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'''अंतरा बिन शद्दाद''' का संबंध कबील: अबस से था। इसकी माता एक हब्शी दासी थी, इसीलिए यह दास के रूप में अपने पिता के ऊँटों को चराया करता था। इसने दाहिस के युद्ध में विशेष ख्याति पाई थी। | '''अंतरा बिन शद्दाद''' का संबंध कबील: अबस से था। इसकी [[माता]] एक हब्शी दासी थी, इसीलिए यह दास के रूप में अपने [[पिता]] के [[ऊँट|ऊँटों]] को चराया करता था। इसने '''दाहिस के युद्ध''' में विशेष ख्याति पाई थी। | ||
*अंतरा बिन शद्दाद अपनी चचेरी बहिन अब्ल से प्रेम करता था, जिससे विवाह करने की इसने प्रार्थना की। | *अंतरा बिन शद्दाद अपनी चचेरी बहिन अब्ल से प्रेम करता था, जिससे [[विवाह]] करने की इसने प्रार्थना की। | ||
*अरबों के प्रथानुसार सबसे अधिक स्वत्व अब्ल पर इसी का था; परंतु इसके दासी पुत्र होने के कारण यह स्वीकार नहीं किया गया। | *[[अरब लोग|अरबों]] के प्रथानुसार सबसे अधिक स्वत्व अब्ल पर इसी का था; परंतु इसके दासी पुत्र होने के कारण यह स्वीकार नहीं किया गया। | ||
*इसके अनंतर इसके पिता ने इसे स्वतंत्र कर दिया। | *इसके अनंतर इसके पिता ने इसे स्वतंत्र कर दिया। | ||
*90 वर्ष की लंबी आयु पाकर यह अपने पड़ोसी कबीले तैई से हुए एक झगड़े में मारा गया। | *90 [[वर्ष]] की लंबी आयु पाकर यह अपने पड़ोसी कबीले '''तैई''' से हुए एक झगड़े में मारा गया। | ||
*अंतरा भी उसी अज्ञान युग के कवियों में है, जो असहाब मुअल्लकात कहलाते हैं। | *अंतरा भी उसी अज्ञान युग के कवियों में है, जो '''असहाब मुअल्लकात''' कहलाते हैं। | ||
*उसके दीवान में डेढ़ सहस्र के लगभग शेर हैं, यह बैरूत में कई बार प्रकाशित हो चुका है। | *उसके दीवान में डेढ़ सहस्र के लगभग शेर हैं, यह बैरूत में कई बार प्रकाशित हो चुका है। | ||
*इसमें अधिकतर दर्प, वीरता तथा प्रेम के शेर हैं और कुछ शेर प्रशंसा तथा शोक के भी हैं। | *इसमें अधिकतर दर्प, वीरता तथा प्रेम के शेर हैं और कुछ शेर प्रशंसा तथा शोक के भी हैं। | ||
*इसकी कविता बहुत मार्मिक है, पर उसमें गंभीरता नहीं है। | *इसकी [[कविता]] बहुत मार्मिक है, पर उसमें गंभीरता नहीं है। | ||
*उसका वातावरण युद्ध स्थल का है और युद्ध स्थल के ही गीतों का उस पर प्रभाव भी है। | *उसका वातावरण युद्ध स्थल का है और युद्ध स्थल के ही [[गीत|गीतों]] का उस पर प्रभाव भी है। | ||
*इसकी मृत्यु सन् 515 हिजरी तथा सन् 525 हिजरी के बीच हुई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= |url=}}</ref> | *इसकी मृत्यु सन् 515 हिजरी तथा सन् 525 हिजरी के बीच हुई।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= |url=}}</ref> | ||
11:44, 26 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
अंतरा बिन शद्दाद का संबंध कबील: अबस से था। इसकी माता एक हब्शी दासी थी, इसीलिए यह दास के रूप में अपने पिता के ऊँटों को चराया करता था। इसने दाहिस के युद्ध में विशेष ख्याति पाई थी।
- अंतरा बिन शद्दाद अपनी चचेरी बहिन अब्ल से प्रेम करता था, जिससे विवाह करने की इसने प्रार्थना की।
- अरबों के प्रथानुसार सबसे अधिक स्वत्व अब्ल पर इसी का था; परंतु इसके दासी पुत्र होने के कारण यह स्वीकार नहीं किया गया।
- इसके अनंतर इसके पिता ने इसे स्वतंत्र कर दिया।
- 90 वर्ष की लंबी आयु पाकर यह अपने पड़ोसी कबीले तैई से हुए एक झगड़े में मारा गया।
- अंतरा भी उसी अज्ञान युग के कवियों में है, जो असहाब मुअल्लकात कहलाते हैं।
- उसके दीवान में डेढ़ सहस्र के लगभग शेर हैं, यह बैरूत में कई बार प्रकाशित हो चुका है।
- इसमें अधिकतर दर्प, वीरता तथा प्रेम के शेर हैं और कुछ शेर प्रशंसा तथा शोक के भी हैं।
- इसकी कविता बहुत मार्मिक है, पर उसमें गंभीरता नहीं है।
- उसका वातावरण युद्ध स्थल का है और युद्ध स्थल के ही गीतों का उस पर प्रभाव भी है।
- इसकी मृत्यु सन् 515 हिजरी तथा सन् 525 हिजरी के बीच हुई।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |