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''' सिद्धारमैया''' ([[अंग्रेज़ी]]: Siddaramaiah जन्म: [[12 अगस्त]], [[1948]]) एक भारतीय राजनेता हैं जो कि वर्तमान में [[कर्नाटक]] के [[मुख्यमंत्री]] है, इससे पहले वह बहुत सी जनता परिवार वाली दलों के सदस्य रह चुके हैं। जनता दल (सेकुलर) के सदस्य के तौर पर वे दो बार [[कर्नाटक]] के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके है। [[13 मई]] [[2013]] को वे [[कर्नाटक]] के [[मुख्यमंत्री]] बने।<ref name="aa">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/article/general-election-candidate/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE-114030500065_1.htm|title=सिद्धारमैया |accessmonthday=22 मार्च |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=webdunia.com|language=हिन्दी}}</ref>
===जीवन परिचय===
===जीवन परिचय===
सिद्धारमैया का जन्म [[12 अगस्त]] [[1948]] को [[मैसूर]] जिले के सिद्दरामनहुंडी गांव के एक कृषक परिवार में हुआ था। 10 वर्ष की आयु तक उनकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी। विशिष्ट भूतपूर्व छात्र की उपाधि भी प्रदान की गयी। उन्होंने [[मैसूर विश्वविद्यालय]] से विज्ञान में स्नातक किया और फिर इसी विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा भी प्राप्त की। इनकी पत्‍नी का नाम पार्वती है। उनके दो पुत्र हैं, राकेश और यतीन्द्र। राकेश ने फिल्मों में कुछ भूमिकाएं की हैं और अपने पिता की मदद करते हैं। वहीं यतीन्द्र एक चिकित्सक हैं।<ref name="bb">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/article/general-election-candidate/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%AF%E0%A4%BE-114030500065_1.htm|title=सिद्धारमैया |accessmonthday=22 मार्च |accessyear= 2017|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=webdunia.com|language=हिन्दी}}</ref>
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===राजनीतिक परिचय===
===राजनीतिक परिचय===
गरीब किसान परिवार से जुड़े सिद्दारमैया [[1980]] के दशक से [[2005]] तक कांग्रेस के धुर विरोधी थे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (एस) से उनका निष्कासन उन्हें राजनीतिक चौराहे पर ले आया, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और फिर कर्नाटक के 22वें मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस में आए उन्हें 7 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि उनकी जीवनभर की महत्वाकांक्षा पूरी हो गई, जब उन्होंने [[कर्नाटक]] के [[मुख्यमंत्री]] पद की शपथ ली।   
गरीब किसान परिवार से जुड़े सिद्दारमैया [[1980]] के दशक से [[2005]] तक कांग्रेस के धुर विरोधी थे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (एस) से उनका निष्कासन उन्हें राजनीतिक चौराहे पर ले आया, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और फिर कर्नाटक के 22वें मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस में आए उन्हें 7 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि उनकी जीवनभर की महत्वाकांक्षा पूरी हो गई, जब उन्होंने [[कर्नाटक]] के [[मुख्यमंत्री]] पद की शपथ ली।   
[[2004]] में खंडित जनादेश मिलने के बाद कांग्रेस और जद(एस) ने गठबंधन सरकार बनाई। तब सिद्दारमैया जद(एस) में थे और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। [[मुख्यमंत्री]] का पद कांग्रेस के एन. धरमसिंह को मिला था। सिद्दारमैया को यह शिकायत रही कि उनके सामने [[मुख्यमंत्री]] बनने का मौका था, लेकिन देवगौड़ा ने ऐसा नहीं होने दिया। [[2005]] में उन्होंने खुद को पिछड़ा वर्ग के नेता के तौर पर पेश किया। वे कुरूबा समुदाय से आते हैं, जो कर्नाटक में तीसरी सबसे बड़ी संख्या वाली जाति है, लेकिन इसी दौरान देवगौड़ा के पुत्र एचडी कुमार स्वामी को पार्टी के उभरते सितारे के तौर पर देखा जा रहा था और सिद्दारमैया भी जद(एस) से बर्खास्‍त कर दिए गए।
[[2004]] में खंडित जनादेश मिलने के बाद कांग्रेस और जद(एस) ने गठबंधन सरकार बनाई। तब सिद्दारमैया जद(एस) में थे और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। [[मुख्यमंत्री]] का पद कांग्रेस के एन. धरमसिंह को मिला था। सिद्दारमैया को यह शिकायत रही कि उनके सामने [[मुख्यमंत्री]] बनने का मौका था, लेकिन देवगौड़ा ने ऐसा नहीं होने दिया। [[2005]] में उन्होंने खुद को पिछड़ा वर्ग के नेता के तौर पर पेश किया। वे कुरूबा समुदाय से आते हैं, जो कर्नाटक में तीसरी सबसे बड़ी संख्या वाली जाति है, लेकिन इसी दौरान देवगौड़ा के पुत्र एचडी कुमार स्वामी को पार्टी के उभरते सितारे के तौर पर देखा जा रहा था और सिद्दारमैया भी जद(एस) से बर्खास्‍त कर दिए गए।
साल [[1996]] में पार्टी नेता एच डी देवगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह राज्य के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए। राज्य के तीसरे सबसे बड़े समुदाय कुरुबा से ताल्लुक रखने वाले सिद्धारमैया को पछाड़ कर जे एच पाटिल तब [[मुख्यमंत्री]] की गद्दी पर बैठे थे। सिद्धारमैया देवगौड़ा और पाटिल दोनों के ही शासनकाल में वित्त मंत्री रहे।
साल [[1996]] में पार्टी नेता [[एच डी देवगौड़ा]] के [[प्रधानमंत्री]] बनने के बाद वह राज्य के [[मुख्यमंत्री]] बनते-बनते रह गए। राज्य के तीसरे सबसे बड़े समुदाय कुरुबा से ताल्लुक रखने वाले सिद्धारमैया को पछाड़ कर जे एच पाटिल तब [[मुख्यमंत्री]] की गद्दी पर बैठे थे। सिद्धारमैया देवगौड़ा और पाटिल दोनों के ही शासनकाल में वित्त मंत्री रहे।<ref name="aa"/>
===व्यक्तित्व===
===व्यक्तित्व===
सिद्धारमैया नास्तिक हैं। उन्होंने [[मुख्यमंत्री]] पद की शपथ 'भगवान' की बजाए 'सच्चाई' के नाम पर शपथ ली थी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया हैं बेशक कांग्रेस पार्टी से लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नज़र में वो ख़ास जगह रखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आगामी चीन दौरे में निवेशकों को लुभाने के लिए कर्नाटक सीएम को निमंत्रण दिया था लेकिन सिद्धरमैया ने पूर्व व्यस्तताओं का हवाला देते हुए उसे अस्वीकार कर दिया। राज्य में काम के मामले में उनकी तुलना प्रधानमंत्री [[नरेंद्र मोदी]] से होती है। [[अगस्त 2013]] में [[कर्नाटक]] के मंत्री एमएच अंबरीश ने कहा था कि "हमारे सिद्धरमैया कांग्रेस के नरेंद्र मोदी हैं. तीन महीने के अंदर उन्होंने राज्य में विकास कार्यों की झड़ी लगा दी।
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12:30, 23 मार्च 2017 का अवतरण

कविता2
सिद्धारमैया
सिद्धारमैया
जन्म 12 अगस्त, 1948
जन्म भूमि मैसूर, सिद्दरामनहुंडी
पति/पत्नी पार्वती
संतान 2
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री, कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री
कार्य काल मुख्यमंत्री -13 मई 2013 से अब तक;

उपमुख्यमंत्री -31 मई 1996 से 7 अक्टूबर 1999

शिक्षा विज्ञान में स्नातक, एल.एल.बी
विद्यालय मैसूर विश्वविद्यालय
अन्य जानकारी अगस्त 2013 में कर्नाटक के मंत्री एमएच अंबरीश ने कहा था कि "हमारे सिद्धरमैया कांग्रेस के नरेंद्र मोदी हैं. तीन महीने के अंदर उन्होंने राज्य में विकास कार्यों की झड़ी लगा दी।

सिद्धारमैया (अंग्रेज़ी: Siddaramaiah जन्म: 12 अगस्त, 1948) एक भारतीय राजनेता हैं जो कि वर्तमान में कर्नाटक के मुख्यमंत्री है, इससे पहले वह बहुत सी जनता परिवार वाली दलों के सदस्य रह चुके हैं। जनता दल (सेकुलर) के सदस्य के तौर पर वे दो बार कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री भी रह चुके है। 13 मई 2013 को वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने।[1]

जीवन परिचय

सिद्धारमैया का जन्म 12 अगस्त 1948 को मैसूर जिले के सिद्दरामनहुंडी गांव के एक कृषक परिवार में हुआ था। 10 वर्ष की आयु तक उनकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी। विशिष्ट भूतपूर्व छात्र की उपाधि भी प्रदान की गयी। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया और फिर इसी विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा भी प्राप्त की। इनकी पत्‍नी का नाम पार्वती है। उनके दो पुत्र हैं, राकेश और यतीन्द्र। राकेश ने फिल्मों में कुछ भूमिकाएं की हैं और अपने पिता की मदद करते हैं। वहीं यतीन्द्र एक चिकित्सक हैं।[1]

राजनीतिक परिचय

गरीब किसान परिवार से जुड़े सिद्दारमैया 1980 के दशक से 2005 तक कांग्रेस के धुर विरोधी थे, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (एस) से उनका निष्कासन उन्हें राजनीतिक चौराहे पर ले आया, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और फिर कर्नाटक के 22वें मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस में आए उन्हें 7 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि उनकी जीवनभर की महत्वाकांक्षा पूरी हो गई, जब उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2004 में खंडित जनादेश मिलने के बाद कांग्रेस और जद(एस) ने गठबंधन सरकार बनाई। तब सिद्दारमैया जद(एस) में थे और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस के एन. धरमसिंह को मिला था। सिद्दारमैया को यह शिकायत रही कि उनके सामने मुख्यमंत्री बनने का मौका था, लेकिन देवगौड़ा ने ऐसा नहीं होने दिया। 2005 में उन्होंने खुद को पिछड़ा वर्ग के नेता के तौर पर पेश किया। वे कुरूबा समुदाय से आते हैं, जो कर्नाटक में तीसरी सबसे बड़ी संख्या वाली जाति है, लेकिन इसी दौरान देवगौड़ा के पुत्र एचडी कुमार स्वामी को पार्टी के उभरते सितारे के तौर पर देखा जा रहा था और सिद्दारमैया भी जद(एस) से बर्खास्‍त कर दिए गए। साल 1996 में पार्टी नेता एच डी देवगौड़ा के प्रधानमंत्री बनने के बाद वह राज्य के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए। राज्य के तीसरे सबसे बड़े समुदाय कुरुबा से ताल्लुक रखने वाले सिद्धारमैया को पछाड़ कर जे एच पाटिल तब मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे थे। सिद्धारमैया देवगौड़ा और पाटिल दोनों के ही शासनकाल में वित्त मंत्री रहे।[1]

व्यक्तित्व

सिद्धारमैया नास्तिक हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ 'भगवान' की बजाए 'सच्चाई' के नाम पर शपथ ली थी।[1] कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया हैं बेशक कांग्रेस पार्टी से लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नज़र में वो ख़ास जगह रखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आगामी चीन दौरे में निवेशकों को लुभाने के लिए कर्नाटक सीएम को निमंत्रण दिया था लेकिन सिद्धरमैया ने पूर्व व्यस्तताओं का हवाला देते हुए उसे अस्वीकार कर दिया। राज्य में काम के मामले में उनकी तुलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से होती है। अगस्त 2013 में कर्नाटक के मंत्री एमएच अंबरीश ने कहा था कि "हमारे सिद्धरमैया कांग्रेस के नरेंद्र मोदी हैं. तीन महीने के अंदर उन्होंने राज्य में विकास कार्यों की झड़ी लगा दी। [2]

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 सिद्धारमैया (हिन्दी) webdunia.com। अभिगमन तिथि: 22 मार्च, 2017।
  2. [hhttp://www.ichowk.in/politics/why-modi-like-chief-minister-of-karnataka/story/1/581.html कर्नाटक के नरेंद्र मोदी] (हिन्दी) ichowk.in। अभिगमन तिथि: 23 मार्च, 2017।