"अनुसूया बाई काले": अवतरणों में अंतर
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'''अनुसूया बाई काले''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anusuya Bai Kale'', जन्म: [[1896]], बेलगाम; मृत्यु: [[1958]]) [[महाराष्ट्र]] की प्रमुख राष्ट्रीय कार्यकत्ता और महिला आंदोलन की प्रमुख नेत्री थीं। ये [[1952]] और [[1957]] तक [[लोकसभा]] की सदस्य रहीं। अनुसूया बाई काले ने [[1952]] में राष्ट्रमंडल सम्मेलन में [[भारत]] के | '''अनुसूया बाई काले''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Anusuya Bai Kale'', जन्म: [[1896]], बेलगाम; मृत्यु: [[1958]]) [[महाराष्ट्र]] की प्रमुख राष्ट्रीय कार्यकत्ता और महिला आंदोलन की प्रमुख नेत्री थीं। ये [[1952]] और [[1957]] तक [[लोकसभा]] की सदस्य रहीं। अनुसूया बाई काले ने [[1952]] में राष्ट्रमंडल सम्मेलन में [[भारत]] के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में कनाडा की यात्रा की थी।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=|url=27}}</ref> | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
अनुसूया बाई काले का जन्म 1896 ई. बेलगाम में हुआ था। उनके पिता सदाशिव वी. भाटे वकालत करते थे। अनुसूया की शिक्षा फ़र्ग्यूसन कॉलेज, [[पुणे]] और [[बड़ौदा]] में हुई। [[1916]] ई. में पी.बी. काले से [[विवाह]] हो जाने के कारण उनकी आगे की शिक्षा का क्रम टूट गया। फिर भी उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बराबर भाग लिया। | अनुसूया बाई काले का जन्म 1896 ई. बेलगाम में हुआ था। उनके पिता सदाशिव वी. भाटे वकालत करते थे। अनुसूया की शिक्षा फ़र्ग्यूसन कॉलेज, [[पुणे]] और [[बड़ौदा]] में हुई। [[1916]] ई. में पी.बी. काले से [[विवाह]] हो जाने के कारण उनकी आगे की शिक्षा का क्रम टूट गया। फिर भी उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बराबर भाग लिया। | ||
==राजनैतिक जीवन== | ==राजनैतिक जीवन== | ||
अनुसूया बाई काले [[1928]] में 'सेंट्रल प्रोविन्सेज' की लेजिस्लेटिव कौंसिल की सदस्य मनोनीत हुईं। [[1937]] में वे [[मध्य प्रदेश]] और बरार विधान सभा की सदस्य निर्वाचित हुईं और उपसभापति बनाई गईं। [[1952]] और [[1957]] में अनुसूया बाई [[लोकसभा]] की सदस्य चुनी गईं। 1952 में राष्ट्रमंडल सम्मेलन में [[भारत]] के | अनुसूया बाई काले [[1928]] में 'सेंट्रल प्रोविन्सेज' की लेजिस्लेटिव कौंसिल की सदस्य मनोनीत हुईं। [[1937]] में वे [[मध्य प्रदेश]] और बरार विधान सभा की सदस्य निर्वाचित हुईं और उपसभापति बनाई गईं। [[1952]] और [[1957]] में अनुसूया बाई [[लोकसभा]] की सदस्य चुनी गईं। 1952 में राष्ट्रमंडल सम्मेलन में [[भारत]] के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में उन्होंने कनाडा की यात्रा की थी। | ||
==योगदान== | ==योगदान== | ||
महिलाओं की रक्षा के काम को समर्पित अनुसूया बाई काले ने बलात्कार के मामले में एक मुस्लिम को उसके धर्मावलंबी [[कांग्रेस]] के मंत्री द्वारा बचाने के मामले में बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था। फलत: उस मंत्री को [[1938]] में मंत्रिमंडल से हटाना पड़ा। [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन|भारत छोड़ो आंदोलन]]' में अस्थी और चिमूर में पुलिस ने आदिवासियों पर बड़े अमानुषिक अत्याचार किए थे जिनमें सात | महिलाओं की रक्षा के काम को समर्पित अनुसूया बाई काले ने बलात्कार के मामले में एक मुस्लिम को उसके धर्मावलंबी [[कांग्रेस]] के मंत्री द्वारा बचाने के मामले में बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था। फलत: उस मंत्री को [[1938]] में मंत्रिमंडल से हटाना पड़ा। [[1942]] के '[[भारत छोड़ो आंदोलन|भारत छोड़ो आंदोलन]]' में अस्थी और चिमूर में पुलिस ने आदिवासियों पर बड़े अमानुषिक अत्याचार किए थे जिनमें सात गोंडों फ़ाँसी की सजा हुई थी। अनुसूया बाई के प्रयत्न से ही वे फ़ाँसी के फंदे पर झूलने से बच गए। | ||
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12:52, 21 मई 2017 का अवतरण
अनुसूया बाई काले
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पूरा नाम | अनुसूया बाई काले |
जन्म | 1896 |
जन्म भूमि | बेलगाम |
मृत्यु | 1958 |
अभिभावक | सदाशिव वी. भाटे |
पति/पत्नी | पी.बी. काले |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में अस्थी और चिमूर में पुलिस ने आदिवासियों पर बड़े अत्याचार किए थे जिसमें सात गोंडो को फ़ाँसी की सजा हुई थी। अनुसूया बाई के प्रयत्न से ही वे फ़ाँसी के फंदे पर झूलने से बच गए थे। |
अनुसूया बाई काले (अंग्रेज़ी: Anusuya Bai Kale, जन्म: 1896, बेलगाम; मृत्यु: 1958) महाराष्ट्र की प्रमुख राष्ट्रीय कार्यकत्ता और महिला आंदोलन की प्रमुख नेत्री थीं। ये 1952 और 1957 तक लोकसभा की सदस्य रहीं। अनुसूया बाई काले ने 1952 में राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में कनाडा की यात्रा की थी।[1]
परिचय
अनुसूया बाई काले का जन्म 1896 ई. बेलगाम में हुआ था। उनके पिता सदाशिव वी. भाटे वकालत करते थे। अनुसूया की शिक्षा फ़र्ग्यूसन कॉलेज, पुणे और बड़ौदा में हुई। 1916 ई. में पी.बी. काले से विवाह हो जाने के कारण उनकी आगे की शिक्षा का क्रम टूट गया। फिर भी उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बराबर भाग लिया।
राजनैतिक जीवन
अनुसूया बाई काले 1928 में 'सेंट्रल प्रोविन्सेज' की लेजिस्लेटिव कौंसिल की सदस्य मनोनीत हुईं। 1937 में वे मध्य प्रदेश और बरार विधान सभा की सदस्य निर्वाचित हुईं और उपसभापति बनाई गईं। 1952 और 1957 में अनुसूया बाई लोकसभा की सदस्य चुनी गईं। 1952 में राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में उन्होंने कनाडा की यात्रा की थी।
योगदान
महिलाओं की रक्षा के काम को समर्पित अनुसूया बाई काले ने बलात्कार के मामले में एक मुस्लिम को उसके धर्मावलंबी कांग्रेस के मंत्री द्वारा बचाने के मामले में बड़ा आंदोलन खड़ा कर दिया था। फलत: उस मंत्री को 1938 में मंत्रिमंडल से हटाना पड़ा। 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में अस्थी और चिमूर में पुलिस ने आदिवासियों पर बड़े अमानुषिक अत्याचार किए थे जिनमें सात गोंडों फ़ाँसी की सजा हुई थी। अनुसूया बाई के प्रयत्न से ही वे फ़ाँसी के फंदे पर झूलने से बच गए।
निधन
अनुसूया बाई काले का 1958 में निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदंर्भ
संबंधित लेख
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |लिंक:- [27]