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{निम्नलिखित में से कौन [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के नाना थे? | |||
|type="()"} | |||
-[[उग्रसेन]] | |||
-[[शूरसेन]] | |||
-[[अंधक]] | |||
+[[देवक]] | |||
||[[कंस]] के चाचा और [[उग्रसेन]] के भाई का नाम 'देवक' था। उन्होंने अपनी सात पुत्रियों का विवाह [[वासुदेव]] से कर दिया था, जिनमें [[देवकी]] भी एक थी। [[कृष्ण]] देवकी के गर्भ से उत्पन्न आठवें पुत्र थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[देवक]] | |||
{[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और [[दृषद्वती नदी|दृषद्वती]] नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था? | |||
|type="()"} | |||
+[[ब्रह्मावर्त]] | |||
-[[अन्तचार]] | |||
-[[दीपवती]] | |||
-[[कुशप्लव]] | |||
||[[यमुना नदी]] की पावन धारा के तट का वह भू-भाग, जिसे आजकल [[ब्रजमंडल]] या [[मथुरा]] मंडल कहते हैं पहले मध्य देश अथवा ब्रह्मर्षि देश के अन्तर्गत [[शूरसेन]] जनपद के नाम से प्रसिद्ध था, [[भारतवर्ष]] का अत्यन्त प्राचीन और महत्त्वपूर्ण प्रदेश माना गया है, अत्यन्त प्राचीन काल से ही इसी गौरव-गाथा के सूत्र मिलते हैं। हिन्दू , [[जैन]], और बौद्धों की धार्मिक अनुश्रुतियों तथा [[संस्कृत]], [[पालि]], प्राकृत के प्राचीन ग्रन्थों में इस पवित्र भू-खण्ड का विशद वर्णन वर्णित है । ब्रह्मावर्त, ब्रह्मदेश, ब्रह्मर्षिदेश और आर्यावर्त आदि नामों से विख्यात उत्तरांचल प्रदेश वेद भूमि है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ब्रह्मावर्त]] | |||
{[[द्रोणाचार्य]] के पिता कौन थे? | |||
|type="()"} | |||
-[[अत्रि]] | |||
+[[भारद्वाज]] | |||
-[[फेनप ऋषि]] | |||
-[[कर्दम]] | |||
||[[भारद्वाज|महर्षि भारद्वाज]] [[ऋग्वेद]] के छठे मण्डल के द्रष्टा कह गये हैं। इस मण्डल में भारद्वाज के 765 [[मन्त्र]] हैं। [[अथर्ववेद]] में भी भारद्वाज के 23 मन्त्र मिलते हैं। वैदिक ऋषियों में भारद्वाज-ऋषि का अति उच्च स्थान है। भारद्वाज के पिता [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] और माता ममता थीं। इनके पुत्र गुरु [[द्रोणाचार्य]] थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भारद्वाज]], [[द्रोणाचार्य]] | |||
{[[हरिवंश पुराण]] तीनों पर्वों में कुल कितने अध्याय हैं | |||
|type="()"} | |||
+318 | |||
-316 | |||
-315 | |||
-317 | |||
{[[वभ्रुवाहन]] किसका पुत्र था? | |||
|type="()"} | |||
-[[भीम]] | |||
-[[कृष्ण]] | |||
+[[अर्जुन]] | |||
-[[युधिष्ठिर]] | |||
{[[कुरुक्षेत्र]] में किस स्थान पर कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया→ज्योतीसर | |||
दुर्योधन कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था→11 अक्षौहिणी | |||
निम्नलिखित में किस स्थान को ‘ब्रह्मा की यज्ञीय वेदी’ कहा जाता है →कुरुक्षेत्र | |||
शिखंडी किसके शिष्य थे →द्रोणाचार्य | |||
युधिष्ठिर के लिए सभा-भवन का निर्माण किसने किया था →मय दानव ने | |||
महाभारत वन पर्व के अंतर्गत कितने अध्याय हैं →315 | |||
भीम द्वारा मारा गया ‘अश्वत्थामा’ नाम का हाथी किस राजा का था →इन्द्रवर्मा | |||
यह ज्ञात हो जाने पर कि कर्ण पाण्डवों का भाई था, युधिष्ठिर ने किसे शाप दिया →नारी जाति को | |||
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12:37, 3 जनवरी 2018 का अवतरण
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