"प्रयोग:रिंकू5": अवतरणों में अंतर
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||जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने स्वतंत्रता संबंधी विचार वर्ष [[1859]] में प्रकाशित ग्रंथ 'स्वतंत्रता पर' (On Liderty) में दिए हैं। मिल ने स्वतंत्रता के नकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतिपादन किया। मिल के अनुसार, व्यक्ति का उद्देश्य अपने व्यक्तित्त्व का उच्चतम एवं अधिकतम विकास है और यह विकास केवल स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव है। मिल का विचार है कि स्वतंत्रता के द्वारा ही मनुष्य बौद्धिक व नैतिक पूर्णता प्राप्त करके एक आदर्श मनुष्य बन सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) मिल के अनुसार, "व्यक्ति के जीवन में [[राज्य]] का न्यूनतम हस्तक्षेप और अधिकतम संभव सीमा तक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार जीवन व्यतीत करने की छूट ही स्वतंत्रता है और वह इसे अपनाने पर बल देता है।" (2) मिल ने व्यक्ति की स्वतंत्रता को दो भागों में बांटा है- प्रथम विचारों की स्वतंत्रता, द्वितीय कार्य संबंधी स्वतंत्रता। (3) मिल के अनुसार, व्यक्ति को विचारों की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए, मिल स्थापित परंपरा व धारणा के विरुद्ध विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता देता है तथा सनकी व्यक्ति को भी स्वतंत्रता दिए जाने का पक्षधर है। (4) मिल, कार्य संबंधी स्वतंत्रता को स्व-विषयक तथा पर-विषयक दो भागों में विभाजित करता है। उसके अनुसार स्व-विकास कार्यों में व्यक्ति को पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त होनी चाहिए, लेकिन पर-विषयक | ||जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने स्वतंत्रता संबंधी विचार वर्ष [[1859]] में प्रकाशित ग्रंथ 'स्वतंत्रता पर' (On Liderty) में दिए हैं। मिल ने स्वतंत्रता के नकारात्मक दृष्टिकोण का प्रतिपादन किया। मिल के अनुसार, व्यक्ति का उद्देश्य अपने व्यक्तित्त्व का उच्चतम एवं अधिकतम विकास है और यह विकास केवल स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव है। मिल का विचार है कि स्वतंत्रता के द्वारा ही मनुष्य बौद्धिक व नैतिक पूर्णता प्राप्त करके एक आदर्श मनुष्य बन सकता है। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) मिल के अनुसार, "व्यक्ति के जीवन में [[राज्य]] का न्यूनतम हस्तक्षेप और अधिकतम संभव सीमा तक व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार जीवन व्यतीत करने की छूट ही स्वतंत्रता है और वह इसे अपनाने पर बल देता है।" (2) मिल ने व्यक्ति की स्वतंत्रता को दो भागों में बांटा है- प्रथम विचारों की स्वतंत्रता, द्वितीय कार्य संबंधी स्वतंत्रता। (3) मिल के अनुसार, व्यक्ति को विचारों की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त होनी चाहिए, मिल स्थापित परंपरा व धारणा के विरुद्ध विचार प्रकट करने की स्वतंत्रता देता है तथा सनकी व्यक्ति को भी स्वतंत्रता दिए जाने का पक्षधर है। (4) मिल, कार्य संबंधी स्वतंत्रता को स्व-विषयक तथा पर-विषयक दो भागों में विभाजित करता है। उसके अनुसार स्व-विकास कार्यों में व्यक्ति को पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त होनी चाहिए, लेकिन पर-विषयक | ||
कार्यों में व्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित होती है, विशेष कर जब उसके कार्यों से समाज के अन्य व्यक्तियों की स्वतंत्रता में बाधा पहुंचती हो। | कार्यों में व्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित होती है, विशेष कर जब उसके कार्यों से समाज के अन्य व्यक्तियों की स्वतंत्रता में बाधा पहुंचती हो। | ||
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11:55, 19 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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