"मुद्रण कला": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('किसी धातु या मिश्रधातु से ढाले हुए वर्णमाला के अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==


[[Category:मुद्रण]][[Category:कला कोश]]
[[Category:मुद्रण]][[Category:कला कोश]][[Category:वाणिज्य व्यापार कोश]][[Category:हस्तशिल्प उद्योग]]
__INDEX__
__INDEX__

12:31, 7 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

किसी धातु या मिश्रधातु से ढाले हुए वर्णमाला के अक्षरों को 'टाइप' कहते हैं। टाइप का समूह बनाकर और उस पर स्याही लगाकर छापने की कला मुद्रण कला कही जाती है।

  • छपाई की प्रमुख कला होने के नाते मुद्रण कला का आविष्कार मानव के सर्वोत्तम आविष्कारों में उल्लेखनीय है। विद्वानों की विद्वत्ता, बुद्धिमानों की बुद्धिमत्ता, नेताओं के आदेश, कलाकारों की कला, सभी को मुद्रण कला ने अमर बनाया है। मानव को वैज्ञानिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा सामाजिक क्षेत्रों में प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर करने वाली यही कला है।
  • मुद्रण कला का आविष्कार मानव की प्रगति के आरंभिक पदचिह्नों के साथ-साथ हुआ। अपनी आंतरिक भावनाओं को दूसरों पर व्यक्त करने के उद्देश्य से मानव ने शिलाओं पर आकार खोदना सीखा।
  • अक्षरों तथा शब्दों के विकास के साथ-साथ सुमेर, बैबीलोनिया, मिस्र, भारत, चीन और कोरिया में लकड़ी, शिला तथा धातु की मुहरें और ठप्पे प्रयोग में आने लगे।
  • 11वीं शताब्दी में पी शिंग ने चीन में पहली बार मिट्टी को पकाकर टाइप बनाए।
  • सीसा, राँगा तथा सुरमा की मिश्रधातु से पहली बार गटनबर्ग ने जर्मनी में 15वीं शताब्दी में टाइप बनाए। उन्होंने छपाई का यंत्र तथा स्याही बनाकर मुद्रण कला का पूर्ण रूप से आविष्कार किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख