन सीधे-सादे शब्दों में गुरु ने रूहानियत का सार समझा दिया कि मन को संसार की तरफ से हटाकर परमात्मा की ओर मोड़ देने से रब मिल जाता है। बुल्ले शाह ने यह प्रथम दीक्षा गांठ बांध ली।
|-
 
| [[2002]] || तुमको ना भूल पाएंगे, हम तुम्हारे हैं सनम, ये है जलवा || [[2003]] || तेरे नाम, बागबान
2. कहते हैं कि एक बार बुल्ले शाह जी की इच्छा हुई कि मदीना शरीफ की जियारत को जाएँ। उन्होंने अपनी इच्छा गुरु जी को बताई। इनायत शाह जी ने वहाँ जाने का कारण पूछा। बुल्ले शाह ने कहा कि "वहाँ हज़रत मुहम्मद का रोजा शरीफ है और स्वयं रसूल अल्ला ने फ़रमाया है कि जिसने मेरी कब्र की जियारत की, गोया उसने मुझे जीवित देख लिया।" गुरु जी ने कहा कि इसका जवाब मैं तीन दिन बाद दूँगा। बुल्ले शाह ने अपने [[मदीना|मदीने]] की रवानगी स्थगित कर दी। तीसरे दिन बुल्ले शाह ने
|-
सपने में हज़रत रसूल के दर्शन किए। रसूल अल्ला ने बुल्ले शाह से कहा, "तेरा मुरशद कहाँ है? उसे बुला लाओ।" रसूल ने इनायत शाह को अपनी दाईं ओर बिठा लिया। बुल्ला नज़र झुकाकर खड़ा रहा। जब नज़र उठी तो बुल्ले को लगा कि रसूल और मुरशद की सूरत बिल्कुल एक जैसी है। वह पहचान ही नहीं पाया कि दोनों में से रसूल कौन है और मुरशद कौन है।<ref name="a"/>
| [[2004]] || गर्व, मुझसे शादी करोगी, दिल ने जिसे अपना कहा || [[2005]] || लकी, मैंने प्यार क्यों किया?, नो एन्ट्री, क्यों की
==साहित्यिक देन==
|-
बुल्ले शाह जी ने पंजाबी [[मुहावरा|मुहावरे]] में अपने आपको अभिव्यक्त किया। जबकि अन्य हिन्दी और सधुक्कड़ी भाषा में अपना संदेश देते थे। पंजाबी सूफियों ने न केवल ठेठ पंजाबी भाषा की छवि को बनाए रखा बल्कि उन्होंने पंजाबियत व लोक संस्कृति को सुरक्षित रखा। बुल्ले शाह ने अपने विचारों व भावों को काफियों के रूप में व्यक्त किया है। काफी भक्तों के पदों से मिलता जुलता काव्य रूप है। काफिया भक्तों के भावों को गेय रूप में प्रस्तुत करती हैं इसलिए इनमे बहुत-से रागों की बंदिश मिलती है। जन साधारण भी सूफी दरवेशों के तकियों पर जमा होते थे और मिल कर भक्ति में विभोर होकर काफियां गाते थे। काफियों की भाषा बहुत सादी व आम लोगों के समझने योग्य हैं। बुल्ले शाह लोक दिल पर इस तरह राज कर रहे थे कि उन्होंने बुल्ले शाह की रचनाओं को अपना ही समझ लिया। वह बुल्ले शाह की काफियों को इस तरह गाते थे जैसे वह स्वयं ही इसके रचयिता हों। इनकी काफियों में [[अरबी भाषा|अरबी]], [[फारसी भाषा|फारसी]] के शब्द और इस्लामी धर्म ग्रंथो के मुहावरे भी मिलते हैं। लेकिन कुल मिलाकर उसमे स्थानीय भाषा, मुहावरे और सदाचार का रंग ही प्रधान है।<ref>{{cite web |url=http://superzindagi.in/bulle-shah-%E0%A4%AC%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%B9/|title= बुल्ले शाह |accessmonthday= 17 फ़रवरी|accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=superzindagi.in |language=हिंदी }}</ref>
| [[2006]] || सावन, शादी करके फंस गया यार, बाबुल || [[2007]] || सलाम-ए-इश्क़, पार्टनर,
==निधन==
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विद्वानों के द्वारा बुल्ले शाह का निधन 1758 में माना जाता हैं परंतु कुछ विद्वान इनकी मृत्यु 1759 भी मानते हैं।
| [[2008]] ||गोड तुसी ग्रेट हो, हैलो, हीरोज || [[2009]] || मैं और मिसेज खन्ना, वांटेड, लंदन ड्रीम्स
 
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| [[2010]] || वीर || [[2011]] || दबंग
 
|-
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
| [[2014]] || दबंग 2, किक || [[2015]] || बजरंगी भाईजान
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
|-
<references/>
| [[2016]] || सुल्तान|| ||
==संबंधित लेख==
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{{भारत के कवि}}
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13:06, 21 फ़रवरी 2017 का अवतरण

रिंकू4
सलमान ख़ान
सलमान ख़ान
पूरा नाम अब्‍दुल रशीद सलीम सलमान ख़ान
अन्य नाम सल्‍लू भाई, भाईजान
जन्म 27 दिसम्बर, 1965
जन्म भूमि इंदौर, मध्य प्रदेश
अभिभावक सलीम ख़ान, सुशीला चरक
कर्म भूमि महाराष्ट्र
कर्म-क्षेत्र अभिनेता
विद्यालय सिंधिया स्‍कूल, ग्वालियर, सेंटस्‍टैनिसलॉस हाईस्‍कूल महाराष्ट्र
नागरिकता भारतीय
पहली फ़िल्म बीवी हो तो ऐसी
वर्तमान निवास गैलेक्सी अपार्टमेंट,

अब्‍दुल रशीद सलीम सलमान ख़ान उर्फ सलमान ख़ान (अंग्रेज़ी: Salman Khan जन्म- 27 दिसम्बर, 1965, इंदौर, मध्य प्रदेश) हिन्‍दी फ़िल्‍मों के मशहूर अभिनेता तो हैं हीं, इसके साथ-साथ वे निर्माता, टेलीविजन पर्सनालिटी और समाजसेवी भी हैं। उन्‍होंने अपने कॅरियर में कई छोटी-बड़ी फ़िल्‍मों में काम किया और धीरे धीरे उनके प्रशंसकों की संख्‍या लगातार बढ़ती गई। उन्‍होंने फ़िल्म इंडस्‍ट्री में अपना एक अलग मुकाम स्‍थापित किया है और वे हिंदी सिनेमा के अग्रणी अभिनेताओं में से एक हैं। मौजूदा समय में उन‍के चाहने वालों का ये आलम है कि उनके घर (गैलक्‍सी अपार्टमेंट्स) के बाहर उनकी भीड़ लगी रहती है। उनके फैंस की दीवानगी कुछ ऐसी है कि उनकी एक झलक पाने के लिए उनके प्रशंसक बेताब रहते हैं। कई बार तो ऐसा हुआ है कि उनको अपने फैंस से काफी दिक्‍कतों का भी सामना करना पड़ा है। टाइम्स सेलेबेक्‍स बॉलीवुड ऐक्‍टर्स इंडेक्‍स रेटिंग में वे बराबर टॉप पर रहते हैं। लोग उन्‍हें प्‍यार से सल्‍लू भाई, भाईजान आदि नामों से पुकारते हैं।

परिचय

सलमान ख़ान का जन्‍म 27 दिसम्बर, 1965 को इंदौर, मध्‍य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम सलीम ख़ान है, जो कि मशहूर फ़िल्‍म लेखक रहे हैं। उनकी मां का नाम सुशीला चरक है। उनके पिता जम्मू कश्मीर से हैं और उनकी मां महाराष्ट्रीयन हैं। पूर्व अभिनेत्री हेलेन उनकी सौतेली मां हैं। उनके दो भाई भी हैं जिनका नाम अरबाज ख़ान और सोहेल ख़ान है। अरबाज की शादी पूर्व में वीजे रहीं और अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा ख़ान से हुई है। सलमान की दो बहनें भी हैं जिनका नाम अलवीरा और अर्पिता है।

शिक्षा

सलमान ख़ान की पढ़ाई सिंधिया स्‍कूल, ग्वालियर से हुई, जहां वे अपने भाई अरबाज ख़ान के साथ पढ़ते थे। इसके बाद की पढ़ाई उन्‍होंने मुम्बई के बांद्रा इलाके में स्थित सेंटस्‍टैनिसलॉस हाईस्‍कूल से की।

फ़िल्मी कॅरियर

सलमान ख़ान ने अपने अभिनय कॅरियर की शुरुआत 1988 में सहायक अभिनेता के तौर पर फ़िल्‍म 'बीवी हो तो ऐसी' से की थी। 1989 में मुख्‍य अभिनेता के तौर पर उनकी पहली फ़िल्‍म 'मैंने प्‍यार किया' थी जो कि सुपरहिट रही थी। यह फ़िल्म भारत की सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्मों में से एक बन गई। इस फ़िल्म के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ नए अभिनेता का पुरस्कार मिला व फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार के लिए नामांकन भी प्राप्त हुआ। उनकी फ़िल्‍म 'हम आपके हैं कौन' ने सभी का दिल जीता तो वहीं फ़िल्‍म 'तेरे नाम' में उनके अभिनय की काफी प्रशंसा हुई और अपने अभिनय से उन्‍होंने सभी को भावुक कर दिया था। इसके बाद उन्‍होंने कई फ़िल्‍मों में काम किया, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उनके प्रशंसकों में इसलिए भी इजाफा हुआ क्‍योंकि उन्‍हें एक्‍शन फ़िल्‍मों में ज्‍यादा पसंद किया गया। फ़िल्‍म 'वांटेड' के बाद से उन्‍होंने लगातार हिट फ़िल्‍मों की झड़ी लगा दी है।

प्रसिद्ध फ़िल्में

सलमान ख़ान ने अब तक बहुत सी फ़िल्मों में काम किया है, जो इस प्रकार हैं-

वर्ष फ़िल्म का नाम वर्ष फ़िल्म का नाम
1988 बीवी हो तो ऐसी 1989 मैंने प्यार किया
1990 बागी 1991 सनम बेवफा, पत्थर के फूल, कुर्बान, लव, साजन
1992 सूर्यवंशी, एक लड़का एक लड़की, जागृति, निश्चय 1993 चन्द्र मुखी, दिल तेरा आशिक
1994 अंदाज़ अपना अपना, हम आपके हैं कौन, चांद का टुकड़ा, संगदिल सनम 1995 करण अर्जुन, वीरगति
1996 मझधार, खामोशी, जीत, दुश्मन दुनिया का 1997 दीवाना मस्ताना, दस, औज़ार, जुड़वां
1998 प्यार किया तो डरना क्या, जब प्यार किसी से होता है, सर उठा के जियो, बंधन, कुछ कुछ होता है 1999 जानम समझा करो, बीवी नं. 1, सिर्फ तुम, हम साथ साथ हैं, हैलो ब्रदर, हम दिल दे चुके सनम
2000 दुल्हन हम ले जाएंगे, चल मेरे भाई, हर दिल जो प्यार करेगा, ढाई अक्षर प्रेम के, कहीं प्यार ना हो जाए 2001 चोरी चोरी चुपके चुपके
2002 तुमको ना भूल पाएंगे, हम तुम्हारे हैं सनम, ये है जलवा 2003 तेरे नाम, बागबान
2004 गर्व, मुझसे शादी करोगी, दिल ने जिसे अपना कहा 2005 लकी, मैंने प्यार क्यों किया?, नो एन्ट्री, क्यों की
2006 सावन, शादी करके फंस गया यार, बाबुल 2007 सलाम-ए-इश्क़, पार्टनर,
2008 गोड तुसी ग्रेट हो, हैलो, हीरोज 2009 मैं और मिसेज खन्ना, वांटेड, लंदन ड्रीम्स
2010 वीर 2011 दबंग
2014 दबंग 2, किक 2015 बजरंगी भाईजान
2016 सुल्तान