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{[[श्रीकृष्ण]] ने [[पाण्डव|पाण्डवों]] के लिए [[दुर्योधन]] से क्या माँगा था?
|type="()"}
-आधा राज्य
-[[खाण्डवप्रस्थ]]
+पाँच ग्राम
-इनमें से कोई नहीं


{[[महाभारत]] में [[बलराम]] की भूमिका क्या थी?
|type="()"}
+तीर्थाटन के लिए चले गये
-तपस्या में लीन हो गये
-परमधाम चले गये
-इनमें से कोई नहीं
||[[बलराम]] 'नारायणीयोपाख्यान' में वर्णित व्यूहसिद्धान्त के अनुसार [[विष्णु]] के चार रूपों में दूसरा रूप 'संकर्षण' है। संकर्षण बलराम का अन्य नाम है, जो [[कृष्ण]] के भाई थे। सामान्यतया बलराम [[शेषनाग]] के [[अवतार]] माने जाते हैं और कहीं-कहीं विष्णु के अवतारों में भी इनकी गणना होती है। महाभारत युद्ध के समय बलराम तीर्थाटन के लिए चले गये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बलराम]]
{[[महाभारत]] के युद्ध में लड़ने वाली [[कृष्ण]] की सेना का क्या नाम था?
|type="()"}
+[[नारायणी सेना]]
-[[अक्षौहिणी|अक्षौहिणी सेना]]
-[[चतुरंगिणी सेना]]
-इनमें से कोई नहीं
||[[श्रीकृष्ण]] को [[हिन्दू धर्म]] में [[विष्णु|भगवान विष्णु]] का [[अवतार]] माना जाता है। [[सनातन धर्म]] के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा [[मोक्ष]] प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर 'युग पुरुष' थे। उनके व्यक्तित्व में [[भारत]] को एक प्रतिभा सम्पन्न 'राजनीतिवेत्ता' ही नहीं, एक महान् 'कर्मयोगी' और 'दार्शनिक' प्राप्त हुआ, जिसका '[[गीता]]' ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे [[भारत]] में किसी न किसी रूप में की जाती है। वे लोग जिन्हें हम साधारण रूप में नास्तिक या धर्म निरपेक्ष की श्रेणी में रखते हैं, निश्चित रूप से 'श्रीमद्‍ भगवद्गीता' से प्रभावित हैं। 'गीता' किसने और किस काल में कही या लिखी यह शोध का विषय है, किन्तु 'गीता' को कृष्ण से ही जोड़ा जाता है। यह आस्था का प्रश्न है और यूँ भी आस्था के प्रश्नों के उत्तर इतिहास में नहीं तलाशे जाते।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[श्रीकृष्ण]]
{[[महाभारत|महाभारत युद्ध]] में [[कर्ण]] के सारथी का नाम क्या था?
|type="()"}
-[[संजय]]
+[[शल्य]]
-[[शाल्व]]
-[[दारुक]]
||[[कर्ण]] [[महाभारत]] के प्रसिद्ध योद्धा, [[अर्जुन]] का प्रतिद्वंदी और युद्ध के अंतिम दिनों में [[कौरव|कौरवों]] की सेना का सेनापति था। कर्ण [[कुंती]] के कुमारी अवस्था में उत्पन्न हुआ था। महाभारत युद्ध में सेनापति बनने पर इसका सारथित्व [[शल्य]] ने किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कर्ण]]
{निम्न में से किसे कृष्णा के नाम से भी जाना जाता था?
|type="()"}
-[[कुंती]]
-[[गांधारी]]
-[[उलूपी]]
+[[द्रौपदी]]
||[[द्रौपदी]] का जन्म महाराज [[द्रुपद]] के यहाँ यज्ञकुण्ड से हुआ था। अतः यह ‘यज्ञसेनी’ भी कहलाई। द्रौपदी का विवाह पाँचों [[पाण्डव]] से हुआ था। द्रौपदी पूर्वजन्म में किसी ऋषि की कन्या थी। उसने पति पाने की कामना से तपस्या की। [[शंकर]] ने प्रसन्न होकर उसे वर देने की इच्छा की। उसने शंकर से पांच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है। शंकर ने कहा कि अगले जन्म में उसके पांच भरतवंशी पति होंगे, क्योंकि उसने पति पाने की कामना पांच बार दोहरायी थी। वह कृष्णा शची का ही दूसरा रूप थी, इसलिए उसे कृष्णा नाम से भी जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[द्रौपदी]]
{निम्न में से [[चित्रांगदा]] किसकी पत्नी थी?
|type="()"}
+[[अर्जुन]]
-[[युधिष्ठिर]]
-[[भीम]]
-[[नकुल]]
||[[चित्रांगदा]] [[मणिपुर]] के नरेश चित्रवाहन की पुत्री थी। जब वनवासी [[अर्जुन]] मणिपुर पहुंचे तो उसके रूप पर मुग्ध हो गये। उन्होंने नरेश से उसकी कन्या मांगी। राजा चित्रवाहन ने अर्जुन से चित्रांगदा का [[विवाह]] करना इस शर्त पर स्वीकार कर लिया कि उसका पुत्र चित्रवाहन के पास ही रहेगा क्योंकि पूर्व युग में उसके पूर्वजों में प्रभंजन नामक राजा हुए थे। उन्होंने पुत्र की कामना से तपस्या की थी तो [[शिव]] ने उन्हें पुत्र प्राप्त करने का वरदान देते हुए यह भी कहा था कि हर पीढ़ी में एक ही संतान हुआ करेगी अत: चित्रवाहन की संतान वह कन्या ही थी। अर्जुन ने शर्त स्वीकार करके उससे विवाह कर लिया। चित्रांगदा के पुत्र का नाम 'बभ्रुवाहन' रखा गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[चित्रांगदा]]
{निम्न में से [[जरासंध]] का वध किसके द्वारा किया गया था?
|type="()"}
-[[अर्जुन]]
-[[बलराम]]
-[[कृष्ण]]
+[[भीम]]
||[[जरासंध]] बृहद्रथ-वंश का सबसे प्रतापी शासक था, जो बृहद्रथ का पुत्र था। वह अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। [[हरिवंश पुराण]] से ज्ञात होता है कि उसने [[काशी]], [[कोशल]], [[चेदि]], [[मालवा]], [[विदेह]], [[अंग महाजनपद|अंग]], [[वंग]], [[कलिंग]], [[पांडय]], [[सौबिर]], [[मद्र]], [[काश्मीर]] और [[गांधार]] के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज वाला कहा गया है। जरासंध का अंत खंडित व्यक्तित्व का था। [[भीम (पांडव)|भीम]] ने उसके शरीर को दो हिस्सों में विभक्त कर मृत्यु प्रदान की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीम]]
{[[महाभारत]] में [[युधिष्ठिर]] ने [[यक्ष]] से किस [[पाण्डव]] का जीवन दान माँगा?
|type="()"}
-[[अर्जुन]]
-[[भीम]]
-[[नकुल]]
+[[सहदेव]]
||[[सहदेव]] [[हिन्दू]] महाकाव्य [[महाभारत]] में वर्णित पाँच [[पांडव|पांडवों]] में सबसे छोटे थे। ये [[हस्तिनापुर]] के महाराज [[पांडु]] और [[माद्री]] के पुत्र थे। वह [[पांडु]] की दूसरी पत्नी [[माद्री]] के सबसे छोटे पुत्र थे, जो ज्योतिष के पंडित थे। यह विद्या इन्होंने [[द्रोणाचार्य]] से सीखी थी। पशुपालन शास्त्र में भी ये परम दक्ष थे और [[अज्ञातवास]] के समय [[विराट]] के यहाँ इन्होंने राज्य के पशुओं की देखरेख का काम किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सहदेव]]
{[[लाक्षागृह]] का निर्माण किसके द्वारा किया गया था?
|type="()"}
+[[पुरोचन]]
-[[धृतराष्ट्र]]
-[[दुर्योधन]]
-[[शकुनि]]
||[[महाभारत]] में ऐसा उल्लेख मिलता है कि एक बार [[पाण्डव]] अपनी माता [[कुन्ती]] के साथ [[वारणावर्त|वार्णावर्त नगर]] में महादेव को मेला देखने गये। [[दुर्योधन]] ने इसकी पूर्व सूचना प्राप्त करके अपने एक मन्त्री [[पुरोचन]] को वहाँ भेजकर एक [[लाक्षागृह]] तैयार कराया। पुरोचन पाण्डव को जलाने की प्रतीक्षा करने लगा। योजना के अनुसार पाण्डव लाक्षागृह में रहने लगे। घर को देखने से तथा [[विदुर]] के कुछ संकेतों से पाण्डवों को घर का रहस्य ज्ञात हो गया था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लाक्षागृह]], [[पुरोचन]]
{[[घटोत्कच]] की माँ का क्या नाम था?
|type="()"}
+[[हिडिंबा]]
-[[मौरवी]]
-[[सिंहिका]]
-[[सुरसा]]
||'[[महाभारत]]' में [[हिडिम्ब]] नामक एक राक्षस का उल्लेख मिलता है। इसका वध [[भीम (पांडव)|भीम]] ने किया था। [[हिडिम्बा]] इसी हिडिम्ब नामक राक्षस की बहन थी। हिडिम्ब की मृत्यु के अनन्तर इसने एक सुन्दरी का रूप धारण कर भीम से विवाह किया। हिडिम्बा से भीम के [[घटोत्कच]] नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हिडिंबा]]
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11:20, 20 दिसम्बर 2017 का अवतरण