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+[[अबुलकलाम आज़ाद]]
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-[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]]
-[[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]]
||[[चित्र:Abul-Kalam-Azad.gif|150px|right|अबुलकलाम आज़ाद]]'अबुलकलाम आज़ाद' एक [[मुस्लिम]] विद्वान थे, जिन्होंने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में भाग लिया। वह वरिष्ठ राजनीतिक नेता थे। उन्होंने [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। 17 वर्ष की अल्प आयु में ही [[अबुलकलाम आज़ाद]] इस्लामी दुनिया के धर्मविज्ञान में शिक्षित हो गये थे। काहिरा के 'अल अज़हर विश्वविद्यालय' में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की, जो उनके गम्भीर और गहन ज्ञान का आधार बनी। [[परिवार]] के [[कोलकाता]] में बसने पर उन्होंने 'लिसान-उल-सिद' नामक पत्रिका प्रारम्भ की। उन पर [[उर्दू]] के दो महान् आलोचकों 'मौलाना शिबली नाओमनी' और 'अल्ताफ हुसैन हाली' का बहुत प्रभाव था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अबुलकलाम आज़ाद]]
||[[चित्र:Abul-Kalam-Azad.gif|150px|right|अबुलकलाम आज़ाद]]'अबुलकलाम आज़ाद' एक [[मुस्लिम]] विद्वान् थे, जिन्होंने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में भाग लिया। वह वरिष्ठ राजनीतिक नेता थे। उन्होंने [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। 17 वर्ष की अल्प आयु में ही [[अबुलकलाम आज़ाद]] इस्लामी दुनिया के धर्मविज्ञान में शिक्षित हो गये थे। काहिरा के 'अल अज़हर विश्वविद्यालय' में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की, जो उनके गम्भीर और गहन ज्ञान का आधार बनी। [[परिवार]] के [[कोलकाता]] में बसने पर उन्होंने 'लिसान-उल-सिद' नामक पत्रिका प्रारम्भ की। उन पर [[उर्दू]] के दो महान् आलोचकों 'मौलाना शिबली नाओमनी' और 'अल्ताफ हुसैन हाली' का बहुत प्रभाव था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अबुलकलाम आज़ाद]]
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