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||[[चित्र:Radha-Krishna.jpg|80px|right|[[राधा]]-[[कृष्ण]], द्वारा- [[राजा रवि वर्मा]]]]आत्माभिव्यक्ति मानव की प्राकृतिक | ||[[चित्र:Radha-Krishna.jpg|80px|right|[[राधा]]-[[कृष्ण]], द्वारा- [[राजा रवि वर्मा]]]]आत्माभिव्यक्ति मानव की प्राकृतिक प्रवृत्ति है। अपने अंदर के भाव प्रकट किए बिना वह रह नहीं सकता और भावों का आधार होता है, मनुष्य का परिवेश। विद्वानों की मान्यता है कि आदिम काल में जब [[भाषा]] और लिपि-चिह्नों का आविर्भाव नहीं हुआ था, रेखाओं के संकेत से ही व्यक्ति स्वयं को अभिव्यक्त करता था। गुफाओं के अंदर आज जो शिलाचित्र मिलते हैं, वे ही चित्रकला के आदि प्रमाण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चित्रकला]] | ||
{[[मुग़ल काल]] में मंसूर कौन था? | {[[मुग़ल काल]] में मंसूर कौन था? |
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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