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'''ब्रह्मबांधव उपाध्याय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Brahmabandhav Upadhyay'', जन्म- [[1 फ़रवरी]], [[1861]], [[कलकत्ता]], [[पश्चिम बंगाल]]; मृत्यु- [[27 अक्तूबर]], [[1907]]) भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, धर्मशास्त्री और रहस्यवादी थे। इन्होंने [[रवींद्रनाथ टैगोर|गुरूदेव श्री रवींद्रनाथ टैगोर]] की [[शांति निकेतन]] की स्थापना में सहयोग दिया।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/pish%20bangal%20%20krantikari.php#Bharmandhan%20Upadaya|title=ब्रह्मबांधव उपाध्याय|accessmonthday=4 मार्च|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref>
==जन्म==
ब्रह्मबांधव उपाध्याय का जन्म 1 फ़रवरी, 1861 को कलकत्ता (कोलकत्ता), पश्चिम बंगाल के निकट खन्नन में हुआ था।
==लेखक==
ब्रह्मबांधव उपाध्याय एक प्रकांड विद्वान थे जिनका [[हिंदी भाषा|हिंदी]], [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]], [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] और [[फारसी भाषा|फारसी भाषाओं]] पर असाधरण अधिकार था। वे पहले अध्याक थे। ब्रह्मबांधव उपाध्याय ने [[रवींद्रनाथ टैगोर|गुरूदेव श्री रवींद्रनाथ टैगोर]] की [[शांति निकेतन]] की स्थापना में सहयोग दिया।  भारतीय दर्शनशास्त्र पर [[इंग्लैंड]] में ब्रह्मबांधव उपाध्याय ने कई भाषण दिए। इन्होंने बाद के [[दिन|दिनों]] में कई पत्रों का संपादन किया और [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के विरूद्ध उत्तेजक लेख लिखे।
==मृत्यु==
[[3 सितंबर]], [[1907]] को ब्रह्मबांधव उपाध्याय गिरफ्तार हुए और अदालत में अपनी सारी जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। जब मुकदमा चल रहा था कि बिमारी के कारण [[27 अक्तूबर]], 1907 को देहावसान हो गया।
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'''हेमचंद्र बसु''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hemchandra Basu'') [[पश्चिम बंगाल]] के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे, जिनकी कई मामलों में पुलिस को तलाश थी।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/pish%20bangal%20%20krantikari.php#Hemchandra%20bshu|title=हेमचंद्र बसु|accessmonthday=10 मार्च|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref>
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==परिचय==
==परिचय==
गोपाल सेन क्रांतिकारी दल के एक सक्रिय सदस्य थे और जिन दिनों [[बर्मा]] में [[आज़ाद हिन्द फ़ौज]] सक्रिय थी, गोपाल सेन को उससे संपर्क स्थापित करने में सफलता मिल गई थी। वह किसी बड़े षड़यंत्र की संरचना कर रहे थे; लेकिन पुलिस को उनकी गतिविधियों का पता चल गया।
गोपीनाथ शाह का जन्म पूर्वी बंगाल के हुगली ज़िले के समरपुर नामक स्थान पर सन् 1901 में हुआ था। समरपुर से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। वे युगान्तर पार्टी की ओर आकर्षित हुए।
==मृत्यु==
==मृत्यु==
एक दिन [[कलकत्ता]] स्थित गोपाल सेन के मकान पर छापा मारा गया। वह छत के ऊपर पहुँच गए। पुलिस भी छत पर पहुँच गई। पुलिस ने गोपाल सेन को जीवित गिरफ्तार करना चाहा; पर वह उन लोगों के लिए अकेले ही भारी पड़ रहे थे। आखिर पुलिस के कुछ लोगों ने उन्हे पकड़कर तीन मंजिल मकान की छत से नीचे सड़क पर फेंक दिया। यह घटना [[29 सितंबर]], [[1944]] की है। उसी [[दिन]] गोपाल सेन की मृत्यु हो गई।
गोपीनाथ शाह को पुलिस उपायुक्त सर चार्ल्स टेगर्ट की हत्या के लिए बुलाया गया किन्तु गलती से उन्होंने अर्नस्ट डे नामक एक अन्य [[अंग्रेज]] अधिकारी को गोली मार दी। [[12 जनवरी]], [[1924]] को उन्हें गिरफ्तार कर फांसी पर लटका दिया गया।


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11:14, 16 मार्च 2017 का अवतरण

माधवी
गोपीनाथ शाह
गोपीनाथ शाह
पूरा नाम गोपीनाथ शाह
जन्म 1901
जन्म भूमि हुगली ज़िला, पश्चिम बंगाल
मृत्यु 12 जनवरी, 1924
अद्यतन‎ 04:31, 10 मार्च-2017 (IST)

गोपीनाथ शाह (अंग्रेज़ी: Gopinath Saha, जन्म- 1901, हुगली ज़िला, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 12 जनवरी, 1924) पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे।[1]

परिचय

गोपीनाथ शाह का जन्म पूर्वी बंगाल के हुगली ज़िले के समरपुर नामक स्थान पर सन् 1901 में हुआ था। समरपुर से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। वे युगान्तर पार्टी की ओर आकर्षित हुए।

मृत्यु

गोपीनाथ शाह को पुलिस उपायुक्त सर चार्ल्स टेगर्ट की हत्या के लिए बुलाया गया किन्तु गलती से उन्होंने अर्नस्ट डे नामक एक अन्य अंग्रेज अधिकारी को गोली मार दी। 12 जनवरी, 1924 को उन्हें गिरफ्तार कर फांसी पर लटका दिया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गोपीनाथ शाह (हिंदी) क्रांति 1857। अभिगमन तिथि: 16 मार्च, 2017।

संबंधित लेख

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