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कार्यक्षेत्र: चित्रकारी
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'''तैयब मेहता''' ([[अंग्रेजी]]: Tyeb Mehta, जन्म: [[26 जुलाई]], [[1925]], [[गुजरात]], ज़िला खेड़ा) एक जाने-माने भारतीय [[चित्रकार]] थे। वे प्रसिद्ध ‘बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप’ के सदस्य थे। इस समूह में एफ.एन. सौज़ा, [[एस.एच. रजा]] और [[एम.एफ. हुसैन]] जैसे महान कलाकार भी शामिल थे। वे स्वतंत्रता के बाद की पीढ़ी के उन चित्रकारों में से थे जो राष्ट्रवादी बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट के परंपरा से हटकर एक आधुनिक विधा में कार्य करना चाहते थे।
शेखर कपूर का नाम एक ऐसे फिल्म निर्देशक के रूप में शुमार किया जाता है जिन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनायी है।


उनके जीवन के अंतिम दशक में उनकी बनायीं हुई पेंटिंग्स रिकॉर्ड कीमतों पर बिकीं जिसमें उनके मृत्यु के बाद बिकी एक पेंटिंग भी शामिल है जो [[दिसम्बर]] [[2014]] में 17 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत पर बेची गयी। इससे पहले भी मेहता की एक पेंटिंग ‘गर्ल इन लव’ लगभग 4.5 करोड़ रुपये में बिकी थी। सन [[2002]] में उनकी एक पेंटिंग ‘सेलिब्रेशन’ लगभग 1.5 करोड़ रुपये में बिकी थी जो अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उस समय तक की सबसे महंगी भारतीय पेंटिंग थी।
प्रष्ठ-भूमि
शेखर कपूर का जन्म 6 दिसंबर 1945 को लाहौर पंजाब पाकिस्तान में हुआ था।उनके पिता का नाम कुलभूष्ण कपूर था, जोकि ब्रिटिश काल में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे। उनकी माँ का नाम शीलाकांता कपूर था। शेखर कपूर भारतीय हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता देवानंद के भांजे हैं। उनकी तीन बहनें हैं।नीलू,अरुणा और सोहना कपूर।


आज भारतीय कला में सारी दुनिया की दिलचस्पी है और इस दिलचस्पी का एक बड़ा श्रेय तैयब मेहता को भी जाता है। जब क्रिस्टी जैसी कलादीर्घा ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी कृतियों की नीलामी की तो [[भारतीय कला]] के लिए ये एक बड़ी बात थी। समकालीन भारतीय कला इतिहास में तैयब मेहता ही अकेले पेंटर थे जिनका काम इतने कीमतों में बिका।
पढाई
==जीवन परिचय==
शेखर कपूर ने अपनी शुरुआती पढाई मॉडर्न स्कूल नई दिल्ली से पूरी की है। उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टेफन कॉलेज से पूरी की है। हिंदी सिनेमा में आने से पहले उन्होंने उन्होंने बतौर चार्टेड अकाउंटेंट
तैयब मेहता का जन्म [[26 जुलाई]] [[1925]] को [[गुजरात]] के खेड़ा जिले में हुआ था। उनका पालन-पोषण [[मुंबई]] के क्रावफोर्ड मार्केट में दावूदी बोहरा समुदाय में हुआ था। सन 1947 में उन्होंने विभाजन के बाद हुए दंगों में [[मुंबई]] के मोहम्मद अली रोड पर एक व्यक्ति को पत्थर से मारे जाने की हृदय विदारक घटना देखी थी। इस घटना ने उनको इतना प्रभावित किया कि उनके कामों में इसकी झलक कहीं न कहीं हमें दिख ही जाती है।
लन्दन में काम कर चुके हैं।


तैयब मेहता ने प्रारंभ में कुछ समय के लिए मुंबई स्थित एक नामी फिल्म स्टूडियो ‘फेमस स्टूडियोज’ के लैब में फिल्म एडिटर का कार्य किया। बाद में उन्होंने [[मुंबई]] के सर जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में दाखिला लिया और सन [[1952]] में यहाँ से डिप्लोमा ग्रहण किया। इसके बाद वे ‘बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप’ के सदस्य बन गए। यह ग्रुप पश्चिम के आधुनिकतावादी शैली से प्रभावित था और तैयब के साथ-साथ उसमें एफ.एन. सौज़ा, [[एस.एच. रजा]] और [[एम.एफ. हुसैन]] जैसे महान कलाकार भी शामिल थे।
शादी
==कॅरियर==
शेखर कपूर की पहली शादी मेधा जलोटा से हुई थी, लेकिन किन्ही कारणों से दोनों के बीच अलगाव हो गया।  मेधा की मौत न्यू जर्सी में हो चुकी है।  उनकी दूसरी शादी सुचित्रा कृष्णमूर्ति से सम्पन्न हुई है। उनकी एक बेटी भी है-कावेरी कपूर। 
सन [[1959]] में तैयब लन्दन चले गए और [[1964]] तक वहीँ रहकर कार्य किया। सन [[1968]] में जब उन्हें जॉन डी रॉकफेलर फ़ेलोशिप मिल गयी तब वे न्यू यॉर्क चले गए। लन्दन प्रवास के दौरान उनकी कला फ़्रन्कोइस बेकन जैसे कलाकारों से प्रभावित हुई जबकि न्यू यॉर्क प्रवास के दौरान उनकी चित्रकारी में अतिसूक्ष्म्वाद देखने को मिला। उन्होंने बॉम्बे के बांद्रा स्थित बूचड़खाने में ‘कूदाल’ नाम की एक शार्ट फिल्म भी बनाई जिसे सन [[1970]] में फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड मिला।


सन 1984-85 के दौरान वे शान्तिनिकेतन में भी रहे जिसके बाद उनकी चित्रकारी में महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला। इस दौरान उनके चित्रों की विषय-वस्तु ‘बंधे हुए सांड’ और ‘रिक्शापुलर्स’ थे। इसके बाद उन्होंने 1970 के दशक में ‘डायगनल’ श्रृंखला के चित्र बनाये। उन्होंने अंग विच्छेद वाली और गिरती आकृतियों का प्रयोग 70 के दशक में शुरू किया जो कला की दुनिया को उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
बॉलीवुड करियर
सन [[2002]] में क्रिस्टी की नीलामी में जब उनकी एक पेंटिंग ‘सेलिब्रेशन’ लगभग 1.5 करोड़ रुपये में बिकी तब उस समय किसी भी भारतीय चित्रकार की यह सबसे महंगी पेंटिंग थी। सन [[2005]] में भारतीय कलादीर्घा ‘सैफ्रनआर्ट’ ने ऑनलाइन नीलामी में उनकी एक पेंटिंग ‘काली’ को 1 करोड़ रुपये में बेचा। जून [[2008]] में क्रिस्टी ने एक नीलामी में उनकी एक पेंटिंग को 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बेचा। सन 2005 में उनकी एक पेंटिंग ‘जेस्चर’ 3.1 करोड़ रुपये में एक भारतीय रंजित मलकानी ने खरीदी। उस समय यह किसी भी भारतीय द्वारा किसी भी भारतीय समकालीन कला के नमूने को खरीदने के लिए सबसे ज्यादा रकम थी।
शेखर कपूर ने हिंदी सिनेमा करियर की शुरुआत वर्ष 1975 में फिल्म जान हाज़िर हो से की थी।उसके बाद उन्होंने फिल्म टूटे खिलौना निर्देशित की। उन्हें हिंदी सिनेमा में पहचान फैमिली ड्रामा फिल्म मासूम से मिली थी। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में नसीरूद्धीन शाह और शबाना आजमी और जुगल हंसराज मुख्य भूमिका में नजर आये थे। उस दौर में यह फिल्म दर्शको और आलोचकों द्वारा बेहद पसंद की गयी थी।उसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में साइंस-फिक्शन फिल्म मिस्टर इंडिया फिल्म निर्देशित की। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में अनिल कपूर-श्रीदेवी और अमरीश पूरी नजर आये थे। इस फिल्म में अमरीश पूरी ने खलनायक मोगैम्बो की भूमिका अदा की थी। जिसके बाद वह दर्शकों के बीच इसी नाम से प्रसिद्द हो गये। इस फिल्म का सबसे प्रसिद्द डॉयलौग ' मोगैम्बो खुश हुआ' आज भी दर्शको को पसंद है।
तैयब मेहता पहले ऐसे भारतीय समकालीन [[चित्रकार]] थे जिनकी पेंटिंग्स 10 लाख डॉलर या उससे अधिक कीमत में बेची गयीं। यह ऐसा समय था जिसके बाद पूरी दुनिया के कला प्रशंसक भारतीय कला और चित्रकारी में गहरी दिलचस्पी लेने लगे।
तैयब मेहता के करीबी कहते हैं कि वे अपनी [[कला]] के प्रति इतने समर्पित थे कि पूर्ण रूप से संतुष्ट न होने तक अपनी पेंटिंग्स को कला दीर्घाओं में भेजने से कतराते थे। उनके अन्दर सृजनात्मकता की एक जिद थी जिसकी ख़ातिर उन्होंने कई कैनवस नष्ट कर दिए। वे मानते थे कि किसी भी कला को सार्वजनिक होने से पहले कलाकार को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की उसमें कोई खोट नहीं रह गया हो।
==व्यक्तिगत जीवन==
तैयब मेहता का विवाह सकीना से हुआ था। उन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर समय [[मुंबई]] में बिताया। मुंबई के अलावा वे [[लन्दन]], न्यू यॉर्क और [[शान्तिनिकेतन]] में भी रहे।
उनका निधन [[2 जुलाई]] [[2009]] को ह्रदय गति रुक जाने के कारण मुंबई के एक अस्पताल में हुआ। वे अपने पीछे अपनी पत्नी, एक पुत्र (युसूफ) और पुत्री (हिमानी) छोड़ गए।


==पुरस्कार और सम्मान==
वर्ष 1989 में शेखर कपूर ने 'जोशीले' और 'दुश्मनी' जैसी फिल्मों का सह निर्देशन किया। वर्ष 1992 में शेखर कपूर विज्ञान पर आधारित फंतासी फिल्म टाइम मशीन का निर्देशन करने वाले थे। इस फिल्म के लिए शेखर कपूर ने आमिर खान,
*सन [[1968]] में उन्हें ‘<ref>जॉन डी रॉकफेलर फ़ेलोशिप</ref>’ प्रदान की गयी।
रवीना टंडन, नसीरउदीन शाह और रेखा का चयन किया गया था लेकिन फिल्म नहीं बन सकी।
*सन [[1968]] में ही [[दिल्ली]] में पेंटिंग के लिए एक स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
   
*सन [[1974]] में फ्रांस में आयोजित ‘<ref>इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ़ पेंटिंग</ref>’ में उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया गया।
वर्ष 1997 में शेखर कपूर ने दस्यु सुंदरी फुलन देवी पर आधारित 'बैंडिट क्वीन' का निर्देशन किया। इस फिल्म में बैंडिट क्वीन की भूमिका सीमा विश्वास ने रूपहले पर साकार की। 'बैंडिट क्वीन' के जरिये शेखर कपूर ने न सिर्फ भारत में बल्कि अंतर्राट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनायी। इस फिल्म के लिए शेखर कपूर को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया।  
*सन [[1988]] में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें ‘<ref>[[कालिदास सम्मान]]</ref>’ से नवाजा।
 
*सन [[2005]] में उन्हें कला, संस्कृति और शिक्षा के लिए दयावती मोदी फाउंडेशन पुरस्कार दिया गया।
शेखर कपूर अब यशराज के बैनर तले 'पानी' का निर्देशन शुरू करने वाले हैं। इस फिल्म के लिए सुशांत सिंह राजपूत का चयन किया गया है। बताया जाता है कि फिल्म 'पानी' में दिखाया जाएगा कि पानी के बिना दुनिया में कैसी तबाही
*सन [[2007]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया।
मचेगी। यह फिल्म भविष्य की दुनिया पर आधारित होगी। जहां पानी पर अंतर्राष्ट्रीय निगमों का कब्ज़ा हो गया है। इस फिल्म का संगीत ए.आर.रहमान तैयार करेंगे। फिल्म की शूटिंग अगले वर्ष शुरू की जाएगी।
*उनकी शार्ट फिल्म ‘कूदाल’ को सन [[1970]] में फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड दिया गया।
 
शेखर कपूर हॉलीवुड करियर
बैंडिट क्वीन' के बाद शेखर कपूर को हॉलीवुड फिल्म 'ऐलिजाबेथ' का निर्देशन का अवसर मिला। यह फिल्म ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित की गयी। वर्ष 2007 में इस फिल्म के सीक्वल 'एलिजाबेथ द गोल्डन एज' का भी शेखर कपूर ने
निर्देशन किया। इन सबके बीच शेखर कपूर ने हॉलीवुड फिल्म 'द फोर फीदर्स', 'न्यूयॉर्क आइ लव यू' और 'पैसेज' का निर्देशन भी किया।  
 
टीवी करियर
वर्ष 2013 में अभिषेक कपूर न्यूज़ चैनल एबीपी पर शो प्रधान मंत्री भी होस्ट कर चुके हैं। इस शो में उन्होंने दर्शकों को उन अनसुने पहलुयों से रूबरू कराया जिसे दर्शक जानते तक नहीं थे। इसके अलावा वह कलर्स के शो इंडियाज गोट टैलेंट
में बतौर जज नजर आ चुके हैं।

11:59, 6 दिसम्बर 2017 का अवतरण

जन्म: 26 जुलाई 1925, कपद्वंज, खेड़ा, गुजरात

मृत्यु: 2 जुलाई 2009, मुंबई

कार्यक्षेत्र: चित्रकारी

शेखर कपूर का नाम एक ऐसे फिल्म निर्देशक के रूप में शुमार किया जाता है जिन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनायी है।

प्रष्ठ-भूमि शेखर कपूर का जन्म 6 दिसंबर 1945 को लाहौर पंजाब पाकिस्तान में हुआ था।उनके पिता का नाम कुलभूष्ण कपूर था, जोकि ब्रिटिश काल में डॉक्टर के पद पर कार्यरत थे। उनकी माँ का नाम शीलाकांता कपूर था। शेखर कपूर भारतीय हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता देवानंद के भांजे हैं। उनकी तीन बहनें हैं।नीलू,अरुणा और सोहना कपूर।

पढाई शेखर कपूर ने अपनी शुरुआती पढाई मॉडर्न स्कूल नई दिल्ली से पूरी की है। उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक की पढाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टेफन कॉलेज से पूरी की है। हिंदी सिनेमा में आने से पहले उन्होंने उन्होंने बतौर चार्टेड अकाउंटेंट लन्दन में काम कर चुके हैं।

शादी शेखर कपूर की पहली शादी मेधा जलोटा से हुई थी, लेकिन किन्ही कारणों से दोनों के बीच अलगाव हो गया। मेधा की मौत न्यू जर्सी में हो चुकी है। उनकी दूसरी शादी सुचित्रा कृष्णमूर्ति से सम्पन्न हुई है। उनकी एक बेटी भी है-कावेरी कपूर।

बॉलीवुड करियर शेखर कपूर ने हिंदी सिनेमा करियर की शुरुआत वर्ष 1975 में फिल्म जान हाज़िर हो से की थी।उसके बाद उन्होंने फिल्म टूटे खिलौना निर्देशित की। उन्हें हिंदी सिनेमा में पहचान फैमिली ड्रामा फिल्म मासूम से मिली थी। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में नसीरूद्धीन शाह और शबाना आजमी और जुगल हंसराज मुख्य भूमिका में नजर आये थे। उस दौर में यह फिल्म दर्शको और आलोचकों द्वारा बेहद पसंद की गयी थी।उसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में साइंस-फिक्शन फिल्म मिस्टर इंडिया फिल्म निर्देशित की। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में अनिल कपूर-श्रीदेवी और अमरीश पूरी नजर आये थे। इस फिल्म में अमरीश पूरी ने खलनायक मोगैम्बो की भूमिका अदा की थी। जिसके बाद वह दर्शकों के बीच इसी नाम से प्रसिद्द हो गये। इस फिल्म का सबसे प्रसिद्द डॉयलौग ' मोगैम्बो खुश हुआ' आज भी दर्शको को पसंद है।

वर्ष 1989 में शेखर कपूर ने 'जोशीले' और 'दुश्मनी' जैसी फिल्मों का सह निर्देशन किया। वर्ष 1992 में शेखर कपूर विज्ञान पर आधारित फंतासी फिल्म टाइम मशीन का निर्देशन करने वाले थे। इस फिल्म के लिए शेखर कपूर ने आमिर खान, रवीना टंडन, नसीरउदीन शाह और रेखा का चयन किया गया था लेकिन फिल्म नहीं बन सकी।

वर्ष 1997 में शेखर कपूर ने दस्यु सुंदरी फुलन देवी पर आधारित 'बैंडिट क्वीन' का निर्देशन किया। इस फिल्म में बैंडिट क्वीन की भूमिका सीमा विश्वास ने रूपहले पर साकार की। 'बैंडिट क्वीन' के जरिये शेखर कपूर ने न सिर्फ भारत में बल्कि अंतर्राट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनायी। इस फिल्म के लिए शेखर कपूर को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्म फेयर पुरस्कार भी दिया गया।

शेखर कपूर अब यशराज के बैनर तले 'पानी' का निर्देशन शुरू करने वाले हैं। इस फिल्म के लिए सुशांत सिंह राजपूत का चयन किया गया है। बताया जाता है कि फिल्म 'पानी' में दिखाया जाएगा कि पानी के बिना दुनिया में कैसी तबाही मचेगी। यह फिल्म भविष्य की दुनिया पर आधारित होगी। जहां पानी पर अंतर्राष्ट्रीय निगमों का कब्ज़ा हो गया है। इस फिल्म का संगीत ए.आर.रहमान तैयार करेंगे। फिल्म की शूटिंग अगले वर्ष शुरू की जाएगी।

शेखर कपूर हॉलीवुड करियर बैंडिट क्वीन' के बाद शेखर कपूर को हॉलीवुड फिल्म 'ऐलिजाबेथ' का निर्देशन का अवसर मिला। यह फिल्म ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित की गयी। वर्ष 2007 में इस फिल्म के सीक्वल 'एलिजाबेथ द गोल्डन एज' का भी शेखर कपूर ने निर्देशन किया। इन सबके बीच शेखर कपूर ने हॉलीवुड फिल्म 'द फोर फीदर्स', 'न्यूयॉर्क आइ लव यू' और 'पैसेज' का निर्देशन भी किया।

टीवी करियर वर्ष 2013 में अभिषेक कपूर न्यूज़ चैनल एबीपी पर शो प्रधान मंत्री भी होस्ट कर चुके हैं। इस शो में उन्होंने दर्शकों को उन अनसुने पहलुयों से रूबरू कराया जिसे दर्शक जानते तक नहीं थे। इसके अलावा वह कलर्स के शो इंडियाज गोट टैलेंट में बतौर जज नजर आ चुके हैं।